देश के सीमावर्ती राज्य पंजाब के हितों को लेकर प्रखर रहे राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है। उन्होंने केंद्र शासित क्षेत्र चंडीगढ़ के प्रशासक पद से भी इस्तीफा दे दिया। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को भेजे अपने इस्तीफा पत्र में उन्होंने पद छोड़ने का कारण निजी बताया है। पुरोहित कल दो फरवरी को ही दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलकर आए थे।
बता दें कि बनवारी लाल पुरोहित ने अगस्त 2021 को पंजाब के गवर्नर का पद संभाला था। वह 2017 से 2021 तक तमिलनाडु के राज्यपाल रहे। इससे पहले 2016 से 2017 तक वे असम के राज्यपाल रह चुके हैं। पुरोहित भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं। वह तीन बार नागपुर से सांसद रह चुके हैं। पुरोहित का जन्म 16 अप्रैल, 1940 में राजस्थान में हुआ था। पंजाब में उनका कार्यकाल राज्य सरकार के साथ खटास-मिठास वाला रहा। वे सदैव प्रदेश के हितों को प्राथमिकता देते रहे, इसी कारण उनके सत्ताधारी पार्टी के साथ रिश्तों में कई बार उतार-चढ़ाव देखे। खासतौर पर भगवंत मान सरकार के बनने के बाद से उनके और सीएम के रिश्तों में काफी तल्खी देखी गई थी। पंजाब विधानसभा के सत्र को बुलाने को लेकर तो दोनों में रार इतनी बढ़ी कि मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था। वे अक्सर सरकार से विभिन्न मुद्दों को लेकर जवाब मांगते रहते थे।
अक्तूबर में पंजाब विधानसभा के दो दिवसीय सत्र में पेश किए जाने वाले तीन विधेयकों को मंजूरी देने से उन्होंने इनकार कर दिया था। इसके बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान समेत आम आदमी पार्टी ने उनका विरोध किया था। राज्य सरकार की अनिच्छा के बावजूद वे पंजाब के सीमावर्ती क्षेत्रों में लोगों के साथ मेल-मिलाप करते रहे और उनकी समस्याएं जानते रहे। नशे को लेकर व और भी प्रखर रहे और समय-समय पर राज्य सरकार को इस मुद्दे पर घेरते रहे हैं।
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