इजरायल और हमास आतंकियों के बीच जारी युद्ध के 100 दिन पूरे होने को हैं। इसके मद्देनजर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन तीन महीने में चौथी बार खाड़ी देशों की यात्रा की। उन्होंने चेताया है कि जिस तरह से इजरायल हमास का युद्ध लंबा खिंच रहा है, इसके पूरे मिडिल ईस्ट में फैलने का खतरा बढ़ता ही जा रहा है।
क्लिंटन के इस बयान को खाड़ी देशों में हाल के दिनों में हुए टकराव से जोड़कर देखें तो ये चेतावनी कहीं न कहीं सच साबित होती दिख रही है। हमास इजरायल युद्ध के कारण इस्लामिक देशों में हमास के प्रति संवेदनाएं बढ़ती जा रही है। लेबनान का हिजबुल्ला ग्रुप इजरायल पर लगातार हमले कर रहा है। वहीं लाल सागर में यमन के हूती चरमपंथियों द्वारा लगातार इजरायल समेत कई देशों के जहाजों को ठिकाना बनाया जा रहा है। खास बात ये है कि इन सभी आतंकी समूहों का एक ही आका है और वो है ईरान। ईरान लगातार इन संगठनों को समर्थन दे रहा है।
अब इजरायल ने भी रविवार को इस बात को स्वीकार किया था कि पिछली रात हिजबुल्लाह के रॉकेट हमले के कारण उत्तरी इजरायल में एक रणनीतिक हवाई अड्डे को नुकसान पहुँचा था। हिजबुल्लाह द्वारा जारी की गई तस्वीरों में माउंट मेरोन बेस पर एक गुंबद पर या उसके बगल में आग दिखाई देती है, जो लेबनान की सीमा से 10 किमी से भी कम दूरी पर है।
उल्लेखनीय है कि 7 जनवरी को लेबनान के ईरान समर्थित मिलिशिया हिजबुल्लाह ने इजरायल पर एक के बाद एक 62 मिसाइलें दागी। खास बात ये थी कि हिजबुल्ला के ये 62 रॉकेट अलग-अलग प्रकार के थे। हिजबुल्लाह ने मेरोन एयरबेस को निशाना बनाकर हमला किया। इस हमले के बाद इजरायल वहां पर अपने फाइटर जेट्स नहीं उतार पाया, क्योंकि रनवे क्षतिग्रस्त हो गया था।
हालांकि, वैसे तो इस हमले को लेकर आईडीएफ ने कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन इस बात को स्वीकार जरूर किया कि देश की संवेदनशील सैन्य पट्टी पर सफल हमला हिजबुल्ला की ताकत को दिखाता है। इजरायल के सुरक्षा अधिकारी स्वीकार करते हैं कि यदि सीमा पार से गोलीबारी पूर्ण संघर्ष में बदल जाती है तो हिजबुल्लाह हमास की तुलना में कहीं अधिक दुर्जेय दुश्मन होगा।
इसी को लेकर मिडिल ईस्ट के दौरे पर पहुंचे एंटनी ब्लिंकन ने रविवार की रात कतर के प्रधान मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी के साथ दोहा में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “यह क्षेत्र में गहरे तनाव का क्षण है। यह एक ऐसा संघर्ष है जो आसानी से रूपांतरित हो सकता है, जिससे और भी अधिक असुरक्षा और और भी अधिक पीड़ा हो सकती है।”
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