भारत के पड़ेसी देश बांग्लादेश में कल यानी 7 जनवरी को आम चुनाव होने तय हैं। इन चुनावों में प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग की जीत तय मानी जा रही है जबकि कट्टरपंथी बीएनपी और उसकी सहयोगी जमाते इस्लामी ने चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी हुई है। ऐसे में कट्टर उन्मादियों की वहां भारत विरोधी हरकतों को देखते हुए उस इस्लामी देश के विदेश सचिव का यह कहना कई अर्थों में मायने रखता है कि ‘हमारी पार्टी की सरकार रहते हुए इस देश में भारत विरोधी तत्वों को जमने नहीं दिया जाएगा’।
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना इन चुनावों में लगातार चौथी बार प्रधानमंत्री पद पर आने का चुनाव लड़ रही हैं। ऐसे में विदेश सचिव मसूद बिन मोमेन ने कल के चुनाव के संदर्भ में भारत से बांग्लादेश की नजदीकी का उल्लेख किया है और ऐतिहासिक संबंधों को फिर से याद किया है।
बांग्लादेश के विदेश सचिव ने कहा है कि भारत और बांग्लादेश के बीच 1971 से संबंध बने हुए हैं। इनकी नींव बहुत मजबूत है और यह बनी है भारत के सैनिकों के बलिदान पर। 1971 के बाद से, संबंध निरंतर पुख्ता होते गए हैं। मोमेन ने कहा कि पिछले कुछ समय में अनेक स्तर पर इन संबंधों में नए आयाम जुड़े हैं।
इसमें संदेह नहीं है कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की पिछली भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच संबंधों को और प्रगाढ़ करने पर गौर किया गया था और भारत ने उस देश की प्रगति में और योगदान देने की बात की थी। साथ ही भारत ने बांग्लादेश में हिन्दुओं और मंदिरों पर लगातार हो रहे हमलों पर चिंता जताते हुए उन पर लगाम लगाने की अपील की थी। खुद शेख हसीना ने वहां बसे हिन्दुओं की सुरक्षा पर अधिक ध्यान देने का वादा किया था।
मोमेन ने कहा कि प्रधानमंत्री शेख हसीना आतंकवाद, चाहे वह किसी भी तरह का हो, उसे बिल्कुल भी बर्दाश्त न करने की नीति पर पूरी तरह से कायम हैं। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की एक इंच भूमि भी हमारे पड़ोसियों (भारत और म्यांमार) के विरुद्ध इस्तेमाल नहीं हो दी जाएगी। हमारी इसी नीति की वजह से पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों को फायदा पहुंचा है। इसमें प्रगति आ रही है।
संभवत: उसी संदर्भ में विदेश सचिव मोमेन ने कहा कि प्रधानमंत्री शेख हसीना आतंकवाद, चाहे वह किसी भी तरह का हो, उसे बिल्कुल भी बर्दाश्त न करने की नीति पर पूरी तरह से कायम हैं। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की एक इंच भूमि भी हमारे पड़ोसियों (भारत और म्यांमार) के विरुद्ध इस्तेमाल नहीं हो दी जाएगी। हमारी इसी नीति की वजह से पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों को फायदा पहुंचा है। इसमें प्रगति आ रही है। इसे और आगे ले जाना है।
बांग्लादेश भारत के साथ कनेक्टिविटी तथा आपसी अर्थिक मुनाफे वाली की संयुक्त परियोजनाओं के लिए भी उत्सुक है। इस दिशा में थोड़ा बढ़ा भी गया है। मोमेन ने कहा कि दोनों देशों के मध्य आर्थिक संबंधों के साथ ही दोनों तरफ से माल ढुलाई बढ़ाने की दिशा में आगे बढ़ने पर काम हुआ है। दोनों अर्थव्यवस्थाओं की पूरी क्षमता का उपयोग होना चाहिए। वहां जापान की मदद से मातरबाड़ी बंदरगाह बन रहा है। इससे न सिर्फ भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के लिए बल्कि नेपाल तथा भूटान के लिए भी नई संभावनाएं खुल सकती हैं।
पड़ोसी देश के सबसे वरिष्ठ राजनयिक ने कहा कि कोई भी अर्थव्यवस्था हो, उसे कि क्षेत्र विशेष में आगे बढ़ाना हो तो उसके आर्थिक क्षेत्रों की नीतियों तथा कार्यक्रमों में थोड़ी निरंतरता जरूरी होती है। अगर नीतियां बदलती रहती हैं तो कार्यक्रमों के बदलाव के साथ ही आर्थिक तरक्की में भी बाधा आती है। लेकिन गत 15 वर्षों में प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व में देश आर्थिक प्रगति में निरंतरता देख रहा है।
उन्होंने आगे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि भू-राजनीति के क्षेत्र में बहुत तनाव देखने में आते हैं। बहुत प्रतिद्वंद्विता दिखती है, लेकिन बांग्लादेश इस कठिन समय से बाहर आने में सफल रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने ने भी समय-समय पर दोनों देशों के बीच संबंधों के सुनहरे आयाम को रेखांकित किया है।
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