स्वामी वामदेव वर्ष 1986 में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े। श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के प्रमुख शिल्पकार अशोक सिंहल स्वामी वामदेव जी से सलाह लिया करते थे। स्वामी जी भी सदैव अशोक सिंहल जी के साथ खड़े रहते। वह कहा करते- अशोक सिंहल जी हमारे सेनापति हैं, जहां ले चलेंगे, जाऊंगा। बात 1989-90 की है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने ऐलान कर रखा था कि ‘अयोध्या में परिंदा भी पर नहीं मार सकता’। उस समय स्वामी वामदेव जी अपने कुछ शिष्यों के साथ विहिप के तत्कालीन केंद्रीय उपाध्यक्ष ओम प्रकाश सिंहल जी के घर ठहरे हुए थे। उन्हें कहीं जाना था और वातावरण तनावपूर्ण था।
ओम प्रकाश जी ने स्वामी जी से कहा- हम गाड़ी से चलेंगे, लेकिन मेरा सुझाव है कि आप वेश बदल लें… मैं आपके लिए धोती, कुर्ता और टोपी लेकर आता हूं। लेकिन स्वामी जी ने यह कहते हुए वेश बदलने से इनकार कर दिया कि ‘हम अपने काम के लिए तो जा नहीं रहे! जिसके काम के लिए जा रहे हैं, वही हमारी रक्षा करेगा।’ओम प्रकाश सिंहल अपनी कार में स्वामी जी के साथ चल पड़े। रास्ते में अनुमान के अनुसार ही कार को पुलिस ने रोका। अंदर झांका, स्वामी जी से आंखें मिलीं।
स्वामी जी के तेज के आगे पुलिस अधिकारी जैसे जड़ हो गए। उन्हें कुछ समझ में नहीं आया कि क्या करें और उन्होंने गाड़ी को जाने दिया। बीस से भी अधिक वर्षों तक विश्व हिंदू परिषद के कार्यवाहक अध्यक्ष रहे अशोक सिंहल को जब भी किसी तरह की कोई दुविधा होती, वह स्वामी जी से सलाह लेते।
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