राष्ट्रीय राजधानी में वनों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त अधिकारियों की तैनाती की मांग करने वाली याचिका पर बार-बार निर्देश देने के बावजूद अपना जवाब दाखिल नहीं करने पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को दिल्ली सरकार पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि मामले में जवाब दाखिल नहीं करने के लिए अधिकारियों द्वारा कोई वैध कारण नहीं दिया गया है और अदालत के निर्देशों का पालन नहीं करना अदालत की गरिमा के खिलाफ है।
कोर्ट ने कहा 2 अगस्त 2023 और 21 सितंबर 2023 के आदेशों पर जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्ते का समय मिलने के बावजूद राज्य सरकार ने जवाब दाखिल नहीं किया है। जवाब दाखिल न करने का सिर्फ एकमात्र कारण यह बताया गया कि कुछ जानकारी दूसरे राज्य से मंगाई जा रही हैं। कोर्ट ने कहा कि जवाब दाखिल न करने का यह कोई आधार नहीं है। इस पर जस्टिस प्रसाद ने कहा, ‘सरकार पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है। कोर्ट के बार-बार निर्देशों का पालन न करना कोर्ट की गरिमा के खिलाफ है।
वन एवं वन्य जीव विभाग में पर्याप्त संख्या में अधिकारियों की तैनाती की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उक्त आदेश दिया। याचिका में मांग की गई थी कि बेहतर हथियार, सुरक्षात्मक उपकरण, और जनशक्ति के संदर्भ में राज्य वन विभाग के वन रक्षकों, वन रेंजरों, और अन्य फील्ड कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं। उच्च न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 20 मार्च को होगी।
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