नीदरलैंड के नव निर्वाचित प्रधानमंत्री गीर्ट वाइल्डर्स ने बड़ा सेट बैक लेते हुए आम चुनाव से पहले संसद में इस्लामिक कट्टरपंथ के खिलाफ पेश किए गए मसौदे के तीन प्रस्तावों को वापस ले लिया है। जानकारों का कहना है कि ऐसा करके गीर्ट वाइल्डर्स ने यह दिखाने की कोशिशें की है कि वो वादे के अनुसार विवादित चीजों को ठंडे बस्ते में डाल देंगे।
जिस मसौदे को वाइल्डर्स ने वापस ले लिया है उसमें इस्लाम की अभिव्यक्ति, कुरान और इस्लामी स्कूलों पर प्रतिबंधों को वापस ले लिया है। इन सभी प्रस्तावों को पहले राड वैन स्टेट, सरकार की सर्वोच्च सलाहकार संस्था ने भी खारिज कर दिया था। राड वैन स्टेट वही संस्था है जो कि सभी मसौदा कानूनों का आकलन करती है।
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दरअसल, गीर्ट वाइल्डर्स की पीवीवी पार्टी को लंबे वक्त से इस मसौदे पर समर्थन नहीं मिल रहा था, जिस कारण से ये मसौदे धूल फांक रहे थे। इसके साथ ही वाइल्डर्स सरकार ने ‘संभावित’ जिहादियों की प्रशासनिक हिरासत और ऐसे सभी लोगों को मतदान से रोकने के प्रस्तावों को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।
वाइल्डर्स ने पहले कैबिनेट में दो दोहरे नागरिकों कानून मंत्री दिलन येसिलगोज़ (डच और तुर्की) और रक्षा मंत्री काजसा ओलोंग्रेन (डच और स्वीडिश) के होने की बात कही थी।
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गौरतलब है कि नीदरलैंड के पीवीवी पार्टी के प्रमुख गीर्ट वाइल्डर्स को इस्लामिक कट्टरपंथ का मुखर विरोधी माना जाता है। चुनाव से पहले उन्होंने नीदरलैंड में सत्ता में आने पर इस्लामिक कट्टरपंथ पर एक्शन की बात कही थी। उल्लेखनीय है कि गीर्ट वाइल्डर्स वही व्यक्ति हैं, जिन्होंने सबसे पहले नुपुर शर्मा का समर्थन किया था। गीर्ट वाइल्डर्स भारत और पीएम मोदी के बड़े प्रशंसक हैं।
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