कर्णावती। “क्राइम के फॉर्म, मोड और मेथड बदल रहे हैं तब केंद्र सरकार न्याय को अवेलेबल, अफॉर्डेबल और एक्सेसिबल बनाने के लिए कार्यरत है। पुलिस को अपराध और अपराधियों से दो जेनरेशन आगे रहने की जरूरत है तब टेक्नोलॉजी और फॉरेंसिक साइंस के इंटीग्रेशन से यह संभव हो पाएगा” ऐसा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने गुजरात के गांधीनगर में नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के समारोह को संबोधित करते हुए कहा।
गांधीनगर में नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी (NFSU) और इंडियन सोसाइटी ऑफ़ क्रिमिनोलॉजी द्वारा पांचवा अंतरराष्ट्रीय और 44वां अखिल भारतीय अपराध विज्ञान सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन को संबोधित करते हुए अमित शाहने कहा कि, अंग्रेजों की गुलामी के प्रतीक समान आईपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस एक्ट जैसे डेढ़ सौ साल पुराने कानून को भारत ने स्क्रैप करके भारतीय न्यायसंहिता, भारतीय सुरक्षा और साक्ष्य संहिता देश के समक्ष रखी है। समय पर न्याय मिले, सजा की दर बढाकर अपराधों पर शिकंजा कसा जाए एवं इन्वेस्टिगेशन को सरल बनाने के लिए टेक्नोलॉजी की स्वीकृति के साथ कानूनी व्यवस्था को ज्यादा मजबूत बनाने के लिए केंद्र सरकार कदम उठा रही है। फॉरेंसिक बिहेवियरल साइंस उभरता हुआ क्षेत्र है। अपराध को रोकने के लिए प्रशासन और न्याय तंत्र की भूमिका जितनी महत्वपूर्ण है बिहेवियरल साइंस की भूमिका भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। अमित शाह ने कहा कि आने वाले दिनों में अन्य नौ राज्यों में NFSU खोलकर उसका दायरा बढ़ाया जाएगा। 5 साल के बाद हर साल 9000 से ज्यादा फोरेंसिक एक्सपर्ट देश को मिलेंगे। वर्ष 2047 में भारत की आजादी को 100 वर्ष पूर्ण होने पर भारत हर एक क्षेत्र में सर्वप्रथम हो ऐसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ 140 करोड़ भारतीय योग का भी संकल्प है। आने वाले 5 सालों में भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली विश्व की सबसे आधुनिक क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम होगी ऐसा विश्वास अमित शाह ने व्यक्त किया।
देश में फॉरेंसिक साइंटिस्ट के रूप में 50 सालों तक लंबी सेवा देने के लिए नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर पद्मश्री जे एम व्यास का अमित शाह ने अभिनंदन किया। गांधीनगर के इस कार्यक्रम के बाद अमित शाह भावनगर के सोनगढ़ पहुचे जहां उन्होंने दिगंबर जैन स्वाध्याय मंदिर में आयोजित आदिनाथ दिगंबर पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में भाग लिया।
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