हिजाब को लेकर पिछले दो-तीन दिनों में दो महत्वपूर्ण घटनाएं हुई हैं। एक भारत में हुई है तो दूसरी विश्व की घटना है और दोनों विरोधाभासी हैं। भारत जैसे देश में जहां विद्यालयों में एक निश्चित ड्रेस कोड होता है, वहां पर एक मजहबी पहचान को मुख्य बनाकर स्कूल आना बहुत अजीब है।
कर्नाटक के बाद अब राजस्थान में हिजाब को लेकर हंगामा जारी है। दरअसल 27 जनवरी को राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक बालिका विद्यालय गंगापोल का वार्षिकोत्सव मनाया गया था। इसी आयोजन में जयपुर के विधायक बालमुकुन्द आचार्य को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। आयोजन शांतिपूर्ण था, परन्तु कुछ छात्राएं हिजाब और बुर्के में थीं। विधायक बालमुकुन्द आचार्य ने आपत्ति की और प्रिंसिपल से ड्रेस कोड के विषय में कहा। इस पर छात्राएं भड़क गईं और उन्होंने सुभाष चौक थाने का घेराव कर विधायक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। विधानसभा में कांग्रेस के विधायक रफीक खान ने सरकार को घेरा। इस पर विधायक बाल मुकुंद आचार्य का कहना था कि बच्चियों से भारत माता की जय और सरस्वती माता की जय बोलने के लिए कहा गया था, तो इनमें क्या गलत है? क्या सरस्वती माता की जय बोलना गलत है?
बालमुकुंद का यह भी कहना था कि उन्होंने प्रिंसिपल से ड्रेस कोड के विषय में पूछा था। अब इस पर हंगामा और बढ़ा और हिजबा पहनने वाली लड़कियों ने यह जोर देकर कहा कि वह हिजाब नहीं छोड़ेंगी, चाहे पढ़ाई छोड़ देंगी। स्कूलों से टीसी लेने के लिए तैयार हैं, मगर हिजाब छोड़ने से उन्होंने इंकार कर दिया। वहीं इस मामले में एक चौंकाने वाली बात सामने आई थी, जिसमें कुछ छात्राओं ने कहा था कि स्कूल में शुक्रवार को नमाज पढ़वाई जाती है और स्कूल में एक मजार भी है।
Rajasthan Hijab Vivad:
Victim card by M students. There are no Saraswati prayers only M prayers.All created during Gehlot regime.
And maybe the minorities will use this for the upcoming UCC NCC 👀 part 1.👇🏼 pic.twitter.com/1tFnjn7n1u— Dr. (law) Aaroha R.K. 💍⚖️🇮🇱🇮🇳 (@Aaroha101) January 30, 2024
अब इस मामले को लेकर सरकार भी एक्शन में आ गयी है। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि स्कूलों का एक ड्रेस कोड होता है और तय ड्रेस कोड में ही विद्यार्थियों को स्कूल आने की अनुमति दी जाएगी। इसके साथ ही विद्यालयों में सरस्वती माता की प्रतिमा या चित्र भी लगाने के लिए कहा है। जिस विद्यालय में सरस्वती माता की मूर्ति या चित्र नहीं होगा तो उस पर कार्यवाही की जाएगी। इन घटनाओं में जो सबसे खास बात है वह यह है कि जब भारत में स्कूलों में भी हिजाब पहनने को लेकर मुस्लिम लड़कियां आन्दोलन चला रही हैं तो वहीं हिजाब की आंच से झुलस रही मिडल ईस्ट की लड़कियां #nohijabday मना रही हैं।
यह पूरी दुनिया देख रही है कि किस प्रकार अनिवार्य हिजाब की आंच में ईरान और अफगानिस्तान की मुस्लिम लड़कियां झुलस रही हैं। ईरान में महसा अमीन की मौत के बाद उपजे विरोध प्रदर्शन में अभी तक फांसी की सजाएं दी जा रही हैं। न जाने कितनी लड़कियों का अभी तक पता भी नहीं चला है कि आखिर क्या हुआ है क्योंकि वह सदमे में भी हैं।
