गत 8 जनवरी को जयपुर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) की स्थापना के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में अमृत महोत्सव समारोह आयोजित हुआ। मुख्य वक्ता थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, राजस्थान क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक निंबाराम। उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी की कविता ‘कभी थे अकेले हुए आज इतने, तब न डरे तो भला अब क्या डरेंगे’ से अपना उद्बोधन प्रारंभ किया।
उन्होंने कहा कि हमें पंच प्रण-विकसित भारत, गुलामी की हर सोच से मुक्ति, विरासत पर गर्व, एकता और एकजुटता और नागरिक अनुशासन-के माध्यम से समाज में परिवर्तन लाना होगा। उन्होंने कहा कि देश में हो रहे सकारात्मक परिवर्तन में अभाविप के आंदोलनों का बड़ा योगदान रहा है।
देश हमें देता है सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखें’
यह है अभाविप का उद्देश्य।
अभाविप एकमात्र ऐसा छात्र संगठन है, जो 365 दिन कार्य करता है। अन्याय के विरोध में अभाविप के कार्यकर्ता लड़ते हैं। स्वाधीनता की जब शताब्दी आएगी, तब भारत कैसा होगा, इस पर विचार करना होगा। आने वाले 25 वर्ष बहुत महत्वपूर्ण हैं। अभाविप के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री प्रफुल्ल अकान्त ने कहा कि अभाविप में कार्यकर्ता सतत बदलते रहते हैं। किसी लक्ष्य के साथ इतने साल तक सतत क्रियाशील रहना बड़ी बात है।
इसके उद्देश्य को समझना आवश्यक है। ‘देश हमें देता है सब कुछ, हम भी तो कुछ देना सीखें’, यह है अभाविप का उद्देश्य। कार्यक्रम में अभाविप के पुराने व नए कार्यकर्ता, जयपुर प्रांत के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में अध्ययनरत विद्यार्थी व प्राध्यापक कार्यकर्ता, शिक्षाविद्, पूर्व कार्यकर्ता, प्रबुद्ध नागरिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता भी उपस्थित रहे।
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