फ्रांस को नया प्रधानमंत्री मिला है। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने 34 साल के गैब्रियल अट्टल को नया प्रधानमंत्री नियुक्त करके वहां के राजनीति विशेषज्ञों को हैरत में डाल दिया है। फ्रांस के अब तक के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री बनने वाले गैब्रियल घोषित रूप से गे यानी समलैंगिक हैं। अभी वे देश के शिक्षा मंत्री के नाते काम देख रहे हैं। ये गैब्रियल ही हैं जिन्होंने कट्टर इस्लामवादियों की नाराजगी मोल लेते हुए फ्रांस के सरकारी स्कूलों में सिर पर हिजाब पहनकर आने को लेकर प्रतिबंध लगाया है।
गैब्रियल अट्टल को निवर्तमान प्रधानमंत्री एलिजाबेथ बोर्न की जगह नियुक्त किया गया है। दो साल से भी कम वक्त के लिए प्रधानमंत्री पद संभालने वाली एलिजाबेथ ने गत सोमवार को पद से इस्तीफा दिया है। हालांकि पिछले कई दिनों से उनके पद पर बने रहने को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई थी। इस बीच उनकी राष्ट्रपति मैक्रों से दो तीन बार आमने सामने की लंबी वार्ता हुई थी, और तभी से अटकलें लगाई जाने लगी थीं कि शायद वे पद छोड़ने वाली हैं।
कुछ विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि राष्ट्रपति मैक्रों ने ‘राइटविंग’ नेताओं के राजनीतिक दबाव को बढ़ते देखकर गैब्रियल अट्टल को प्रधानमंत्री बनाया है। बताते हैं, मैक्रों पर दबाव था कि गत दिनों संसद में सरकार द्वारा प्रस्तुत किए नई आप्रवासी नीति से जुड़े विधेयक को पारित कराने में तत्कालीन प्रधानमंत्री एलिजाबेथ की असफलता के बाद वे उन्हें पद से हटा दें।
विशेषज्ञों के एक वर्ग का यह मानना भी है कि नई सरकार के माध्यम से मैक्रों शेष बचे अपने कार्यकाल में कुछ गति लाना चाहते हैं। फ्रांस के शिक्षा मंत्री के नाते काम कर रहे गैब्रियल कट्टर इस्लाम के विरोधी माने जाते हैं। फ्रांस के सरकारी स्कूलों में जब इस्लामी ताकतों ने इस्लामिक हिजाब को लेकर कट्टर रुख दिखाया तो उन्होंने उसे पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया। इस निर्णय का उनके देश में सर्वत्र स्वागत हुआ था।
शिक्षा मंत्री के नाते गैब्रियल ने खूब ख्याति बटोरी और नए प्रधानमंत्री के लिए जो चार नाम चल रहे थे उनमें उनका नाम सबसे पहले था। राष्टपति मैक्रों ने उन्हें यह बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। अब वे जून में होने जा रही अग्निपरीक्षा में कैसा प्रदर्शन करेंगे, वह उनके आगे के राजनीतिक भविष्य में बहुत महत्वपूर्ण साबित होगा।
यही वजह है कि कल जैसे ही प्रधानमंत्री पद पर उनको नियुक्त करने की घोषणा हुई तो आमतौर पर उसका स्वागत ही किया गया। लेकिन आगामी जून माह में तय यूरोपीय संसद के चुनाव उनके सामने एक बड़ी चुनौती की तरह हैं। इस मौके पर फ्रांस सरकार की कमान वे ही संभालेंगे।
फ्रांस की सरकार में गैब्रियल का उभार बहुत तेजी से हुआ है। अभी 10 साल भी नहीं हुए जब वे स्वास्थ्य मंत्रालय में तहज एक सलाहकार के नाते काम देखते थे। और अब वे फ्रांस के सबसे युवा प्रधानमंत्री बनाए गए हैं। उन्होंने खुद घोषणा की थी कि वे समलैंगिक हैं और यह बात उन्होंने कभी छुपाई नहीं।
गैब्रियल रूढ़िवादी ईसाई माने जाते हैं। 2006 में देश में हुए युवाओं के एक प्रदर्शन में भाग लेने के साथ उनकी राजनीति में सक्रियता की शुरुआत हुई थी। 2012 में फ्रांस की नेशनल असेंबली में इंटर्नशिप करने के बाद, वे पांच साल तक स्वास्थ्य मंत्री के सलाहकार के नाते काम करते रहे। 2014 के नगरपालिका चुनावों में गैब्रियल सोशलिस्ट पार्टी में पांचवें स्थान पर थे।
18 जून 2017 को वे फ्रांस की नेशनल असेंबली के सदस्य बने। उनके भाषण दमदार माने जाते हैं और इसी वजह से उन्होंने संसद में खूब वाहवाही बटोरी। नेशनल असेंबली में वे सांस्कृतिक एवं शिक्षा मामलों की समिति से जुड़े। 2018 में वे शिक्षा और युवा मामलों के कनिष्ठ मंत्री नियुक्त हुए थे। 2020 से 2022 तक तत्कालीन प्रधानमंत्री जीन कैस्टेक्स की सरकार में प्रवक्ता रहे। 2022 में प्रधानमंत्री एलिज़ाबेथ बोर्न की सरकार में लेखा मंत्री और 2023 में फ्रांस सरकार में राष्ट्रीय शिक्षा और युवा मंत्री नियुक्त हुए थे।
शिक्षा मंत्री के नाते गैब्रियल ने खूब ख्याति बटोरी और नए प्रधानमंत्री के लिए जो चार नाम चल रहे थे उनमें उनका नाम सबसे पहले था। राष्टपति मैक्रों ने उन्हें यह बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। अब वे जून में होने जा रही अग्निपरीक्षा में कैसा प्रदर्शन करेंगे, वह उनके आगे के राजनीतिक भविष्य में बहुत महत्वपूर्ण साबित होगा।
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