ASI रिपोर्ट के बाद कोई समझौता नहीं, मुस्लिम खुद ही मंदिर हिन्दुओं को सौंप दें: ज्ञानवापी पर बोले विष्णु शंकर जैन
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ASI रिपोर्ट के बाद कोई समझौता नहीं, मुस्लिम खुद ही मंदिर हिन्दुओं को सौंप दें: ज्ञानवापी पर बोले विष्णु शंकर जैन

विष्णु शंकर जैन ने कहा कि एएसआई के सर्वे से ये साफ हो चुका है कि मंदिर को तोड़कर ही मस्जिद का निर्माण कराया गया था।

by Kuldeep singh
Jan 26, 2024, 01:36 pm IST
in भारत
Gyanvapi

ज्ञानवापी परिसर

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भारत में मंदिरों की आजादी की लड़ाई लड़ रहे वरिष्ठ वकील विष्णु शंकर जैन ने ज्ञानवापी ढांचे के मामले में बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि एएसआई की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद अब हिन्दू कोई समझौता नहीं करेंगे। इस मामले का समाधान केवल एक ही है कि मुस्लिम पक्ष मंदिर को खुद ही हिन्दुओं को सौंप दे। उन्होंने कहा कि हम कोर्ट के माध्यम से अपना मंदिर हासिल करेंगे।

विष्णु शंकर जैन ने कहा कि जल्द ही ज्ञानवापी परिसर हमारा होगा। एएसआई के सर्वे में अब ये स्पष्ट हो चुका है कि मंदिर को तोड़कर ही मस्जिद का निर्माण किया गया था। अब केवल ज्ञानवापी परिसर में स्थित वजू खाना बचा है, जिसकी एएसआई सर्वे कराने की मांग की जाएगी। उल्लेखनीय है कि पिछले साल 18 दिसंबर को एएसआई ने सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट को वाराणसी जिला कोर्ट में सबमिट किया था। 839 पन्नों वाली इस रिपोर्ट में क्लियर मेंशन किया गया है कि 17वीं सदी में मंदिर को तोड़कर मुगल आक्रांताओं ने मस्जिद का निर्माण किया था।

इस मामले में गुरुवार को एएसआई की रिपोर्ट को पब्लिक किया गया, जिसके अनुसार मंदिर को तोड़कर वहां पर गुम्बद बनाया गया था।  मंदिर के ऊपर बनाया गया गुम्बद करीब 350 वर्ष पुराना है, जबकि मंदिर की दीवार नागर शैली की हैं। नागर शैली सातवीं शताब्दी की है। यह शैली पल्लव काल में शुरू हुई थी और चोल काल में और अधिक विकसित हुई थी। एएसआई ने कहा है, “यह कहा जा सकता है कि गुम्बद के निर्माण के पहले एक हिन्दू मंदिर अस्तित्व में था।”  एएसआई अपने सर्वे में इस नतीजे पर पहुंची है कि वहां पर मंदिर को तोड़कर गुम्बद बनाया गया था। अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया, “सर्वे रिपोर्ट का अभी अध्ययन किया जा रहा है। फिलहाल जानकारी के आधार पर पिछली दीवार पर ब्रह्म कमल,  स्वास्तिक एवं मंदिर के अन्य प्रमाण एएसआई को मिले हैं।”

सर्वे में यह स्पष्ट हो गया है कि मंदिर को तोड़ा गया था। एएसआई रिपोर्ट से साफ़ हो गया है कि मंदिर को तोड़कर वहां पर गुम्बद का निर्माण किया गया था। भारत में अधिकतर मंदिरों को तोड़कर मुग़ल आक्रान्ताओं ने उसके ऊपर ढांचा बना दिया था। उस समय मुग़ल आक्रान्ताओं ने सनातन धर्म पर प्रहार करने की नीयत से इस प्रकार का कार्य किया था। मुग़ल आक्रान्ताओं ने हिन्दू धर्मावलम्बियों को नीचा दिखाने के लिए मंदिरों को तोड़ा था।

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उल्लेखनीय है कि नवंबर 1993 से श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा पर रोक लगाई गई थी। तब से लेकर वर्ष 2004 तक हिन्दू पक्ष ने इसके बारे में कोई आवाज नहीं उठाई। वर्ष 2004 में हिन्दू संगठनों के विरोध करने पर वर्ष में मात्र एक दिन नवरात्रि के चतुर्थी पर पूजा की अनुमति दी गई थी। 18 अगस्त 2021 को राखी सिंह समेत 5 महिलाओं ने वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन के न्यायालय में याचिका दाखिल की। याचिका में मांग की गई कि श्रृंगार गौरी की नियमित दर्शन पूजन की अनुमति दी जाय और परिसर में अन्य देवी देवताओं के विग्रहों को सुरक्षित किया जाय।

ज्ञानवापी परिसर के रकबा नंबर-9130 के लिए 26 अप्रैल 2022 को वाराणसी जनपद न्यायालय के सिविल जज सीनियर डिवीजन ने अजय मिश्र को अधिवक्ता आयुक्त नियुक्त किया। हिन्दू पक्ष के प्रार्थना पत्र पर न्यायालय ने ज्ञानवापी परिसर के अंदर वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी करा करके रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। इस मामले में पहली बार 6 मई 2022 को पहली बार अधिवक्ता आयुक्त के साथ वादी और प्रतिवादी पक्ष ने कुछ हिस्सों का दो घंटे तक सर्वे किया गया था।

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