उत्तराखंड के राजनीतिक प्रशासनिक गलियारों में इन दिनों एक ही चर्चा सुनाई दे रही है कि समान नागरिक संहिता का बिल कब आएगा? इस चर्चा का अंत आज सीएम पुष्कर सिंह धामी के ट्वीट से हो गया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि यूसीसी के गठित पूर्व जस्टिस रंजना देसाई समिति अपनी रिपोर्ट 2 फरवरी को सरकार को सौंपने जा रही है।
राजनीतिक विद्वान और शासन के अधिकारियों में इस बात को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि यूसीसी के बनाई गई पूर्व जस्टिस रंजना देसाई की समिति का कार्यकाल दो हफ्ते के लिए बढ़ाया गया है इसलिए अगले कुछ दिन में ही उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल को लागू करने की कवायद पूरी हो जाएगी। इन चर्चाओं पर आज विराम लग गया है।
उत्तराखंड विधानसभा का सत्र, अध्यक्ष ऋतु खंडूरी द्वारा 5 फरवरी को बुलाया गया है, कुछ दिन पहले अध्यक्ष खंडूरी द्वारा सीएम धामी से मुलाकात भी की गई थी। माना जा रहा है सत्र से पूर्व धामी कैबिनेट की एक बैठक भी बुलाई जा सकत है। जिसमें विधानसभा में लाए जाने वाले बिलों पर फैसला होगा। ऐसा कहा जा रहा है कि उससे पहले इसे ड्राफ्ट रिपोर्ट का विधिक परीक्षण भी कराया जा सकता है और इसके बाद इस पर कैबिनेट का अनुमोदन होगा फिर इसे विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा।
जैसे की परंपरा है कि विधानसभा पांच को पूर्व विधायकों को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए स्थगित की जा सकती है, मंगलोर से बसपा के विधायक सरबत करीम अंसारी का निधन कुछ माह पूर्व हुआ था। इसके अलावा अविभाजित यूपी के दो अन्य पूर्व विधायकों को भी श्रद्धांजलि दी जाएगी।
ऐसे में यूसीसी का बिल 6 फरवरी अथवा उसके बाद ही विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा और इसके पारित होने से पूर्व इस पर चर्चा कराई जा सकती है, ये विधानसभा अध्यक्ष पर निर्भर है। परंपरा के अनुसार विधानसभा अध्यक्ष सत्र से पूर्व सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से चर्चा कर सदन का एजेंडा भी तय करती है। विपक्षी दल का रुख यूसीसी पर सकारात्मक रहेगा या नकारात्मक ये विषय भी देखा जाएगा, विपक्षी दल इस ड्राफ्ट बिल का अध्ययन करने अथवा उसे संसदीय कमेटी के द्वारा अध्ययन करने के बाद पास करने की मांग भी कर सकती है। इस पर निर्णय लेना विधानसभा अध्यक्ष पर निर्भर करेगा।
हालंकि, बहुमत के आधार पर सरकार को अपने विधेयक पास कराने में कोई परेशानी सामने आने वाली नहीं है, ये बात विपक्ष भी भली भांति जानता है। बहरहाल उत्तराखंड की राजनीति में अगले दो सप्ताह बेहद महत्वपूर्ण होने वाले हैं।
सीएम धामी का मास्टर स्ट्रोक था यूसीसी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिछले विधानसभा चुनाव में मतदान से ठीक पहले उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने का मास्टर स्ट्रोक खेला था और कहा था उनकी सरकार लौटेगी तो पहला निर्णय राज्य में यूसीसी लागू करने का लेगी और धामी कैबिनेट ने पहला निर्णय ये लिया भी और उसके बाद पूर्व जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में कमेटी बनाकर अपने इरादे स्पष्ट कर दिए। कमेटी ने दो लाख से अधिक लोगों से सुझाव लेकर यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। जिसे वो धामी सरकार को सौंपने वाली है।
सीएम पुष्कर सिंह धामी के हर संबोधन में यूनिफॉर्म सिविल कोड का जिक्र अवश्य होता है। मुख्यमंत्री धामी कहते हैं कि यूसीसी सीमांत उत्तराखंड जैसे राज्य के बेहद जरूरी हैं, एक देश एक कानून की अवधारणा को वो लागू करने जा रहे हैं, सुप्रीम कोर्ट भी एक देश एक कानून की बात कहता आया है और ये विषय बीजेपी के राष्ट्रीय एजेंडे में भी शामिल रही है। सीएम धामी कहते हैं उत्तराखंड देव भूमि है राष्ट्रीय सोच विचारधारा वाली भूमि है। यहां अलग-अलग कानून नहीं होंगे, एक ही कानून होगा जिसे हर नागरिक को मानना होगा।
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