मद्रास हाई कोर्ट ने मंगलवार (30 जनवरी) को तमिलनाडु में बिना विभाग के मंत्री वी. सेंथिल बालाजी के पद पर बने रहने पर नाराजगी जाहिर करते हुए सवाल उठाए हैं। तमिलनाडु कैबिनेट में बिना विभाग के मंत्री के रूप में वी. सेंथिल को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार कर जेल भेजा था। वहीं कोर्ट ने जांच एजेंसी को अपना जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी करने के साथ-साथ बालाजी की जमानत याचिका को 14 फरवरी तक आगे की सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया है।
कोर्ट में न्यायमूर्ति एन. आनंद वेंकटेश ने मंत्री की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सवाल उठाते हुए, कहा कि 230 दिनों से ज्यादा समय तक जेल में रहने के बाद भी बिना विभाग के मंत्री के रूप में बालाजी के पद पर बने रहने का क्या औचित्य बनता है।
न्यायाधीश ने इस मामले में सवाल उठाने के साथ ही इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि किसी व्यक्ति के अधिक समय तक जेल में रहने के बाद भी कैबिनेट में बने रहने की इजाजत कैसे मिल सकती है। जबकि प्रदेश के अंतिम पंक्ति के कर्मचारी को भी एक आपराधिक मामले में 48 घंटे से ज्यादा समय तक जेल में रहने पर सेवा से निष्कासित माना जाता है। इसी के साथ उन्होंने कहा कि कानून हर एक के लिए बराबर है।
जज ने बालाजी की वकालत कर रहे वरिष्ठ वकील सी. आर्यमा सुंदरम से सवाल किया कि जब एक सरकारी कर्मचारी के मामले में बेहद गंभीरता दिखाई जाती है, तो आपके पास एक ऐसा व्यक्ति है जो जेल में लंबे समय से बंद है। इसके बावजूद वो मंत्री पद पर बना हुआ है। इससे आप पब्लिक को किस तरीके का संदेश दे रहे हैं ?
न्यायमूर्ति ने आगे कहा कि सिर्फ स्वास्थ्य के बेस पर दायर की गई बालाजी की पिछली जमानत याचिका को कैबिनेट में उनकी निरंतरता को ध्यान में रखते हुए अक्टूबर 2023 में हाई कोर्ट के न्यायाधीश जी. जयचंद्रन ने खारिज कर दिया था। न्यायमूर्ति ने कहा कि परिस्थिति में अभी भी कोई बदलाव नहीं हुआ है क्योंकि याचिकाकर्ता अभी भी बिना पोर्टफोलियो के मंत्री के पद पर बना हुआ है।
इसके बाद वकील सी. सुंदरम ने जवाब देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता अब इस मुख्य आधार पर जमानत की मांग कर रहा है, कि प्रवर्तन निदेशालय ने लगभग जांच पूरी कर ली है और जरूरी सभी दस्तावेज इकट्ठे कर लिए हैं। उन्होंने आग कहा कि यदी इस तरह भी याचिकाकर्ता के कैबिनेट में बने रहने का तर्क उनके खिलाफ रखा जाएगा, तो उच्च पद पर बैठे किसी भी शख्स के लिए जमानत ले पाना काफी कठिन हो जाएगा।
इसके बाद जज ने स्पष्ट रूप से कहा कि ये मामला ईडी नहीं उठा रहा, वे उठा रहे हैं। न्यायमूर्ति ने कहा कि विशेष लोक अभियोजक एन. रमेश ने जमानत याचिका पर अभी तक कुछ भी नहीं बोला है। जज ने कहा कि मैं हमेशा स्पष्टवादी होने में विश्वास करता हूं, इसलिए मैं बताऊंगा कि मेरे दिमाग में क्या है, जिससे आपके लिए ये बेहद आसान हो जाएगा।
उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि सितंबर 2023 में मुख्य न्यायाधीश संजय वी. गंगापुरवाला के नेतृत्व वाली हाई कोर्ट की पहली खंडपीठ ने भी कहा था, कि बिना पोर्टफोलियो वाला मंत्री एक संवैधानिक मजाक है। चाहे कानून किसी भी कोर्ट को इस तरह के मंत्री को हटाने का आदेश देने की अनुमति नहीं देता है।
अदालत ने कहा कि मंत्रिमंडल में उनके बने रहने के पीछे की राजनीति पर नहीं पड़ना है, लेकिन यह व्यवस्था के लिए बिल्कुल अच्छा संकेत नहीं है।
बतादें, सेंथिल बालाजी को साल 2023 में 14 जून को पिछले अन्नाद्रमुक शासन के दौरान परिवहन मंत्री के तौर पर उनके कार्यकाल में नौकरियों के बदले नकदी घोटाले के मामले में उनके आवास और राज्य सचिवालय में उनके मंत्रीस्तिरीय कक्ष पर ईडी की छापेमारी के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था। जिसके बाद वे पार्टी छोड़कर द्रमुक में शामिल हो गए थे। मई 2021 के विधानसभा चुनावों में पार्टी के सत्ता में आने के बाद उनको मंत्री बनाया गया था। सेंथिल बालाजी की कई बार जमानत याचिका खारिज हो चुकी है। पीएसजे कोर्ट 3 बार और हाई कोर्ट एक बार उनकी जमानत याचिका खारिज कर चुका है।
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