Taiwan को बेचे हथियार तो चिढ़े China ने लगा दी पांच अमेरिकी कंपनियों पर पाबंदी
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Taiwan को बेचे हथियार तो चिढ़े China ने लगा दी पांच अमेरिकी कंपनियों पर पाबंदी

चीन ने इस कार्रवाई से अमेरिका की कंपनियों और कुछ लोगों को एक चेतावनी जैसी दी है कि ताइवान को किसी तरह की मदद न दी जाए, न उससे किसी तरह की नजदीकी दिखाई जाए

by WEB DESK
Jan 9, 2024, 05:50 pm IST
in विश्व
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चीन ने पांच अमेरिकी कंपनियों पर अपनी अमेरिका विरोधी भड़ास निकाली है। इन कंपनियों ने ताइवान को हथियार बेचने की ‘हिमाकत’ जो की थी। चीन के विदेश विभाग ने बताया है कि चीन के विदेशी प्रतिबंध विरोधी कानून के तहत पांच अमेरिकी सैन्य उत्पाद कंपनियों पर पाबंदी लगाई जा रही है।

पिछले दिनों अमेरिका की ओर से ताइवान को हथियार बेचने की एक नई पहल हुई थी। इसके साथ ही, गत कुछ समय में अमेरिकी प्रशासन ने कई चीनी कंपनियों तथा लोगों पर प्रतिबंध लगाए थे। इसी की प्रतिक्रिया के तौर पर चीन ने अमेरिकी रक्षा कंपनियों और उनसे जुड़े अधिकारियों पर पाबंदी का कदम उठाया है। एक तरह से चीन ने इस कार्रवाई से अमेरिका की कंपनियों और कुछ लोगों को एक चेतावनी जैसी दी है कि ताइवान को किसी तरह की मदद न दी जाए, न उससे किसी तरह की नजदीकी दिखाई जाए, क्योंकि वह ‘वन चाइना का हिस्सा’ है। ऐसा करना चीन के अंदरूनी मामलों में दखल की तरह लिया जाएगा।

चीन ने जिन पांच अमेरिकी कंपनियों पर पाबंदी लगाई है वे हैं—बेई लैंड एंड वेपन्स सिस्टम्स, यूनाइटेड टेक्नोलॉजीज सिस्टम्स ऑपरेशंस, एयरोवायरनमेंट, वायासैट तथा डाटा लिंक सॉल्यूशंस। ये सभी नामी कंपनियां हैं और पांचों ने ताइवान को अमेरिकी हथियार बिक्री परियोजना के तहत रक्षा उपकरणों के करार किए हैं।

जैसे, बेई कंपनी इसी साल बख्तरबंद वाहन और नए हाइब्रिड लड़ाकू वाहन ताइवान को देने की तैयारी में है। इसी कंपनी की ताइवान सेना से स्वचालित हॉवित्जर तोपों को लेकर भी बात चल रही है। एयरोवायरनमेंट कंपनी ताइवान को स्विचब्लेड मिसाइलें बेचने जा रही है। डाटा लिंक सॉल्यूशंस के लिंक-16 सामरिक डाटा लिंक का ताइवान सेना के कई लड़ाकू कमांड विभाग इस्तेमाल कर रहे हैं। वाईसेट कंपनी ने ताइवान की सेना को एक अनेक प्रकार से काम करने वाली सूचना वितरण प्रणाली बेची है, जो युद्ध के दौरान गुप्त इलेक्ट्रॉनिक जानकारियां दे सकती है।

चीन की ओर से पहले भी अनेक अवसरों पर कहा गया है कि ताइवान का मुद्दा चीन के मूलभूत हितों से जुड़ा है। ताइवान को अमेरिकी हथियारों की बिक्री से बिफरे चीन ने इधर कुछ साल में लॉकहीड मार्टिन, बोइंग डिफेंस तथा रेथियॉन जैसी बड़ी अमेरिकी सैन्य-औद्योगिक कंपनियों पर अनेक बार पाबंदियां लगाई हैं। इस बार चीन ने प्रतिबंधों को कड़ा करते हुए चीन में उन अमेरिकी कंपनियों की चल, अचल संपत्ति तथा अन्य सभी प्रकार की संपत्तियों को फ्रीज किया है, चीन की कंपनियों और व्यक्तियों को उनके साथ लेन—देन से मना किया है और उनके साथ किसी भी तरह का सहयोग वर्जित किया है।

दिसंबर 2023 के मध्य में अमेरिका के रक्षा विभाग ने कहा था कि ताइवान को 30 करोड़ अमेरिकी डॉलर के रक्षा उपकरणों की बिक्री को मंजूरी दी गई है। वर्तमान बाइडन प्रशासन के सत्ता में आने के बाद से यह अमेरिकी हथियारों की ताइवान को 12वीं बार बिक्री हो रही है।

चीन ने कहा है कि अमेरिका का यह चलन ‘एक-चीन नीति’ तथा चीन-अमेरिका संयुक्त समझौतों, विशेषकर ’17 अगस्त समझौते का उल्लंघन करता है। यह बर्ताव चीन और अमेरिका की सान फ्रांसिस्को में हुई शिखर बैठक में तय हुईं राजनीतिक प्रतिबद्धताओं के भी इतर है। यह दर्शाता है कि अमेरिका के कुछ लोगों ने ताइवान को लेकर वादा खिलाफी की है।

इधर अमेरिका के रक्षा विभाग से जुड़ी एक एजेंसी ने कहा है कि ताइवान को हथियार देने के पीछे मकसद है ताइवान की सैन्य कमान, नियंत्रण, संचार तथा अन्य क्षमताओं को बढ़ाना तथा ताइवान की रक्षा क्षमताओं को और दृढ़ करना।

जानकारों का कहना है कि पहले अमेरिका ताइवान को मुख्य रूप से विमान, मिसाइल, ड्रोन तथा अन्य मुख्य युद्ध हथियार ही देता था। जबकि एक संपूर्ण प्रणाली बनाने के लिए लड़ाकू ताकत का गठन संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स, कमांड, नियंत्रण तथा नेटवर्क जरूरी है।

चीन की ओर से पहले भी अनेक अवसरों पर कहा गया है कि ताइवान का मुद्दा चीन के मूलभूत हितों से जुड़ा है। ताइवान को अमेरिकी हथियारों की बिक्री से बिफरे चीन ने इधर कुछ साल में लॉकहीड मार्टिन, बोइंग डिफेंस तथा रेथियॉन जैसी बड़ी अमेरिकी सैन्य-औद्योगिक कंपनियों पर अनेक बार पाबंदियां लगाई हैं। इस बार चीन ने प्रतिबंधों को कड़ा करते हुए चीन में उन अमेरिकी कंपनियों की चल, अचल संपत्ति तथा अन्य सभी प्रकार की संपत्तियों को फ्रीज किया है, चीन की कंपनियों और व्यक्तियों को उनके साथ लेन—देन से मना किया है और उनके साथ किसी भी तरह का सहयोग वर्जित किया है।

चीन का साफ संकेत है कि अमेरिका ‘एक-चीन नीति’ को माने तथा “ताइवान की स्वतंत्रता” का समर्थन न करे। इसके साथ ही अमेरिका चीन के साथ तय हुईं अपनी प्रतिबद्धताओं को लागू करे।

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