सैकड़ों साल के संघर्ष के बाद अयोध्या में स्वर्णिम श्रीराम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा के धार्मिक अनुष्ठान 16 जनवरी से शुरू हो गए हैं। रामलला के प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान का गुरुवार को तीसरा दिन है। रामलला की प्रतिमा को राम मंदिर में ले जाकर रखा गया है। इस दौरान राम यंत्र की स्थापना भी की गई है। वहीं अभी रामलला की प्रतिमा गर्भगृह में निर्धारित आसन पर स्थापित करने के साथ तीर्थ पूजन, जल यात्रा, जलाधिवास और गंधाधिवास होगा, फिर 19 जनवरी की सुबह औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास और शाम को धान्याधिवास होगा।
नए मंदिर के गर्भगृह में ही रखे जाएंगे 70 वर्षों से पूजित रामलला की प्रतिमा
भगवान श्रीराम की मूर्ति को ‘गर्भगृह’ में रखा गया है। अब इंतजार है प्राण प्रतिष्ठा की, लेकिन उसके पहले और संस्कार किए जाने हैं। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा तक प्रत्येक दिन अनुष्ठान होते रहेंगे। रामलला की प्रतिमा को गर्भगृह में निर्धारित आसन पर स्थापित करने के साथ पिछले 70 वर्षों से पूजित वर्तमान प्रतिमा को भी नए मंदिर के गर्भगृह में ही रखा जाएगा।
जानें आगे की पूजा के विधि विधान
20 जनवरी को राम मंदिर परिसर में शर्करादिवास, फलाधिवास, पुष्पधिवास का कार्यक्रम होगा। साथ ही इस दिन अलग-अलग नदियों के जल से मंदिर को पवित्र किया जाएगा। गर्भगृह में 21 जनवरी को मध्याधिवास, शैय्याधिवास होगा। इसके बाद 22 जनवरी को रामलला की विग्रह पूजा होगी और रामलला की आंखों से पट्टी खोली जाएगी, जिसके बाद रामलला को दर्पण दिखाया जाएगा और उन्हें काजग किया जायेगा। दोपहर में मृगशिरा नक्षत्र में प्रधानमंत्री मोदी के हाथों रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी, जिसके बाद मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा। तीर्थ क्षेत्र ने जानकारी देते हुए बताया कि सभी शास्त्रीय परंपराओं का पालन करते हुए प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम अभिजीत मुहूर्त में संपन्न किया जाएगा।
25 वाद्य यंत्रों के मंगलवादन से होगा रामलला का अभिनंदन
उत्तर प्रदेश के पखावज, बांसुरी और ढ़ोलक, कर्नाटक की वीणा, महाराष्ट्र की सुंदरी, पंजाब के अलगोजा, उड़ीसा के मर्दल, मध्यप्रदेश के संतूर, मणिपुर के पुंग, असम के नगाड़ा, काली, छत्तीसगढ़ के तंबूरा, बिहार के पखावज, दिल्ली की शहनाई, राजस्थान का रावणहत्था, पश्चिम बंगाल का श्रीखोल, सरोद, आंध्रप्रदेश का घटम, झारखंड का सितार, गुजरात का संतार, तमिलनाडु का नागस्वरम, तविल और मृदंगम, उत्तराखंड का हुड़का। प्राण प्रतिष्ठा से पहले मंगल ध्वनि गुंजायमान होगी। विभिन्न राज्यों के 25 प्रमुख और दुर्लभ वाद्ययंत्रों के मंगल वादन से अयोध्या में यह प्रतिष्ठा महोत्सव होगा।
मूर्त रूप ले रही राष्ट्र मंदिर की परिकल्पना
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि राम मंदिर निर्माण से राष्ट्र मंदिर की परिकल्पना मूर्त रूप ले रही है। सदियों का संघर्ष साकार हो रहा है, हम सभी इसके साक्षी बने हैं। 22 जनवरी को अयोध्या त्रेतायुगीन वैभव का अहसास कराएगा। पूरी दुनिया में विशेष निमंत्रण भेजा जाता है। पूरा ब्रह्मांड यही है। सर्व देवता (सभी देवता) यहीं हैं। सर्व देवता स्वरूपम श्रीराम यहां हैं। भावना यह है कि अयोध्या ने सार्वभौमिक शांति और प्रेम फैलाया है। यह प्रेम का अवतार है। भावना विश्व शांति और व्यक्तिगत शांति की है।
सौजन्य – सिंडिकेट फीड
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