श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा से अयोध्या आने वाले महंत नृत्यगोपाल दास अपने राममय जीवन के लिए जाने गए। वह शुरू से श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के स्तंभ रहे और श्रीराम जन्मभूमि न्यास के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में आंदोलन को आगे बढ़ाया। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद अयोध्या में राम मंदिर बनने का काम भी उन्हीं की अगुआाई में शुरू हुआ।
मणिरामदास छावनी के सर्वेसर्वा महंत नृत्यगोपाल दास ने राम मंदिर के लिए सड़क से लेकर न्यायालय तक संघर्ष किया। अयोध्या में जब भी कारसेवा का आयोजन हुआ, उन्होंने साधु-संतों, महंतों से लेकर कारसेवकों तक को, हर आवश्यक सुविधा उपलब्ध कराईं।
1 फरवरी, 1986 को श्रीराम जन्मभूमि का ताला खुला था। उसके बाद शिला पूजन और शिलान्यास में महंत जी ने प्रमुख भूमिका निभाई। 1989 में महंत जी श्रीराम जन्मभूमि न्यास के उपाध्यक्ष बने। 26 मार्च, 2003 में दिल्ली में सत्याग्रह का आयोजन किया गया था और तब उसके पहले जत्थे का नेतृत्व कर परमहंस रामचंद्र दास के साथ गिरफ्तारी देने वालों में नृत्य गोपाल दास भी थे।
वर्ष 2003 में परमहंस रामचंद्र जी के महाप्रयाण के बाद नृत्यगोपाल दास को न्यास का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया। महंत जी की अगुआई में ही मंदिर के लिए पत्थरों को तराशने का काम तेज हुआ। नृत्यगोपाल दास दशकों तक राम मंदिर आंदोलन के संरक्षक की भूमिका में भी रहे। बिना लाग-लपेट अपनी बात रखने के लिए जाने जाने वाले नृत्यगोपाल दास राम मंदिर निर्माण को भारत के स्व की पुनर्स्थापना के एक पड़ाव की तरह देखते हैं।
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