एक महत्वपूर्ण विकास में, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 13 जनवरी को चौथा सम्मन जारी किया। यह सम्मन कथित दिल्ली आबकारी नीति मामले में चल रही जांच से संबंधित है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 13 जनवरी को कथित दिल्ली आबकारी नीति मामले में पूछताछ के लिए अपना चौथा सम्मन जारी किया। जिसमे उन्हें 18 जनवरी को केंद्रीय जांच एजेंसी के सामने पेश होने के लिए कहा गया है।
हालांकि इस बार केजरीवाल ED के सामने पेश हो इसकी संभावना बेहद कम ही नजर आ रही है। क्योंकि इस बार केजरीवाल का 18 जनवरी को केजरीवाल का गोवा का दौरा प्रस्तावित है, पाटी सूत्रों के अनुसार 18 से लेकर 20 जनवरी तक वह गोवा में रहेंगे।
गैर कानूनी है ED का सम्मन : आप पार्टी
आम आदमी पार्टी ने 3 जनवरी को कहा- हम ED की जांच में सहयोग करने के लिए तैयार हैं, लेकिन ED का समन गैरकानूनी है। ये केजरीवाल को गिरफ्तार करने की साजिश है, ताकि लोकसभा चुनाव में केजरीवाल प्रचार न कर सकें।
अपराधियों की तरह छिप रहे केजरीवाल : भाजपा
वहीं भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा- आज भी केजरीवाल ED के सामने पेश नहीं होने से यह समझ आता है कि उनके पास कुछ छिपाने के लिए है। वह अपराधियों की तरह छिपते फिर रहे हैं।
क्या ED को है गिरफ्तारी का अधिकार?
कानून के जानकारों के अनुसार, केजरीवाल के बार-बार पेश नहीं होने पर ED उनके खिलाफ जमानती वारंट जारी कर सकती है। उसके बाद भी पेश नहीं हुए तो धारा 45 के तहत गैर जमानती वारंट जारी कर सकती है।
PMLA के जानकार बताते हैं कि पेश नहीं हो पाने की ठोस वजह बताई जाती है तो ED समय दे सकती है। फिर दोबारा नोटिस जारी करती है। PMLA एक्ट में नोटिस की बार-बार अवहेलना पर गिरफ्तारी हो सकती है।
अगर CM केजरीवाल आगे पेश नहीं होते हैं तो जांच अधिकारी आवास पर जाकर पूछताछ कर सकते हैं। ठोस सबूत होने पर या सवालों के संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर उन्हें गिरफ्तार कर सकते हैं।
वहीं, केजरीवाल वारंट जारी होने के बाद कोर्ट जा सकते हैं और अपने एडवोकेट की मौजूदगी में जांच में सहयोग करने का वादा कर सकते हैं। इस पर कोर्ट ED को उन्हें गिरफ्तार नहीं करने का निर्देश दे सकती है।
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