प्राण प्रतिष्ठा समारोह में ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास’ के महासचिव चंपत राय ने मंदिर निर्माण को लेकर अनेक बारीकियों के बारे में विस्तार से बताया।
श्रीराम मंदिर के निर्माण के लिए देश के भिन्न-भिन्न स्थानों से सामग्री जुटाई गई। छत्तीसगढ़ से अनाज, चिउड़ा, सोना-चांदी, फल, मेवे, वस्त्र आए हैं। जोधपुर के संत-महात्मा छह कुंतल घी बैलगाड़ियों पर लादकर लाए। इसके अलावा देश के अन्य भागों से भी घी प्राप्त हुआ है। मंदिर के निर्माण के प्रारंभ में जमीन के अंदर मजबूती देने के लिए जिस गिट्टी का इस्तेमाल हुआ, वह मध्य प्रदेश के छत्तरपुर से आई है। रायबरेली, ऊंचाहार से राख आयी है। ग्रेनेनाइट तेलंगाना, कर्नाटक से आया है।
मंदिर का पत्थर राजस्थान के भरतपुर जिले का है। सफेद रंग का मारबल राजस्थान के मकराना से लाकर लगाया गया है। मंदिर के दरवाजों की लकड़ी महाराष्ट्र के बल्लारशाह की है। मुंबई के एक हीरा व्यापारी की ओर से मंदिर में लकड़ी के दरवाजों पर सोना चढ़ाया गया है। भगवान श्रीराम की मूर्ति जिस पत्थर से बनी है, वह कर्नाटक का है। यह मूर्ति जिस कारीगर ने बनायी है वह मैसूर के अरुण योगीराज हैं, जिनकी आयु 41 साल है। केदारनाथ में लगाई गई शंकराचार्य जी की प्रतिमा और दिल्ली के इंडिया गेट पर लगाई गई सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा भी इन्हीं अरुण योगीराज ने बनायी है।
मंदिर के दरवाजों की लकड़ी महाराष्ट्र के बल्लारशाह की है। मुंबई के एक हीरा व्यापारी की ओर से मंदिर में लकड़ी के दरवाजों पर सोना चढ़ाया गया है। मंदिर में लकड़ी के दरवाजों की नक्काशी का काम हैदराबाद के अनुराधा टिम्बर ने किया है और उनके सभी कारीगर तमिलनाडु के कन्याकुमारी के रहने वाले हैं। भगवान श्रीराम की मूर्ति जिस पत्थर से बनी है, वह कर्नाटक का है
मंदिर के सामने दो हाथी, दो गज, सिंह, हनुमान जी, गरुढ़ की मूर्ति जयपुर के मूर्तिकार सत्यनारायण पांडे ने बनायी है। मंदिर में लकड़ी के दरवाजों की नक्काशी का काम हैदराबाद के अनुराधा टिम्बर ने किया है और उनके सभी कारीगर तमिलनाडु के कन्याकुमारी के रहने वाले हैं। मार्बल के काम में राणा मार्बल, धूत, नकोड़ा और रमजान भाई का सर्वाधिक योगदान रहा है।
भगवान के वस्त्र दिल्ली के एक नवयुवक मनीष त्रिपाठी ने अपने हाथ से यहीं पर बैठकर तैयार किए हैं। प्रभु श्रीराम के आभूषण लखनऊ की एक कंपनी ने जयपुर से बनवाकर यहां भेंट स्वरूप दिए हैं। जटायु का का निर्माण भी एक परंपरागत मूर्ति निर्माण करने वाले रामवण सुथार परिवार ने किया है। प्रभु श्रीराम का मंदिर अपने आप में अनोखा है।
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