चंद्रयान 3 के बाद भारत ने शनिवार को एक और उपलब्धि हासिल कर ली है। भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल1 अपने मंजिल पर पहुंच गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अवसर पर वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा कि यह सबसे जटिल और पेचीदा अंतरिक्ष अभियानों को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे।
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत के लिए यह साल शानदार रहा। पीएम मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, टीम ISRO द्वारा लिखी गई एक और सफलता की कहानी। सूर्य-पृथ्वी कनेक्शन के रहस्यों की खोज के लिए आदित्य एल1 अपनी अंतिम कक्षा में पहुंच गया है।
आदित्य को पृथ्वी से 15 लाख किमी दूर एल वन (लैंग्रेज प्वाइंट) प्वाइंट के पास की कक्षा में स्थापित किया जाएगा। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद से इसरो के इतिहास रचने का सिलसिला जारी है। नये साल की शुरुआत ब्लैक हॉल के अध्ययन के लिए सैटेलाइट लॉन्च कर इसरो ने दुनिया में धाक जमाई। इसी कड़ी में भारत का पहला सूर्य मिशन आदित्य एल वन शनिवार शाम अपने लक्ष्य पर पहुंच गया। इसके साथ ही 2 सितंबर को 11 बजकर 50 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से सूर्य के लिए शुरू हुआ 15 लाख किमी का सफर अपने मुकाम पर पहुंच गया। सूर्य के अध्ययन के लिए देश का यह पहला मिशन है। इस मिशन की सफलता पर अमेरिका के बाद केवल भारत ऐसा देश होगा जिसका अंतरिक्ष यान इस प्वाइंट तक पहुंचा।
आदित्य एल वन मिशन को पांच साल के लिए बनाया गया है। हालांकि अगर सही सलामत रहा तो यह 10-15 साल तक काम कर सकता है। सूर्य से जुड़ा डेटा भेज सकता है।
कब-क्या हुआ
– 2 सितंबर 2023 को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से आदित्य एल वन का प्रक्षेपण।
– 03- 15 सितंबर को अंतरिक्ष यान ने विभिन्न चरणों को पूरा किया।
– 19 सितंबर को सूर्य-पृथ्वी एल वन प्वाइंट की ओर बढ़ा।
– 30 सितंबर को पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र से बाहर निकला।
– 1 दिसंबर को आदित्य सोलर विंड पार्टिकल्स एक्सपेरिमेंट में सोलर विंड आयन स्पेक्ट्रोमीटर पेलोड शुरू।
– 6 जनवरी को आदित्य एल वन यान गंतव्य कक्षा में पहुंचेगा।
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