बात भारत की Confluence: भिक्षा यात्रा में जातियों में विभक्त हिन्दू समाज को एक कर 57 लाख लोगों को जोड़ा: स्वामी दीपांकर
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बात भारत की Confluence: भिक्षा यात्रा में जातियों में विभक्त हिन्दू समाज को एक कर 57 लाख लोगों को जोड़ा: स्वामी दीपांकर

स्वामी दीपांकर ने राम मंदिर को लेकर कहा कि पहले राम लला का टेंट बदलने के लिए तक मजिस्ट्रेट की इजाजत लेनी पड़ती थी।

by Kuldeep singh
Jan 15, 2024, 01:15 pm IST
in भारत
Panchjnaya confluence Swami deepankar Sanatan Dharma

स्वामी दीपांकर

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स्वामी दीपांकर ने कहा कि जब बात भारत की होती है तो बहुत ही प्रसन्नता होती है। सबसे खुशी की बात ये है कि 22 तारीख को हम सब राम लला के दर्शन कर पाएंगे। पहले तुलसी का पत्ता भी वहां तक पहुंचते हुए बासी हो जाता था, अगर टेंट बदलना होता था तो मजिस्ट्रेट की परमीशन लेनी पड़ती थी। वस्त्र बदलने के लिए चार बार सोचना पड़ता था। लेकिन आज मेरे राम लला टाट से ठाट में जा रहे हैं। उन्होंने ये बातें पाच्ञजन्य के कॉन्फ्लुएंस में कहीं।

इस मौके पर अपनी भिक्षा यात्रा के संबंध में बोलते हुए स्वामी दीपांकर ने कहा कि आज वाकई बड़ा ही गर्व प्रतीत होता है जब बात भारत की हो और सनातन की हो। सनातनी गर्व से स्वयं को हिन्दू कह पाए तो हम लोगों के गर्व की कोई सीमा नहीं होती और हमारा हौसला आसमान चूमता है। भिक्षा यात्रा मेरे गुरुदेव का विचार था। मेरे गुरुदेव स्वामी ब्रम्हानंद सरस्वती 109 वर्ष हम लोगों के साथ रहे राम मंदिर आंदोलन में उनकी बड़ी भूमिका रही थी। उन्हीं की प्रेरणा से 23 नवंबर 2022 को हमने ये भिक्षा यात्रा शुरू की थी। इसको नाम दिया गया भिक्षा यात्रा। इस यात्रा में किसी से भी दाल, आटा, चीनी या चवल नहीं मांगी गई, बल्कि इस यात्रा में लोगों से जातियों में न बंटकर एक हिन्दू होने की भिक्षा दीजिए। समाज ने हमें भिक्षा दिया। मुझे प्रसन्नता है कि आज आपके सामने जब अपनी बात रख रहा हूं तो खुशी इस बात की होती है कि आज इस भिक्षा यात्रा से पश्चिमी उत्तर प्रदेश से देशभर से इसमें अब तक 57 लाख लोग जुड़ चुके हैं।

इसे भी पढ़ें: LIVE : पाञ्चजन्य का 77वां वर्ष : “बात भारत की” Confluence कार्यक्रम

ये यात्रा अपनों को जोड़ने की है, क्योंकि मैं समझता हूं कि किसी एक धर्मग्रन्थ की चर्चा करें या किसी एक धर्मग्रन्थ को हम उठाएं तो उसमें कहीं जाति का जिक्र नहीं है। लेकिन हमारा समाज जातियों में विभक्त है। आज जब चुनावों का विश्लेषण होता है तो एकमुश्त बताया जाता है कि मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र इतना है, लेकिन वहीं जब हिन्दुओं की बात होती है तो ठाकुर, ब्राम्हण, जाट, यादव और गुर्जर की बात की जाती है। मेरा निवेदन है कि ये बड़ा मंच है, दुनिया तक बात जाएगी, कम से कम हम लोगों को हिन्दू ही कह कर संबोधित किया जाए। जातियों में बांटकर न देखा जाए। मैं समझता हूं कि जिसमें तमाम नदियां आकर गिरें वो सिन्धु हैं हम, हमें गर्व है खुद पर कि हिन्दू हैं हम।

मैं समझता हूं कि जब हम अपने गर्व को दोहराते हैं, उसको जीते हैं तो हम लोग अपने को सशक्त, मजबूत और ताकतवर पाते हैं। आज ये महत्वपूर्ण पल जो हम लोगों के बीच है जब हम लोगों का राम मंदिर बन रहा है। हम लोगों का राम मंदिर बनकर तैयार हो रहा है।

एक मात्र हमारी ही संस्कृति है अगर यहां से सूर्य की दूरी नापेंगे तो करीब 15 लाख किलोमीटर कुछ मील है औऱ सूर्य के डाईमीटर से इस संख्या का भाग दें तो 108 आता है। चंद्रमा की दूरी को चंद्रमा के डाईमीटर से डिवाइड करें तो भी संख्या 108 निकलती है। सूर्य आत्मा औऱ चंद्रमा मन का प्रतीक है और दोनों को साधने की माला का मनका भी 108 होता है।

Topics: Panchjanya Confluenceपाच्ञजन्य कॉन्फ्लुएंसस्वामी दीपंकरसनातन धर्मराम मंदिरहिंदू धर्मRam templeSanatan DharmaHindu DharmaSwami deepankar
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