गुजरात सरकार वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट-2024 के माध्यम से हरित विकास, जलवायु वित्त और एसडीजी (सतत विकास लक्ष्य) की प्रगति का लक्ष्य बना रही है।
भारत की वृद्धि और विकास में गुजरात के योगदान को सरल आंकड़ों द्वारा समझा जा सकता है। एक राज्य, जिसके पास भारत के भौगोलिक क्षेत्र का 6 प्रतिशत हिस्सा है, वह सकल घरेलू उत्पाद में 8 प्रतिशत, औद्योगिक उत्पादन में 18 प्रतिशत और निर्यात में 30 प्रतिशत का योगदान देता है।
गुजरात ने विभिन्न क्षेत्रों में देश की वृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। पेट्रोकेमिकल, कपड़ा, फार्मास्यूटिकल्स, कृषि और विनिर्माण जैसे संपन्न क्षेत्रों के साथ राज्य का एक मजबूत औद्योगिक आधार है। इसके जीवंत कारोबारी माहौल और मजबूत बुनियादी ढांचे ने महत्वपूर्ण घरेलू और विदेशी निवेश को आकर्षित किया है।
गुजरात के पास एक लंबी तटरेखा है और इसने कांडला, मुंद्रा और हजीरा जैसे विश्वस्तरीय बंदरगाह विकसित किए हैं। ये बंदरगाह अंतरराष्ट्रीय व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और देश की समुद्री रसद और व्यापार गतिविधियों में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। राज्य ने तकनीकी नवाचारों, जल प्रबंधन और विविध फसल उत्पादन के माध्यम से कृषि में प्रगति की है। ड्रिप सिंचाई जैसी पहल सहित गुजरात की कृषि पद्धतियों को भारत के विभिन्न हिस्सों में टिकाऊ खेती के मॉडल के रूप में अपनाया गया है।
गुजरात देश का आभूषण उत्पादन का केंद्र है, जो वैश्विक उत्पादन में 72 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ प्रसंस्कृत हीरे के उत्पादन के मामले में वैश्विक नेता है। विश्व में 10 में से आठ हीरे सूरत में चमकाए जाते हैं। गुजरात 70 प्रतिशत राष्ट्रीय उत्पादन के साथ डेनिम फैब्रिक उत्पादन का एक राष्ट्रीय केंद्र भी है।
गुजरात नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन, विशेषकर सौर और पवन ऊर्जा में अग्रणी है। राज्य ने बड़े पैमाने पर सौर पार्क और पवन फार्म स्थापित किए हैं, जो भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। साथ ही, सड़कों, राजमार्गों और कनेक्टिविटी सहित मजबूत बुनियादी ढांचे में निवेश किया है, जिससे न केवल आंतरिक विकास सुविधाजनक बना है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही को भी मदद मिली है।
गुजरात जीजीआई (गुड गवर्नेंस इंडेक्स) 2021 (सुशासन सूचकांक, 2021) में देश में पहले स्थान पर रहा है। गुजरात इस प्रक्रिया को जिला स्तर तक ले जा चुका है, जिसे डिस्ट्रिक्ट गुड गवर्नेंस इंडेक्स (डीजीजीआई) कहते हैं। डीजीजीआई गुजरात की सफलता की कहानियों का दस्तावेजीकरण करके गुजरात के शासन मॉडल का गहन अध्ययन प्रस्तुत करता है, जिसे देश के अन्य जिलों में अपनाया जा सकता है। 2019 से 2023 तक, गुजरात के जिलों और राज्य सरकार के संस्थानों ने सार्वजनिक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए 4 प्रधानमंत्री पुरस्कार प्राप्त किए हैं-
इसके अलावा, राज्य को चार राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस पुरस्कार भी मिले हैं।
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत में गुजरात की विशिष्ट भूमिका है। यहां समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत है। व्यापार, कला, साहित्य और परंपराओं में इसके योगदान ने भारत के विविध सांस्कृतिक ताने-बाने को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है। परंपरागत पर्यटन स्थलों के अलावा गुजरात ने पर्यटन के नए केंद्रों को विकसित किया है। उदाहरण के लिए केवड़िया में दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू आफ यूनिटी’ एक महत्वपूर्ण पर्यटन केंद्र बन गई है।
अब इसे इको फ्रेंड़ली पर्यटन स्थल बना दिया गया है। यहां स्थापित देश के प्रथम गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा की ऊंचाई 182 मीटर है। सरदार पटेल की प्रतिमा ‘स्टैच्यू आफ यूनिटी’ अमेरिका की स्टैच्यू आफ लिबर्टी से अधिक पर्यटकों को आकर्षित कर रही है। इसके ग्राउंडफ्लोर पर एक विशाल प्रदर्शनी कक्ष का निर्माण किया गया है। यह कक्ष 4,647 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। देश के करीब 169,058 गांवों से मिट्टी लाकर 36 फीट गुना 12 फीट की एक दीवार ‘वॉल आफ यूनिटी’ बनाई गई है। यह दीवार देश की विविधता मे एकता का प्रतिनिधित्व करती है।
