अयोध्या की तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है। यहां चल रहे विकास कार्य रोजगार के रास्ते खोल रहे हैं। आने वाले समय में यह नगरी प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ साबित होगी
अयोध्या में नवनिर्मित भव्य राम मंदिर में भगवान रामलला विराजमान हो गए हैं। रामनगरी को विश्वस्तरीय नगरी के रूप में विकसित करने के लिए 30.5 हजार करोड़ की 178 परियोजनाएं चल रही हैं, जिनमें से अधिकांश इस वर्ष पूरी हो जाएंगी। इन विकास कार्यों से पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में बदलाव आएगा और प्रत्येक क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। देश ही नहीं, पूरी दुनिया से श्रद्धालु भगवान राम के दर्शन के लिए आ रहे हैं।
मंदिर निर्माण से पहले तक अयोध्या में केवल चार क्षेत्रों, आध्यात्मिक पर्यटन, खुदरा बाजार, कुटीर व लघु उद्योग और सरकारी नौकरियों तक रोजगार के अवसर सीमित थे। लेकिन मंदिर निर्माण के बाद आध्यात्मिक-सांस्कृतिक पर्यटन, स्वास्थ्य सेवा, नॉलेज एवं इनोवेशन, खुदरा बाजार, पर्यटन बाजार, मिश्रित वाणिज्यिक गतिविधियां एवं एमएसएमई के क्षेत्र में रोजगार के अवसर सृजित होंगे। इसके अलावा, होटल, रेस्तरां, गेस्ट हाउस के साथ खानपान का छोटा-मोटा कारोबार करने वालों के लिए भी आय के नए द्वार खुलेंगे।
पांच साल में अयोध्या पूरी तरह से बदल गई है। 2018 के बाद से अब तक अयोध्या में जमीन औसतन पांच से 10 गुना तक महंगी हो चुकी है। रामनगरी में केवल दो साल में ही 80,000 रजिस्ट्री रामनगरी में हुई हैं। 2022-23 में 45,360 तथा 2023-24 में अब तक 34,043 रजिस्ट्री हो चुकी हैं, जिससे सरकार को क्रमश: 177.37 करोड़ रुपये और 162.79 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति हुई है। पहले यहां केवल दो ही धर्मशालाएं थीं, लेकिन अब कई आलीशान होटल खड़े हो गए हैं।
अयोध्या को हवाई और रेल मार्ग से पूरे देश के साथ जोड़ा जा रहा है। 1400 करोड़ रुपये की लागत से अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा बन कर तैयार हो चुका है। सड़कों का चौड़ीकरण किया जा रहा है। जर्जर कुंडों का पुनरुद्धार किया जा चुका है। अयोध्या में चल रहे विकास कार्यों से आसपास के जिलों को भी लाभ होगा। रामनगरी में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं, पर्यटकों के आने से खाद्य पदार्थों, सब्जियों सहित अन्य वस्तुओं की खपत बहुत बढ़ गई है।
अंतरराष्ट्रीय वैदिक सिटी बनेगी अयोध्या
अयोध्या में लगभग 7000 मंदिर हैं। यहां यहां इक्ष्वाकु, पृथु, मांधाता, हरिश्चंद्र, सगर, भगीरथ, रघु, दिलीप, दशरथ और प्रभु श्रीराम जैसे राजाओं ने राज किया है। इसलिए सरकार इसे आध्यात्मिक इको सिटी के रूप में विकसित करने पर बल दे रही है। उत्तर प्रदेश सरकार ने अयोध्या में आधुनिक बुनियादी ढांचे के साथ धार्मिक समारोहों के लिए वैदिक केंद्र बनाने की घोषणा की है।
हनुमानगढ़ी मंदिर : अयोध्या जी में हनुमानगढ़ी के आस-पास सड़क चौड़ीकरण परियोजना चल रही है। भक्तपथ नामक इस परियोजना के तहत सड़क को लगभग 14 मीटर चौड़ा और 800 मीटर लंबा किया जा रहा है।
श्रीनागेश्वरनाथ मंदिर : राम की पैड़ी स्थित इस मंदिर की स्थापना भगवान राम के पुत्र कुश ने की थी। मंदिर वास्तुकला के पैटर्न पर शहर के पुरातात्विक-ऐतिहासिक स्थलों एवं इमारतों का सौंदर्यीकरण किया जाएगा।
