नाम है मणि शंकर अय्यर। हैं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और देश के पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे। काम-सत्ता परिवर्तित होते ही इतने बौखला गए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सत्ता से हटाने के लिए पाकिस्तान पहुंच गए थे। अब इन्हीं मणि शंकर अय्यर ने एक किताब लिखी है, जिसका नाम है ‘द राजीव आइ न्यू एंड व्हाई ही वाज इंडियाज मोस्ट मिसअंडरस्टुड प्राइम मिनिस्टर’। इस में राम मंदिर के बनने और बाबरी ढांचे को ढहाए जाने को लेकर अय्यर ने अपनी पीड़ा की है। इसके साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के इस्लामिक तुष्टिकरण का बचाव किया गया है।
अपनी इस किताब में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता लिखते हैं, “अगर राजीव गांधी जिंदा होते और नरसिम्हाराव की जगह प्रधानमंत्री होते तो बाबरी मस्जिद आज भी खड़ी होती। भाजपा को उचित जवाब दिया गया होता और उन्होंने भी वैसा ही कोई समाधान निकाला होता जैसा सुप्रीम कोर्ट ने वर्षों बाद निकाला।” अय्यर ने दावा किया, “वह (गांधी) कह रहे थे कि मस्जिद रखो और मंदिर बनाओ। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर बनाओ और मस्जिद कहीं और बनाओ। एक तरह से, फैसला वही निष्कर्ष है जिस पर राजीव आ रहे थे।”
अय्यर की यह किताब मुख्य रूप से 31 अक्टूबर 1984 से 2 दिसंबर 1989 तक के राजीव गांधी के कार्यकाल पर केंद्रित है। इसमें अय्यर ने केवल चापलूसी करने की कोशिश की है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर बन गया है। 2 दिन बाद प्राण प्रतिष्ठा होनी है, मुस्लिम तुष्टिकरण के कारण कांग्रेस ने शामिल होने से इनकार कर दिया है। लेकिन अब डैमेज कंट्रोल करने के लिए कुछ तो करना था तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के धुर विरोधी मणिशंकर अय्यर को आगे कर दिया। इसके लिए मणिशंकर अय्यर ने एक किताब लिख डाली। शायद उन्होंने सोचा होगा कि मीडिया में आकर बोलेंगे तो एक घंटे में सारी चीजें गायब हो जाएंगी, तो इससे अच्छा है कि एक किताब ही लिख डालो। अय्यर भी खुश आलाकमान भी खुश।
डैमेज कंट्रोल करते हुए अय्यर ने अपनी किताब में दावा किया, “अयोध्या में वर्ष 1986 में बाबरी मस्जिद के गेट का ताला खुलवाने में राजीव शामिल नहीं थे, वो तो कांग्रेस इसके लिए जिम्मेदार थी। अरुण नेहरू जो उस समय पार्टी में काफी ताकतवर थे, उन्होंने राजीव गांधी को बिना बताए बाबरी मस्जिद के ढांचे का ताला खुलवा दिया। भाजपा ने अरुण नेहरू को कांग्रेस में ‘प्लांट’ करवाया था।”
किताब में अय्यर ने यह भी दावा किया, “संसद में 400 सीटों के साथ राजीव गांधी के पास मुसलमानों या हिन्दुओं को खुश करने के लिए कोई कारण नहीं था।”
लेकिन समझने वाली बात ये है कि मणिशंकर अय्यर जिस कांग्रेस की वंदना इस किताब के जरिए करने की कोशिशें कर रहे हैं, शाह बानो केस में राजीव गांधी को डिफेंड करने की कोशिशें कर रहे हैं। इसी 400 सीटों के साथ संसद में होने वाली कांग्रेस के नेता रहे राजीव गांधी ने कट्टरपंथी मानसिकता से सने मुस्लिमों को खुश करने के लिए मुस्लिम समुदाय की ही शाह बानो के साथ अन्याय किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक पीड़ित शाह बानो के मामले में उसके शौहर मोहम्मद अहमद खान को उसे हर महीने गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था। जबकि, पेशे से वकील अहमद खान ने अदालत में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का हवाला देते हुए कहा कि वो तलाकशुदा को ‘इद्दत से मुद्दत’ यानी करीब तीन महीने तक ही गुजारा भत्ता दे सकते हैं। हालांकि, राजीव गांधी मुस्लिम तुष्टिकरण में कुछ इस तरह से डूबे कि उन्होंने संसद में कानून बनाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ही पलट दिया। इस्लामिक कट्टरपंथियों की तुष्टिकरण के खुमार ने सुप्रीम कोर्ट में केस जीती शाह बानो हार गईं।
ऐसे में मणिशंकर अय्यर अगर यह कहते हैं कि अगर राजीव गांधी जिंदा होते तो ‘बाबरी मस्जिद’ कभी नहीं तोड़ी जाती तो ये कांग्रेस की इस्लामिक तुष्टिकरण की ही राजनीति को दर्शाती है। यहीं नहीं अब जब राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है और कांग्रेस के उसमें नहीं जाने के फैसले की भी तारीफ मणिशंकर अय्यर ने की है। यहां समझने वाली बात ये है कि राम मंदिर के फैसले को सबसे पहले लेफ्ट ने ठुकराया था। लेकिन, जब केरल की ही कांग्रेस की सहयोगी मुस्लिम लीग ने कांग्रेस को एक बार चेतावनी दी तो उसने तुरंत राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में नहीं जाने का फैसला कर लिया।
अपनी किताब में मणिशंकर अय्यर ने केवल कांग्रेस का महिमा मंडन और राम मंदिर के मामले में कांग्रेस के डैमेज कंट्रोल की कोशिश की है।
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