वाराणसी। अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर बने रामलला के भव्य मंदिर में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर मुस्लिम महिलाओं में भी काफी उत्साह है। मुस्लिम महिला फाउण्डेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष नाजनीन अंसारी के नेतृत्व में शनिवार को रामज्योति लाने के लिए लमही स्थित सुभाष भवन से रामपंथ की रामज्योति यात्रा अयोध्या के लिए रवाना हुई।
पातालपुरी मठ के महंत बालक दास ने नाजनीन अंसारी को रामध्वजा देकर यात्रा दल को हरी झंडी दिखाई। नाजनीन अंसारी और डॉ० नजमा परवीन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान के बाद सभी लोग 22 जनवरी को रामज्योति जलाएं तो अयोध्या से रामज्योति लाने का फैसला किया। इसके लिये रामपंथ की ओर से रामज्योति यात्रा का आयोजन किया गया।
यात्रा दल में नाजनीन अंसारी, डॉ० नजमा परवीन, ताजीम भारतवंशी, रोजा भारतवंशी, अफरोज खान शामिल हैं। नाजनीन अंसारी के नेतृत्व में निकली रामज्योति यात्रा जौनपुर, अकबरपुर होते हुए अयोध्या पहुंचेगी, जहां साकेत भूषण श्रीराम मंदिर के पीठाधीश्वर महंत शम्भू देवाचार्य रामज्योति सौंपेंगे।
श्रीराम मंदिर और हनुमान गढ़ी में दर्शन के बाद नाजनीन अंसारी रामज्योति लेकर रविवार को वापस सुभाष भवन पहुचेंगी, जहां पूर्वांचल के सैकड़ों मुसलमान उनके स्वागत के लिए जुटेंगे। रामज्योति यात्रा की अगवानी विशाल भारत संस्थान के जौनपुर जिला चेयरमैन नौशाद अहमद दूबे चन्दवक में करेंगे। रास्ते में यात्रा का जगह–जगह स्वागत होगा।
1528 ई० में मुगल हमलावर बाबर द्वारा विध्वंस किये गए श्रीराम जन्मभूमि के मंदिर को फिर से बनने और रामलला के विराजमान होने का सपना सभी भारतीयों ने देखा था, उसी में से एक नाजनीन अंसारी भी थीं। नाजनीन अंसारी पिछले 17 वर्षों से रामभक्ति करती आ रही हैं। रामनवमी पर विशेष कार्यक्रम आयोजित करती हैं, जिसमें सैकड़ों मुस्लिम महिलाएं शामिल होती हैं।
नाजनीन जब वर्ष 2014 में अयोध्या गयी थीं तो उन्होंने सरयू में स्नान करके हनुमान गढ़ी और श्रीराम जन्मभूमि का दर्शन किया था। तब वे रामलला को टेंट में देखकर बहुत आहत हुई थीं। अयोध्या से लौटने के बाद उन्होंने श्रीराम मंदिर निर्माण के समर्थन के लिए देशभर के मुसलमानों से बात कीं। हजारों की संख्या में मुस्लिम महिलाओं ने नाज़नीन के कहने पर राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा भी दिया। आज सभी भारतीयों का सपना पूरा हो रहा है।
नाजनीन अंसारी ने कहा कि भगवान श्रीराम सबके पूर्वज हैं। 500 सालों के बाद उनका मन्दिर बन रहा है तो हम सबको खुशी है और हम खुलकर खुशी जाहिर करेंगे। नफरत के अंधकार ने हमारे पूर्वजों का चेहरा ढक दिया था। अब रामज्योति में सबका चेहरा साफ दिख रहा है। उन्होंने कहा कि हम भारतीय भूखण्ड के रहने वाले हैं और हमारे पूर्वज भगवान श्रीराम हैं। धर्म बदल सकते हैं लेकिन अपनी संस्कृति, अपनी परम्पराएं और अपने पूर्वज कभी नहीं बदल सकते। हिंसा,नफरत और आतंकवाद पर रामज्योति भारी है।
रामपंथ के पंथाचार्य डॉ० राजीव ने कहा कि मुस्लिम बहनों का यह प्रयास हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच एक भावनात्मक रिश्ते को जन्म देगी,जिससे मुसलमानों को अपने पूर्वजों और परम्पराओं से जुड़ने का मौका मिलेगा। रामज्योति केवल घरों को प्रकाशित नहीं करेगी, बल्कि आत्मा को भी प्रकाशमान बनाएगी और रिश्तों की नई परम्परा शुरू होगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर शोध करने वाली डॉ० नजमा परवीन ने कहा कि भगवान राम के रास्ते पर चलना अब जरूरी हो गया है। हम अपने पूर्वजों और उनके दिए गए संस्कारों को न भूलें, नहीं तो जड़ से अलग हो जाएंगे और हमारी पहचान पर संकट आ जायेगा।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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