नवीकरणीय ऊर्जा, विशेष रूप से सौर और पवन ऊर्जा के क्षेत्रों में गुजरात भारत का नेतृत्व करता है और भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों में योगदान करने की स्थिति में बहुत सक्षम ढंग से आगे आया है। गुजरात की कुल 48,500 मेगावाट स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता का 44 प्रतिशत से अधिक हिस्सा (अगस्त 2023 तक) नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त होता है। गुजरात का लक्ष्य 2030 तक 80 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा के स्तर तक पहुंचने का है।
भारत ने 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का संकल्प लिया है। 2026-27 तक भारत के 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के लक्ष्य को हासिल करना राज्य स्तर पर विकास की संभावनाओं पर निर्भर करेगा। 2020-21 में पांच राज्यों यानी गुजरात, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक का सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 49 प्रतिशत योगदान है। गुजरात ने 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य तय किया है। यह बहुत दूर का लक्ष्य नहीं है, क्योंकि गुजरात में पहले से ही 100 से अधिक फॉर्च्यून 500 कंपनियों, 13 लाख एमएसएमई सक्रिय हैं और गुजरात पिछले दो दशक से 15 प्रतिशत की सीएजीआर से विकास कर रहा है।
औद्योगिक उत्पादन के अलावा, गुजरात कई क्षेत्रों में भारत के अधिकांश राज्यों से बेहतर प्रदर्शन करता है। देश की अर्थव्यवस्था में गुजरात की भूमिका का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि राज्य में राष्ट्रीय विद्युत क्षमता का 9.9 प्रतिशत, भारतीय विश्वविद्यालयों का 7.2 प्रतिशत और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का 56 प्रतिशत हिस्सा है। इसके अलावा, गुजरात राष्ट्रीय औद्योगिक उत्पादन में 18.4 प्रतिशत, भारत के निर्यात में 20 प्रतिशत, वार्षिक दूध उत्पादन में 23 प्रतिशत, कपास उत्पादन में 25.3 प्रतिशत, भारत के रेशम उत्पादन में 40 प्रतिशत योगदान देता है।
प्रसंस्कृत हीरे के 80 प्रतिशत उत्पादन और चांदी के आभूषण के 85 प्रतिशत उत्पादन के साथ गुजरात देश का आभूषण उत्पादन का केंद्र है, जो वैश्विक उत्पादन में 72 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ प्रसंस्कृत हीरे के उत्पादन के मामले में वैश्विक नेता है। विश्व में 10 में से आठ हीरे सूरत में चमकाए जाते हैं। गुजरात 70 प्रतिशत राष्ट्रीय उत्पादन के साथ डेनिम फैब्रिक उत्पादन का एक राष्ट्रीय केंद्र भी है। गुजरात भारत का पेट्रोकेमिकल उत्पादन का गढ़ है, जहां भारत का 62 प्रतिशत पेट्रोकेमिकल उत्पादन होता है। इसी प्रकार देश के 70 प्रतिशत कार्डियक-स्टेंट गुजरात में बनते हैं।
पिछले 10 वर्ष में कृषि, वानिकी और मछली पकड़ने के क्षेत्र में 9.6 प्रतिशत की औसत दर से वृद्धि हुई है, जबकि उद्योग और सेवा क्षेत्र क्रमश: 13.3 प्रतिशत और 11.8 प्रतिशत की दर से बढ़े हैं। गुजरात को देश का औद्योगिक केंद्र बनाने के सरकार के व्यापक प्रयासों के कारण सकल उत्पाद में उद्योगों की हिस्सेदारी 43.8 प्रतिशत से बढ़कर 48.4 प्रतिशत हो गई है।
नवीकरणीय ऊर्जा, विशेष रूप से सौर और पवन ऊर्जा के क्षेत्रों में गुजरात भारत का नेतृत्व करता है और भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों में योगदान करने की स्थिति में बहुत सक्षम ढंग से आगे आया है। गुजरात की कुल 48,500 मेगावाट स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता का 44 प्रतिशत से अधिक हिस्सा (अगस्त 2023 तक) नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त होता है। गुजरात का लक्ष्य 2030 तक 80 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा के स्तर तक पहुंचने का है।
इस लक्ष्य का 30 प्रतिशत यानी 22.5 गीगावाट गुजरात पहले ही प्राप्त कर चुका है। कुल स्थापित विद्युत उत्पादन के मुकाबले गुजरात में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का हिस्सा देश की तुलना में अधिक है। जून 2023 के विद्युत मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश में कुल स्थापित उत्पादन क्षमता का 179,322 मेगावाट (43.0 प्रतिशत) गैर-जीवाश्म ईंधन से आता है।
इसके अलावा, राज्य में विद्युत उत्पादन की स्थापित क्षमता 5 गुना से अधिक बढ़ गई है, जो 2001-02 में 8,750 मेगावाट थी, और अगस्त 2023 में 48,500 मेगावाट हो गई है। राष्ट्रीय स्तर पर 12 जून तक देश में गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से कुल 179.322 गीगावॉट क्षमता स्थापित की गई है।
गुजरात सरकार वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट-2024 के माध्यम से हरित विकास, जलवायु वित्त और एसडीजी (सतत विकास लक्ष्य) की प्रगति का लक्ष्य बना रही है।
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