अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का न्योता कांग्रेस द्वारा ठुकराए जाने पर असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कांग्रेस ने निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नमे अपने पापों को धोने का सुनहरा मौका गंवा दिया। वो तो राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का न्योता पाने की हकदार ही नहीं थी। कांग्रेस राम मंदिर की शुरुआत से ही राम मंदिर के लिए अपनी विचारधाराओं के लिए हिन्दुओं से माफी मांग सकती थी।
सरमा ने कहा कि ये तो कांग्रेस की परंपरा रही है हिन्दुओं को अपमानित करने की। हालांकि, इसमें आश्चर्यचकित होने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि वर्ष 1951 में पंडित नेहरू ने भी सोमनाथ मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने से इनकार कर दिया था। इसके साथ ही असम के मुख्यमंत्री ने अफगानिस्तान में बाबर के मकबरे पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के नतमस्तक होने वाली तस्वीर को शेयर कर पूछा कि आखिर गांधी परिवार हिन्दुओं से इतनी नफरत क्यों करता है।
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उन्होंने सवाल किया कि गांधी परिवार को हिन्दुओं से क्या दिक्कत है? जबकि, राहुल गांधी की तीन पीढ़ियों ने मकबरे का दौरा किया। दरअसल, कांग्रेस राम मंदिर को बीजेपी और आरएसएस का इवेंट करार दे रही है। उसका कहना है कि राम मंदिर को सियासी जीत के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। इसलिए वो मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल नहीं होगी।
कांग्रेस की बात में कितना दम
कांग्रेस कहती है कि बीजेपी ने राम मंदिर को राजनीतिक इवेंट बना दिया है। जबकि, हकीकत ये है कि सबसे पहले कांग्रेस ने ही भगवान राम को सियासत में घसीटा था। भाजपा ने तो हमेशा यही कहा कि राम उसके लिए राजनीति नहीं आस्था का केंद्र हैं और उनका मंदिर एक मिशन। ये वही कांग्रेस है, जिसने 2007 में सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट देकर भगवान राम को कल्पना मात्र करार दे दिया था। कांग्रेसी नेताओं ने राम मंदिर को देश की एकता के लिए खतरा करार दिया था। उनका मानना था कि इससे कथित गंगा जमुनी तहजीब खतरे में पड़ रही थी।
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