#NoHijabDay pic.twitter.com/gfm2gnCKUy
— Zafar Heretic (@ZafarHeretic) February 1, 2024
एक वीडियो ने सभी को तब स्तब्ध कर दिया था जब ईरान में एक मेट्रो में एक लड़की के साथ मोरल पुलिस कर्मियों ने ऐसी जबरदस्ती की थी, कि वह कोमा में चली गयी थी। इन आन्दोलनों में साथ देने वाले युवा मारे जा रहे हैं, और हाल ही में अफगानिस्तान में कई लड़कियों को जेल में डाल दिया गया था क्योंकि उन्होंने हिजाब सही से नहीं पहना हुआ था। दरअसल 1 फरवरी को हिजाब डे मनाया जाता है, जिसमें यह प्रमाणित करने का प्रयास किया जाता है कि हिजाब दरअसल एक च्वाइस है, जिसे लड़कियां अपने मन से पहनती हैं और उन पर कोई दबाव नहीं है। इसे लेकर अनिवार्य हिजाब के कारण प्रताड़ित होने वाली लड़कियों की पीड़ा बताने के लिए इसी दिन nohijabday मनाया जाता है। एक वीडियो यजीदी लड़कियों का बहुत अधिक वायरल हुआ था, जिसमें आईएसआईएस की यौन गुलामी से आजाद कराई गयी यजीदी लड़कियां अपना बुर्का और हिजाब जला रही हैं।
यजीदी लड़कियों के लिए आवाज उठाने वाले अज्ज़त अल्सलेम ने भी ट्वीट करते हुए लिखा कि इस यजीदी लड़की को आईएसआईएस ने अगवा किया था और 11 वर्ष की आयु में सेक्स स्लेव बनाया था। उसे इस्लाम में जबरन कन्वर्ट किया गया और हिजाब पहनाया गया। उसे हिजाब से उसे छुटकारा मिला।
This Yezidi girl was kidnapped by lSlS and forced to be a sex slave when she was 11 years old.
She was forced to convert to lsIam and wear Hijab!
She escaped and get rid of hijab.
She has been welcomed by her family and community.#NoHijabDay pic.twitter.com/WuLKfuqVWA
— Azat (@AzatAlsalim) February 1, 2024
ईरान में मरजीह एब्र्ह्मिनी पर “बैड हिजाब” के कारण एसिड से हमला कर दिया गया था। जिसमें उनका चेहरा विकृत हो गया था। खदीजा खान नामक यूजर ने लिखा कि हिजाब महिला अधिकारों का हनन है। जो लोग हिजाब डे मना रहे हैं, उन्हें अपना सिर शर्म से झुका देना चाहिए। इसी अवसर पर एक्स मुस्लिम ऑफ नॉर्वे द्वारा एक वीडियो भी साझा किया गया, जिसमें कट्टर इस्लामिस्ट्स एवं पश्चिमी इस्लाम प्रेमियों द्वारा शुरू किए गए हिजाब डे के पाखण्ड पर प्रहार किया गया है। इसमें कहा गया है कि इस दिन को महिलाओं के उस शोषण को छिपाने के लिए प्रयोग किया गया है, जो शोषण इस कपडे के टुकड़े के पीछे उनका किया जाता है।
Hijab is a tool of oppression!
1st Of February is the so-called "World Hijab Day" which was created by Islamists and Western Islamophiles to draw attention away from the oppression of women that hides behind this piece of cloth that is used as a tool for the oppression of women .… pic.twitter.com/dlW2KKiNVr— Ex-Muslims of Norway (@exmuslim_norway) February 1, 2024
परन्तु सबसे बड़े दुर्भाग्य की बात यही है कि भारत में एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है जो इस खतरे को समझ नहीं रहा है कि अनिवार्य हिजाब से क्या समस्याएं हो सकती हैं, या यह कहा जाए कि कहीं न कहीं सड़क पर निकल रही लड़कियां ही समझ नहीं रही हैं कि वह किस आग से खेल रही हैं?
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