भारत की प्राण-प्रतिष्ठा

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गत 24 जनवरी को नई दिल्ली में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक हुई। इसमें राम मंदिर बनवाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त किया गया। इसमें कुछ प्रस्ताव भी पारित किए गए, जिन्हें यहां बिन्दुवार प्रस्तुत किया जा रहा है-

  • प्रधानमंत्री जी, सबसे पहले हम सभी आपके नेतृत्व के मंत्रिमंडल के सदस्य आपको रामलला के विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा पर हार्दिक बधाई देते हैं।
  • भारतीय सभ्यता बीते पांच शताब्दी से जो स्वप्न देख रही थी, आपने वह सदियों पुराना स्वप्न पूरा किया।
  • प्रधानमंत्री जी, आज की कैबिनेट ऐतिहासिक है। ऐतिहासिक कार्य तो कई बार हुए होंगे, परंतु जब से यह कैबिनेट व्यवस्था बनी है और यदि ब्रिटिश समय से वायसराय की ‘एज्क्यूटिव काउंसिल’ का कालखंड भी जोड़ लें, तो ऐसा अवसर कभी नहीं आया होगा। क्योंकि 22 जनवरी, 2024 को आपके माध्यम से जो कार्य हुआ है, वह इतिहास में अद्वितीय है। इसलिए क्योंकि यह अवसर शताब्दियों बाद आया है। हम कह सकते हैं कि 1947 में इस देश का शरीर स्वतंत्र हुआ था और अब इसमें आत्मा की प्राण-प्रतिष्ठा हुई है। इससे सभी को आत्मिक आनंद की अनुभूति हुई है।
  • आपने अपने उद्बोधन में कहा था कि भगवान राम भारत के प्रभाव भी हैं, और प्रवाह भी हैं, नीति भी हैं और नियति भी हैं। और आज हम राजनीतिक दृष्टि से नहीं, आध्यात्मिक दृष्टि से कह सकते हैं कि भारत के सनातनी प्रवाह और वैश्विक प्रभाव के आधार स्तंभ मर्यादापुरुषोत्तम भगवान राम की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए नियति ने आपको चुना है। वास्तव में, प्रभु श्रीराम भारत की नियति हैं और नियति के साथ, वास्तविक मिलन अब हुआ है।
  • वास्तविकता में देखें तो कैबिनेट के सदस्यों के लिए यह अवसर जीवन में एक बार का अवसर नहीं, बल्कि अनेक जन्मों में एक बार का अवसर कहा जा सकता है। हम सभी सौभाग्यशाली हैं कि देश की सर्वोच्च समिति, कैबिनेट में इस अवसर पर हम सब विद्यमान हैं।
  • प्रधानमंत्री जी, आपने अपने कार्यों से इस राष्ट्र का मनोबल ऊंचा किया है और सांस्कृतिक आत्मविश्वास मजबूत किया है। प्राण-प्रतिष्ठा में जिस तरह का भावनात्मक जन-सैलाब हमने देशभर में देखा, भावनाओं का ऐसा ज्वार हमने पहले कभी नहीं देखा। हालांकि, जन-आंदोलन के रूप में हमने आपातकाल के समय भी लोगों के बीच में एकता देखी थी, लेकिन वह एकता तानाशाही के विरुद्ध, एक प्रतिरोधी आंदोलन के रूप में उभरी थी।
  • भगवान राम के लिए जो जन-आंदोलन हमें देखने को मिला, वह एक नए युग का प्रवर्तन है। देशवासियों ने शताब्दियों तक इसकी प्रतीक्षा की और आज भव्य राम मंदिर में भगवान राम की प्राण-प्रतिष्ठा के साथ एक नए युग का प्रवर्तन हुआ है। आज यह एक नया ‘नरेटिव सेट’ करने वाला जन-आंदोलन भी बन चुका है।
  • प्रधानमंत्री जी, इतना बड़ा अनुष्ठान तभी संपन्न हो सकता है, जब अनुष्ठान के कारक पर प्रभु की कृपा हो। जैसा कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है कि ‘जा पर कृपा राम की होई। ता पर कृपा करै सब कोई।।’ यानी जिस पर स्वयं श्रीराम जी की कृपा हो, उस पर सभी की कृपा होती है।
  • प्रधानमंत्री जी, श्रीराम जन्मभूमि का आंदोलन स्वतंत्र भारत का एकमात्र आंदोलन था, जिसमें पूरे देश के लोग एकजुट हुए थे। इससे करोड़ों भारतीयों की वर्षों की प्रतीक्षा और भावनाएं जुड़ी थीं। आपने 11 दिन का अनुष्ठान रखा और भारत में भगवान श्रीराम से जुड़े तीर्थों में तपस्या भाव से उपासना करके भारत की राष्ट्रीय एकात्मता को ऊर्जा प्रदान की। इस हेतु हम केवल कैबिनेट सदस्य के नाते ही नहीं, बल्कि एक सामान्य नागरिक के रूप में भी आपका अभिनंदन करते हैं।
  • प्रधानमंत्री जी जनता का जितना स्नेह आपको मिला है उसे देखते हुए आप जननायक तो हैं ही, परंतु अब इस नए युग के प्रवर्तन के बाद, आप नवयुग प्रवर्तक के रूप में भी सामने आए हैं। आपका कोटिश: साधुवाद, और भविष्य के भारत में हम सब आपके नेतृत्व में आगे बढ़ें, हमारा देश आगे बढ़े, इसके लिए आपको ढेर सारी शुभकामनाएं।
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