अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज से महाराष्ट्र के नासिक स्थित पंचवटी आश्रम में 11 दिनों के अनुष्ठान को शुरू किया। इस मौके पर एक ऑडियो संदेश जारी करते हुए राम-राम देशवासियों और सियावर रामचंद्र की जय से अपने संबोधन की शुरुआत की। उन्होंने कहा-मैं भाव विह्वल हूं। अलग ही प्रकार की भाव भक्ति का अनुभव कर रहा हूं। ये मेरे जीवन में पहली बार हो रहा है कि मैं इस तरह के मनोभावों से गुजर रहा हूं।
जीवन के कुछ क्षण ईश्वरीय आशीर्वाद की वजह से ही यथार्थ में बदलते हैं। आज हम सभी भारतीयों के लिए, दुनिया भर में फैले रामभक्तों के लिए ऐसा ही पवित्र अवसर है। हर तरफ प्रभु श्रीराम की भक्ति का अद्भुत वातावरण है। चारों दिशाओं में राम नाम की धुन, राम भजनों की अद्भुत सौन्दर्य माधुरी है। हर किसी को इंतजार है 22 जनवरी का, उस ऐतिहासिक पवित्र पल का। अब अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में केवल 11 दिन ही बचे हैं। मेरा सौभाग्य है कि मुझे भी इस पुण्य अवसर का साक्षी बनने का अवसर मिल रहा है। ये मेरे लिए कल्पनातीत अनुभूतियों का समय है।
ईश्वर ने मुझे भारत प्रतिनिधित्व करने का निमित्त बनाया
‘निमित्त मात्रम् भव सव्य साचिन्’। पीएम मोदी कहते हैं जिस स्वप्न को अनेकों पीढ़ियों ने वर्षों तक एक संकल्प की तरह अपने हृदय में जिया, मुझे उसकी सिद्धि के समय उपस्थित होने का सौभाग्य मिला है। प्रभु ने मुझे सभी भारतवासियों का प्रतिनिधित्व करने का निमित्त बनाया है। ये एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है। पीएम मोदी ने कहा कि शास्त्रों में कहा गया है कि हमें ईश्वर के यज्ञ के लिए उसकी आराधना के लिए स्वयं में भी दैवीय चेतना जागृत होती है। इसके लिए कठोर नियमों का पालन करना होता है औऱ इसीलिए यम-नियमों के अनुसार मैं आज से 11 दिन का विशेष अनुष्ठान आरंभ कर रहा हूं।
नासिक की पंचवटी ही क्यों
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने अनुष्ठान के लिए नासिक स्थित पंचवटी धाम को चुना है। ऐसे में सवाल ये भी उठता है कि आखिर पीएम मोदी ने पंचवटी को ही क्यों चुना। दरअसल, पंचवटी वो स्थान है, जहां भगवान राम ने वनवास के दौरान लंबा अरसा बिताया था। पीएम मोदी ने कहा कि दो संयोग और हैं, वो ये कि आज ही स्वामी विवेकानंद की जयंती और क्षत्रपति शिवाजी महाराज की माता जीजाबाई की भी जयंती है। पीएम मोदी ने माता जीजाबाई को याद करते हुए कहा कि उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज के रूप में एक महा मानव को जन्म दिया था। आज हम अपने भारत को जिस अक्षुण्ण रूप में देख रहे हैं, इसमें माता जीजाबाई जी का बहुत बड़ा योगदान है।
माता जीजाबाई का स्मरण कर पीएम मोदी ने अपनी मां को भी याद किया। उन्होंने कहा, “मेरी मां अपने जीवन के अंत तक माला जपते हुए सीता-राम का नाम भी भजा करती थीं। प्राण प्रतिष्ठा की मंगल-घड़ी…चराचर सृष्टि का वो चैतन्य पल… आध्यात्मिक अनुभूति का वो अवसर…गर्भगृह में उस पल क्या कुछ नहीं होगा… !!! शरीर के रूप में, तो मैं उस पवित्र पल का साक्षी बनूंगा ही, लेकिन मेरे मन में, मेरे हृदय के हर स्पंदन में, 140 करोड़ भारतीय मेरे साथ होंगे। 500 साल का धैर्य है।
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