दिल्ली दंगा: कड़कड़डूमा कोर्ट ने नूर मोहम्मद उर्फ नूरा को सुनाई 4 साल की सजा

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WEB DESK

नई दिल्ली। दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट ने 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली हिंसा में दुकान में तोड़फोड़ और आगजनी के मामले के एक दोषी को चार साल की सश्रम कैद और दूसरे दोषी को जेल में उसकी काटी हुई तीन साल सजा के बराबर कैद की सजा सुनाते हुए उसे रिहा करने का आदेश दिया। एडिशनल सेशंस जज पुलस्त्य प्रमाचल ने ये आदेश दिया।

कोर्ट ने नूर मोहम्मद ऊर्फ नूरा को भारतीय दंड संहिता की धारा 148 के तहत एक वर्ष की कैद, धारा 188 के तहत छह माह की कैद, धारा 427 के तहत एक साल की कैद, धारा 435 के तहत एक साल की कैद और दो हजार रुपये का जुर्माना, धारा 436 के तहत चार साल की कैद और पांच हजार रुपये का जुर्माना, धारा 392 के तहत चार साल की कैद औऱ पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट के इस आदेश का मतलब है कि नूरा को 4 साल की सजा काटनी होगी जबकि जुर्माना 12 हजार रुपये का देना होगा। कोर्ट ने कहा कि दूसरे दोषी नबी मोहम्मद ने भारतीय दंड संहिता की धारा 411 के तहत अधिकतम सजा काट ली है इसलिए उसे रिहा करने का आदेश दिया जाता है।

बता दें कि कोर्ट ने 02 जनवरी को दोनों आरोपियों को दोषी करार दिया था। कोर्ट ने 2 जनवरी को फैसला सुनाते हुए दोनों आरोपियों को हिरासत में लेने का आदेश दिया था जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

घटना 24 फरवरी 2020 की है। दो शिकायतकर्ताओं ने 1 मार्च 2020 को शिकायत की थी। दिलीप और शिव कुमार राघव ने संयुक्त रुप से खजूरी खास पुलिस थाने में लिखित शिकायत दी थी। शिकायतों के आधार पर पुलिस ने 4 अप्रैल 2020 को एफआईआर दर्ज किया था। शिकायत के मुताबिक 24 फरवरी 2020 को गिरि आटोमोबाइल्स में 40-50 की संख्या में दंगाई तोड़फोड़ करते घुसे और वर्कशाप के बाहर खड़ी दो मोटरसाइकिल में आग लगा दी। इन दंगाईयों ने वर्कशाप के खुले हुए शटर को तोड़ दिया और वर्कशाप में आग लगाकर वहां पड़ी 13 मोटरसाइकिल को जला दिया।

शिकायत के मुताबिक दंगाइयों में से दो लड़के शिकायकर्ताओं की तरफ आए। एक गेट के पास खड़ा रहा और दूसरा आकर शिकायतकर्ताओं को आग से जलाकर मार डालने की धमकी देते हुए मोबाइल फोन और पैसे मांगने लगा। आरोपियों ने दोनों शिकायतकर्ताओं के मोबाइल फोन और पैसे ले लिए और पांच मिनट के अंदर घटनास्थल से भाग खड़े हुए।

शिव कुमार राघव अपने दोस्त की बेटी की शादी में देने के लिए ढाई लाख रुपये एक मैट्रेस के अंदर छिपाकर रखे थे। जब स्थिति कुछ नियंत्रण में हुई तो दोनों शिकायतकर्ता 8 बजे अपने वर्कशाप पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि पूरा वर्कशाप जला दिया गया है। शिव कुमार राघव के ढाई लाख रुपये भी वहां नहीं थे। जांच के दौरान जांच अधिकारी जीवानंद ने घटनास्थल से 15 अधजली मोटरसाइकिल जब्त की थी। पुलिस ने इस घटना के साथ ही सात अन्य घटनाओं की शिकायतों को एक साथ जांच शुरु की।

जांच में पाया गया कि आगजनी के दौरान छीना गया एक मोबाइल फोन एक्टिव था। उस मोबाइल का इस्तेमाल एक लड़का कर रहा था। पुलिस ने जब मोबाइल का इस्तेमाल करनेवाले लड़के से पूछा तो उसने बताया कि उसके पड़ोसी नूर मोहम्मद ऊर्फ नूरा ने उससे सात हजार रुपये में मोबाइल बेचा था। उसके बाद मोबाइल फोन जब्त कर लिया गया। लड़के की ओऱ से नूरा की पहचान करने के बाद नूरा को 31 मार्च 2020 को गिरफ्तार कर लिया गया। नूरा ने पूछताछ में बताया कि उसने एक हजार रुप में दूसरे आरोपी नबी मोम्ममद को दूसरा मोबाइल बेच दिया। नूरा पुलिस को नबी मोहम्मद के पास ले गया। नबी मोहम्मद की पहचान के बाद उसे भी गिरफ्तार किया गया।

इस मामले में दिल्ली पुलिस ने कुल नौ गवाहों के बयान और उनके साक्ष्य दर्ज कराए थे। बता दें कि फरवरी 2020 में हुई हिंसा में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और दो सौ के करीब लोग घायल हुए थे।

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