हरिद्वार। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि देश में न केवल आधुनिक शिक्षा प्रदान की जाए, बल्कि भारत की नैतिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने के लिए देश में और अधिक गुरुकुल स्थापित किए जाने चाहिए। यह बात उन्होंने शनिवार को हरिद्वार में स्वामी दर्शनानंद गुरुकुल महाविद्यालय में ‘गुरुकुलम एवं आचार्यकुलम’ की आधारशिला रखने के दौरान कही। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे समय में जब विदेशी संस्कृति के अनुकरण के कारण नैतिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है, युवाओं को नैतिक मूल्यों के समावेश के साथ आधुनिक शिक्षा प्रदान करने के लिए गुरुकुलों को यह दायित्व निभाने के लिए आगे आना चाहिए।
केंद्रीय रक्षा मंत्री ने कहा कि लगभग 1,000-1,500 वर्ष पूर्व भारत वर्ष में कई बड़े विश्वविद्यालय थे, जिनमें गुरुकुल परंपरा प्रचलित थी। उसके बाद देश ने विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा उस व्यवस्था को लगभग नष्ट होते हुए देखा। बदले में उन्होंने एक ऐसी प्रणाली विकसित की जो हमारे युवाओं को देश की सांस्कृतिक भावना के अनुरूप शिक्षा प्रदान नहीं करती थी। भारतीय संस्कृति को कमतर आंका गया गया। इस भावना ने न केवल हमें राजनीतिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी प्रभावित किया। रक्षा मंत्री ने कहा कि उस दौरान स्वामी दर्शनानंद जी ने इस गुरुकुल की स्थापना की, जो तत्कालीन समय से हमारी युवा पीढ़ियों को ज्ञान और संस्कृति के माध्यम से दीप्तिमान कर रहा है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उल्लेख करते हुए राजनाथ सिंह ने प्राथमिक शिक्षा से ही युवाओं के मन में नैतिक मूल्यों को विकसित करने के सरकार के संकल्प को दोहराया। उन्होंने कहा कि देशभर के कई शिक्षण संस्थानों में नई शिक्षा नीति लागू की जा रही है। यह प्रक्रिया लंबी है क्योंकि शिक्षा व्यवस्था में कोई भी परिवर्तन अचानक नहीं होता। उन्होंने कहा कि गुरुकुल इस लंबी प्रक्रिया में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
रक्षा मंत्री ने कहा कि गुरुकुल यह आभास व्यक्त करते हैं कि वे केवल शिक्षा की प्राचीन पद्धतियों का पालन करते हैं, लेकिन आज के समय में वे प्रगति कर चुके हैं और आधुनिक हो गए हैं। उन्होंने गुरुकुलों से आज के निरंतर विकसित हो रहे समय के साथ तारतम्य बिठाते हुए पारंपरिक शिक्षा के साथ-साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्वांटम प्रौद्योगिकी जैसी उभरती और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में अग्रसर होने का आह्वान किया। “ऐसी प्रौद्योगिकियां विकसित करें जो देश को इस क्षेत्र में अग्रणी बनाएं। उन्होंने कहा कि गुरुकुलों को अन्य शिक्षण संस्थानों के लिए मार्गदर्शक के रूप में कार्य करना चाहिए, आने वाले समय में वे एक बार फिर देश और उसकी संस्कृति का प्रतिनिधित्व करें और भारत की नई पहचान बनें।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश में सांस्कृतिक विकास में गुरुकुलों की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने सांस्कृतिक उत्थान की दिशा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि “काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और महाकालेश्वर धाम से राम मंदिर तक बुनियादी ढांचागत विकास से पता चलता है कि सरकार हमारी सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और उसके उत्थान की दिशा में कार्यरत है। यह विचार सांस्कृतिक संरक्षण से भी आगे जाता है, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियां इस महान देश की संस्कृति पर गर्व कर सकें। उन्होंने कहा कि गुरुकुल इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
रक्षा मंत्री ने योग के बारे में विशेष उल्लेख किया और बताया कि कैसे इसके हितकारी होने के कारण संपूर्ण विश्व ने प्राचीन भारतीय पद्धति का अनुसरण किया है। “भारत वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा का पालन करता है। हमारे ज्ञान का विशाल भंडार पूरी दुनिया को समर्पित है। अब 21 जून को संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्वभर में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि योग की इस प्रथा को, कभी केवल भारत तक ही सीमित माना जाता था, लेकिन अब इसे विश्व स्तर पर लोगों ने स्वीकार किया है, अब योग प्रणाली पूरे विश्व के लोगों के दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।” भारतीय साहित्य में संस्कृत के महत्वपूर्ण स्थान पर प्रकाश डालते हुए राजनाथ सिंह ने प्राचीन भारतीय भाषा को उसी तरह बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया, जिस प्रकार से योग को लोगों के लिए सुलभ बनाया गया था।
शस्त्रों की शिक्षा अनिवार्य
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इस अवसर पर कहा एक तरफ देश में श्रीराम मंदिर की स्थापना के साथ-साथ पीएम मोदी सनातन के नए युग का शुभारभ कर रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर बाबा रामदेव योग अध्यात्म के विश्व स्तरीय गुरुकुल की स्थापना कर रहे हैं, उन्होंने बाबा रामदेव से अनुरोध किया कि वो यहां के शिक्षार्थियों के लिए एनसीसी अनिवार्य करें, ताकि शास्त्रों के साथ-साथ शस्त्रों की भी शिक्षा लेकर राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान कर सके।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि बाबा रामदेव हम सभी के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं, योग और आयुर्वेद की शिक्षा को आपने आधुनिक रूप दिया है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार और बाबा रामदेव मिलकर कुछ महत्वाकांक्षी योजनाओं पर काम करेंगे। बाबा रामदेव ने आए हुए अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस गुरुकुल में हम आर्टिफिशल इंटेलिजेंस से भी आगे की शिक्षा देने का काम करेंगे। ये गुरुकुल अन्य विश्वविद्यालयों का भी मार्गदर्शन करेंगे। आचार्य बालकिशन ने सभी का आभार प्रकट करते हुए कहा कि पतांजलि के साथ साथ स्वामी दर्शानांद गुरुकुल भी राष्ट्र निर्माण में अपनी अग्रणी भूमिका निभाएगा। इस अवसर पर करीब 25 हजार लोगों की मौजूदगी रही और बड़ी संख्या में संत समाज से जुड़े और राजनीतिक क्षेत्र के जुड़े लोग मौजूद रहे।
टिप्पणियाँ