'जिनके दामन कारसेवकों के खून से रंगे हों...राम मंदिर नहीं आते': अखिलेश यादव पर हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास का तंज
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‘जिनके दामन कारसेवकों के खून से रंगे हों…राम मंदिर नहीं आते’: अखिलेश यादव पर हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास का तंज

हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास ने अखिलेश यादव के राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में नहीं आने के बयान पर ये बात कही है।

by Kuldeep Singh
Jan 14, 2024, 08:44 am IST
in भारत
Akhilesh Yadav Auranzeb

अखिलेश यादव, समाजवादी पार्टी अध्यक्ष

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अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होनी है, जिसको लेकर काफी बयानबाजी चल रही है। इसी क्रम में पहले राम मंदिर का निमंत्रण नहीं स्वीकरने और फिर अब निमंत्रण मिलने के समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के बयान पर हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि जिसके दामन में कारसेवकों के खून के छीटे लगे हों, वो राम मंदिर नहीं आया करते।

दरअसल, अखिलेश यादव ने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण मिलने पर श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को धन्यवाद करते हुए सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट किया। इसके साथ ही अखिलेश यादव ने ये भी जता दिया को वो राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद परिवार के साथ दर्शनार्थी के तौर पर भगवान राम का दर्शन करने आएंगे। उनके इसी पोस्ट पर हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने ये प्रतिक्रिया दी है।

इसे भी पढ़ें: मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के सर्वे में मुसलमानों ने माना, मोदी सरकार ने बढ़ाया दुनिया में मान

गौरतलब है कि पिछले दिनों विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार अखिलेश यादव को राम मंदिर के लिए निमंत्रण देने गए थे तो उन्होंने इसे लेने साफ इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा था कि वो ऐसे ही किसी से निमंत्रण नहीं ले सकते। निमंत्रण तो जान-पहचान वालों से लिया जाता है। अखिलेश यादव ने कहा था कि वो न तो आलोक कुमार को जानते हैं और न ही उनसे कभी मिले हैं।

राजू दास ने क्यों कही ऐसी बात 

गौरतलब है कि 1990 के दशक में अयोध्या में कारसेवकों को रोकने के लिए तत्कालीन मुलायम सिंह यादव की सरकार ने गोली चलवाई थी। इस गोली कांड में कई कारसेवकों की मौत हो गई थी। कारसेवक सरयू पुल पारकर बाबरी ढांचे तक न पहुंच सकें, इसके लिए मुलायम सिंह यादव ने पुलिस का भारी जत्था पुल पर तैनात कर दिया था। लेकिन जब कारसेवक आगे बढ़े तो पुलिसवालों ने सपा सरकार के आदेश पर अंधाधुन गोलियां बरसाईं, जिसमें करीब 30 कारसेवकों की मौके पर ही मौत हो गई थी। इसी के बाद से मुलायम सिंह यादव मुस्लिमों के सबसे बड़े हितैषी बन गए।

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