जन्मभूमि के लिए आस्था और संघर्ष की इस यात्रा में दिसंबर 1992 की उस कारसेवा पर राजनीति की बिसात भी बिछ गई थी। प्रधानमंत्री नरसिंहराव विनय कटियार से सीधे संपर्क में थे। कटियार ने राव को आश्वस्त भी किया था कि कोई गड़बड़ी नहीं होगी।
विनय कटियार राम मंदिर आंदोलन की अगली पंक्ति के नेताओं में रहे हैं। 1992 में जब कारसेवा की रणनीति बनी, तब कौन-कब-कहां गिरफ्तार हो जाए, कहा नहीं जा सकता था। उस स्थिति में आंदोलन के नेतृत्व का संभावित विकल्प तैयार करना आवश्यक था और इस क्रम में कटियार का स्थान अशोक सिंहल, मोरोपंत पिंगले के बाद तीसरा था। विनय कटियार के जोश और तर्कभरे भाषण लोगों में नया उत्साह भर देते थे।
विनय कटियार का जन्म 11 नवंबर, 1954 को उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुआ। 1982 में ‘हिंदू जागरण मंच’ और 1984 में ‘बजरंग दल’ की स्थापना करने वाले विनय कटियार चार बार सांसद रहे। उन्होंने उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष समेत संगठन में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं। रामजन्मभूमि स्थल के पास ही कनक भवन के पीछे स्थित उनका घर ‘हिंदू धाम’ कारसेवा के समय गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण केंद्र था।
जन्मभूमि के लिए आस्था और संघर्ष की इस यात्रा में दिसंबर 1992 की उस कारसेवा पर राजनीति की बिसात भी बिछ गई थी। प्रधानमंत्री नरसिंहराव विनय कटियार से सीधे संपर्क में थे। कटियार ने राव को आश्वस्त भी किया था कि कोई गड़बड़ी नहीं होगी। कटियार कहते हैं, ‘समाज ने सदियों तक प्रतीक्षा की। लाखों ने बलिदान दिया। लेकिन जब उसका धैर्य टूटा, तो कोई बांध काम न आया।’
अयोध्या, काशी और मथुरा की मुक्ति को आवश्यक मानने वाले कटियार कहते हैं, ‘धार्मिक-आध्यात्मिक दृष्टि से संवेदनशील मामले में समाज सहमति बनाए तो श्रेष्ठ होता है। अयोध्या में चूक गए मुस्लिम समुदाय के सामने काशी और मथुरा एक अवसर के समान हैं।’
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