कनक भवन : हनुमानगढ़ी के पास स्थित कनक भवन अयोध्या का एक और महत्वपूर्ण मंदिर है। परियोजना के तहत इसे भी वास्तुकला के पैटर्न पर नए सिरे से तैयार किया जाएगा।
मणि पर्वत : पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित प्राचीन मणिपर्वत अयोध्या के प्रसिद्ध सावन झूला मेले का मुख्य आकर्षण है। मणिपर्वत की पौराणिकता को संरक्षित करने के लिए पुरातत्व विभाग ने 45 लाख रुपये आवंटित किए हैं। दूसरे चरण में मंदिर के मुख्य द्वार से लेकर अन्य परिसरों की मरम्मत कराई जाएगी।
छोटी देवकाली मंदिर : नया घाट के निकट स्थित इस मंदिर में माता सीता प्रतिदिन पूजा करती थीं। यह मंदिर राज्य सरकार की एकीकृत मंदिर सूचना प्रणाली का एक हिस्सा है।
राम की पैड़ी : राम की पैड़ी सरयू नदी के तट पर घाटों की एक शृंखला है, जिसके ऊपरी हिस्से पर बोल्डर लगाए गए हैं। ढलान पर पत्थरों के स्थान पर 15,000 से अधिक दर्शकों के बैठने की सुविधा वाली दर्शक दीर्घा का निर्माण किया जाएगा।
क्वीन हो मेमोरियल पार्क : यह स्मारक अयोध्या की राजकुमारी सुरीरत्ना की यात्रा को चित्रित करेगा, जिन्होंने कोरिया की यात्रा की थी और राजा किम सुरो से विवाह किया था। 48 ईस्वी में वह कोरिया में रानी हियो ह्वांग-ओक नाम से जानी गईं। कई कोरियाई नागरिक अपनी वंशावली राजकुमारी से जोड़ते हैं। यह पार्क सरयू नदी के तट पर 21 करोड़ रुपये के बजट से विकसित किया गया।
सरयू नदी : सरयू नदी के तट पर छह किलोमीटर लंबा रिवरफ्रंट बनाया जा रहा है। (अनुमानित लागत लगभग 300 करोड़ रुपये) अयोध्या विकास प्राधिकरण (एडीए) नदी में 10 सौर घाट जोड़ने की योजना बना रहा है। इसके साथ ही भ्रमण पथ का निर्माण, जो सरयू को राम मंदिर से जोड़ेगा (24 करोड़ आवंटित)। वहीं सरयू नदी के पास नया घाट और गुप्तार घाट के बीच 20 एकड़ जमीन पर लोटस फाउंटेन बनेगा।
सूरज कुंड : अयोध्या से 4 किलोमीटर दूर दर्शन नगर क्षेत्र में चौदह कोसी परिक्रमा मार्ग पर स्थित सूरज कुंड घाटों से घिरा एक बड़ा तालाब है। अयोध्या विकास प्राधिकरण ने सूरजकुड के जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण के लिए 35 करोड़ रुपये रखे हैं। कुंड के चारों ओर एक चारदीवारी बनाई जाएगी, जिस पर भगवान राम के जीवन से संबंधित पेंटिंग होंगी। एक वाटिका या बाग भी विकसित किया जाएगा, जहां लाइट एंड साउंड शो की शुरुआत हो चुकी है।
घाट और कुंड : शहर कुछ घाट और कुंड बहुत प्रसिद्ध हैं, जैसे-राज घाट, राम घाट, लक्ष्मण घाट, तुलसी घाट, नया घाट, स्वर्गद्वार घाट, जानकी घाट, विद्या कुंड, विभीषण कुंड, दंत धवन कुंड, सीता कुंड आदि। शहर के 108 से अधिक तालाबों का जीर्णोद्धार किया जा रहा है।
गुप्तार घाट : सरयू के इसी घाट पर भगवान राम ने जल समाधि ली थी। गुप्तार घाट का स्वरूप बदलने के लिए 40 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। 24 मीटर चौड़ी नई लिंक रोड, 430 वाहनों के लिए पार्किंग स्थल और गुप्तार घाट के साथ 1.15 किमी लंबे तटबंध का निर्माण पूरा हो चुका है।
भरत कुंड : यह अयोध्या विकास योजना का हिस्सा है। यहां एक मंदिर परिसर है, जिसमें एक जल स्रोत भी है, जिसे पुनर्जीवित किया गया है। अब यह भगवान राम की विशेषता वाले एक लेजर और ध्वनि शो की भी मेजबानी करेगा। यह पवित्र कुंड अयोध्या से 20 कि.मी. दूर है। माना जाता है कि भरत ने भगवान राम के वनवास से लौटने के लिए यहीं तपस्या की थी और भगवान राम की ओर से अयोध्या का राजकाज संभाला था।
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