नई दिल्ली। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में मंगलवार शाम 4 बजे, वामपंथी गुटों के द्वारा गठित असंवैधानिक तथाकथित “जेएनयूएसयू” की तरफ से जेएनयू के स्टूडेंट कम्युनिटी सेंटर के “अननोटिस्ड” कक्ष में सभी संगठनों की बैठक बुलाई गई। बैठक में नियमावली का उल्लंघन करने एवं जेएनयू के सामान्य छात्रों का कोई प्रतिनिधित्व न होने के कारण ABVP ने इस बैठक का बहिष्कार किया।
उल्लेखनीय है की “जेएनयूएसयू” का चुनाव 2019 से नहीं हुआ है और वर्तमान में कोई वैध “जेएनयूएसयू” नहीं है। बैठक एक घंटे देरी से शुरू हुई। फिर भी, ABVP जेएनयू के प्रतिनिधियों ने नियमावली का पालन करने, सामान्य छात्रों का इस प्रक्रिया में प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की मांग करते हुए एवं चर्चा करने के लिए बैठक में भाग लेने का प्रयास किया, लेकिन लेफ्ट संगठनों ने इस निष्पक्षता पर सहमति नहीं जताई। अंत में ABVP ने इस असंवैधानिक बैठक का बहिष्कार कर दिया।
जानकारी के मुताबिक वामपंथी संगठन की एक कार्यकर्ता ने तय किया कि वह बैठक की अध्यक्षता करेगी, इस प्रकार न तो इस प्रक्रिया में निष्पक्षता रहती है और न ही जेएनयू के सामान्य छात्रों का प्रतिनिधित्व होता है। ABVP का मत है कि यह बैठक जेएनयू में छात्रों के हितों के साथ समझौता करने, संवैधानिक मूल्यों को दबाने और वामपंथी तानाशाही स्थापित करने का एक प्रयास है।
ABVP जेएनयू के इकाई अध्यक्ष उमेश चंद्र अजमीरा ने कहा, “ABVP जेएनयू में वामपंथी गुटों की तानाशाही की कड़ी निंदा करता है। यह गुट अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए छात्रों के हितों का बलिदान दे रहे हैं। ABVP जेएनयू में छात्रसंघ चुनावों की जल्द से जल्द घोषणा की मांग करता है। यह चुनाव छात्रों को एक निष्पक्ष, वैध चुनाव प्रक्रिया के साथ, नियमावली का पालन करते हुए, और लोकतांत्रिक छात्रसंघ चुनने का अधिकार दे ऐसी मांग प्रशासन से करता है।”
वहीं, इकाई मंत्री विकास पटेल ने कहा, “ABVP जेएनयू में वामपंथी गुटों के खिलाफ छात्र हितों की सुरक्षा करते हुए अपनी लड़ाई जारी रखेगा, जब तक की निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित नहीं होते। हमने पिछलग्गू वामपंथी संगठनों के साथ-साथ सभी संगठनों एवं सामान्य छात्रों का प्रतिनिधित्व एवं समानता सुनिश्चित करने की मांग की, लेकिन वामपंथी उपद्रवी इसे पोलिट ब्यूरो जैसी बैठक बनाकर अध्यक्षता करना चाहते थे। ABVP का दृढ़ मत है कि एक अधिकारिक जेएनयूएसयू के अभाव में जेएनयूएसयू चुनावों पर चर्चा जेएनयू के सभी छात्रों के साथ समान स्तर पर की जानी चाहिए।”
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