हरिद्वार। उत्तराखंड में वन विभाग की जमीनों पर अवैध कब्जे किए जा रहे हैं, जिन्हें हटाने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विशेष अभियान शुरू किया हुआ है। जंगल की जमीनों पर सबसे ज्यादा गुज्जर बक्करवालो यानि मुस्लिम गुज्जरों का अवैध कब्जा सामने आया है, जिन्हें हटाने या खुद ही हटने के लिए नोटिस जारी किए गए हैं।
हरिद्वार वन प्रभाग के जंगलों में वन गुज्जरों ने ट्रैक्टर खड़े किए हुए हैं। बताया जाता है वनकर्मियों के संरक्षण में ये सरकारी जमीन पर खेती कर रहे हैं और जंगलों से निकलने वाले नदी, नालों में अवैध खनन भी कर रहे हैं। हरिद्वार, हरकी पैड़ी के सामने भी सैकड़ों की संख्या में वन गुज्जरों ने अपने स्थाई डेरे जमा लिए हैं और इनकी पशु गंगा की धाराओं में स्नान करने तक पहुंच रहे हैं। हरिद्वार के घाटों में गैर सनातनी लोगों का प्रवेश वर्जित है, लेकिन सड़क के पार इन्होंने अपने डेरे जमाकर जनसंख्या असंतुलन की समस्या को खड़ा कर राज्य सरकार को चुनौती भी दे दी है।
जानकारी के मुताबिक वन विभाग ने जंगल में रहने वाले इन गुज्जरों को आबंटन से अधिक भूमि कब्जाने पर नोटिस भी दिए हुए हैं, लेकिन नोटिस जारी होते ही इन मुस्लिम गुज्जरों के हमदर्द सामने आने लगे हैं। उत्तराखंड में मुस्लिम गुज्जरों को कब्जा बनाए रखने के लिए बिजनौर के बहुजन समाज पार्टी के सांसद मलूक नागर ने केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने लच्छीवाला फॉरेस्ट रेंज की तरफ से दिए गए नोटिस पर ऐतराज जताया है। दिलचस्प बात ये है कि बिजनौर के सांसद मलूक नागर ने 26 मई 2023 को केंद्रीय वनमंत्री को लिखे पत्र में ये साफ लिखा है कि उत्तराखंड व हिमाचल के गुज्जर बक्करवालो (मुस्लिम गुज्जरों) को लच्छीवाला रेंज से बेदखली के नोटिस तुरंत वापस लिया जाए। यानि पत्र में लिखे ब्यौरे में साफ-साफ स्वीकार किया गया है कि उत्तराखंड में हिमाचल के मुस्लिम गुज्जरों का भी जंगल की भूमि पर कब्जा है।
उल्लेखनीय है कि “पाञ्चजन्य” खबरों के माध्यम से लगातार कहता रहा है कि उत्तराखंड के जंगलों में बाहरी राज्यों हिमाचल, यूपी, हरियाणा के वन गुज्जरों ने अवैध कब्जे किया हुआ है। उत्तराखंड में मुस्लिम गुज्जरों को रिजर्व फॉरेस्ट से बाहर निकालकर उन्हें प्रति परिवार एक हेक्टेयर जमीन और मकान बनाने के लिए साढ़े चार लाख रुपए की रकम दी गई।
इस विस्थापन योजना में करीब ढाई हजार गुज्जर परिवारों का विस्थापन हुआ, लेकिन इस विस्थापन योजना का मुस्लिम गुज्जरों ने गलत फायदा उठाया और अब अपनी जमीनों को स्टांप पेपर पर बेच कर ये फिर से जंगलों में जाकर बैठ गए या कुछ पहाड़ों की तरफ आने जाने लगे। दरअसल सरकार ने विस्थापन योजना में इन्हें साफ कह दिया था कि वे जंगल के बाहर ही रहेंगे। आबंटित जमीन पर चारा बोएंगे और पशुओं का भरण पोषण करेंगे। साथ ही उनके लिए सरकार ने बिजली, पानी, स्कूल आदि की भी व्यवस्था कर के दी। लेकिन खाना बदोश की तरह मुस्लिम गुज्जर पहाड़ों की तरफ भी जाते रहे और वहां भी डेरे बनाते रहे हैं इनमें जमात के लोग जाने लगे और पहाड़ों पर जंगल की जमीन पर मदरसे तक खुलने लगे।
इधर लच्छींवाला, तराई पूर्वी, हरिद्वार और अन्य फॉरेस्ट रेंज में आबंटित भूमि के साथ लगी जमीनों पर मुस्लिम गुज्जरों ने अवैध कब्जे कर लिए, जिनमें हिमाचल और कश्मीर के गुज्जर बक्करवालो (मुस्लिम गुज्जर) भी शामिल हो गए हैं। उत्तराखंड वन विभाग और उत्तराखंड के खुफिया विभाग ने जब इस बारे में राज्य सरकार को अवगत कराया तो सरकार ने बेदखली की कार्रवाई करने का आदेश जारी किया। इस आदेशों के बाद बिजनौर के सांसद इनकी पैरवी करने लग गए हैं।
उल्लेखनीय है कि बिजनौर के बहुजन समाज पार्टी के सांसद मकूल नागर की 53 करोड़ से ज्यादा संपत्ति को यूपी की योगी सरकार ने कुर्क किया हुआ है। उनपर आरोप है कि उनके द्वारा ये संपत्ति अवैध रूप से अर्जित की गई है। जिसपर जांच और कानूनी कार्रवाई भी चल रही है।
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