क्या भारत और नेपाल ऐतिहासिक संबंधों की नई इबारत लिखने जा रहे हैं? क्या रोटी—बेटी का प्राचीन काल से चला आ रहा नाता नई गर्मजोशी पा रहा है? क्या नेपाल को समझ आ रहा है कि भारत जैसे पड़ोसी के रहते उसे कम्युनिस्ट चीन की धमकियों से घबराने की जरूरत नहीं है? क्या प्रधानमंत्री प्रचंड और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बीच हुई बात में आगे की राह का सकारात्मक खाका बना है? क्या भारत एक बार फिर नेपाल को आर्थिक रूप से सबल बनाने में बड़ा मददगार साबित होगा? क्या हिमालयी देश चीन के शिकंजे से दूर रहना चाहता है? ये ऐसे सवाल हैं जो आज भारत—नेपाल संबंधों पर पैनी नजर रखने वालों के दिमाग में घूम रहे हैं।
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर की कल की नेपाल यात्रा से एक संकेत मिला है। भगवान पशुपतिनाथ के दर्शन के साथ नेपाल में अपने आधिकारिक दौरे की शुरुआत करते हुए जयशंकर ने दोनों के बीच बढ़ रही निकटता को रेखांकित किया। उन्होंने सभी देशवासियों की ओर से पशुपतिनाथ भगवान की अर्चना की।
जयशंकर की मौजूदगी में भारत और नेपाल के बीच भारत द्वारा अगले 10 साल में 10,000 मेगावाट बिजली लिए जाने को लेकर एक बड़ा महत्वपूर्ण समझौता भी हुआ। भारत और नेपाल के ऊर्जा सचिवों ने इस द्विपक्षीय समझौते पर दस्तखत किए। गत नई दिल्ली आए नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल प्रचंड ने घोषणा की थी कि दोनों देशों के बीच बिजली निर्यात को लेकर सहमति बन चुकी है। कल हुए हस्ताक्षर उसी पर आगे बढ़ने की पुष्टि करते हैं।
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और नेपाल के ऊर्जा-जल संसाधन तथा सिंचाई मंत्री शक्ति बहादुर बस्नेत की उपस्थिति में बिजली निर्यात समझौते को अधिकृत रूप से अंगीकार किया गया। बिजली के क्षेत्र में नेपाल ने इधर कुछ उपलब्धियां हासिल की हैं जिन्हें लेकर प्रधानमंत्री प्रचंड खासे उत्साहित हैं और भारत के साथ यह समझौता होने पर तो वे और आशावान नजर आ रहे हैं।
बात सिर्फ बिजली निर्यात तक सीमित नहीं है। ऊर्जा व्यापार, नेपाल एकेडमी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी तथा न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड के बूच लूनास उपग्रह हेतु भी नेपाल को तकनीकी मदद और नवीकरणीय ऊर्जा प्रवर्धन में सहयोग को लेकर समझौते किए गए हैं। भारत और नेपाल के विदेश मंत्रियों ने मिलकर न सिर्फ द्विपक्षीय संबंधों पर विस्तृत चर्चा की है बल्कि व्यापार, कनेक्टिविटी आदि की परियोजनाओं के साथ ही रक्षा—सुरक्षा क्षेत्र में विस्तृत सहयोग पर बात हुई है।
और बात सिर्फ बिजली निर्यात तक सीमित नहीं है। ऊर्जा व्यापार, नेपाल एकेडमी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी तथा न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड के बूच लूनास उपग्रह हेतु भी नेपाल को तकनीकी मदद और नवीकरणीय ऊर्जा प्रवर्धन में सहयोग को लेकर समझौते किए गए हैं। भारत और नेपाल के विदेश मंत्रियों ने मिलकर न सिर्फ द्विपक्षीय संबंधों पर विस्तृत चर्चा की है बल्कि व्यापार, कनेक्टिविटी आदि की परियोजनाओं के साथ ही रक्षा—सुरक्षा क्षेत्र में विस्तृत सहयोग पर बात हुई है।
काठमांडू में भारत के विदेश मंत्री ने साफ कहा कि भारत ‘पड़ोस पहले’ की नीति अपनाए हुए है और इस दृष्टि से नेपाल हमारा एक महत्वपूर्ण साझीदार है। उन्होंने कहा कि उनकी यह यात्रा दो निकट तथा दोस्ताना पड़ोसियों के बीच उच्च स्तरीय आदान-प्रदान की प्राचीन परंपरा के मद्देनजर हो रहा है।
जयशंकर और नेपाल के विदेश मंत्री एन.पी. सऊद ने भारत-नेपाल संयुक्त आयोग की सातवीं बैठक की संयुक्त रूप से अध्यक्षता की। दोनों नेताओं ने आपसी सहयोग के विभिन्न विषयों पर विस्तार से चर्चा की। दोनों पक्ष सामुदायिक विकास परियोजनाओं, दीर्घकालिक बिजली कारोबार, नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग जैसे पहलुओं पर बात की। इस अवसर पर 3 सीमा पार पारेषण लाइनों का भी संयुक्त तौर पर शुभारम्भ किया गया।
विदेश मंत्री जयशंकर ने नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल तथा प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड से भेंट की और भारत-नेपाल संबंधों के विभिन्न आयामों पर अपने विचार साझा किए। जयशंकर से मिलकर प्रचंड यह कहने से खुद को रोक नहीं पाए कि नेपाल और भारत की दोस्ती बेजोड़ है।
राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल से शिष्टाचार भेंट के लिए जयशंकर की उपस्थिति में नेपाल तथा भारत के बीच संपर्क, जलवायु परिवर्तन के असर को कम करने और जलविद्युत के क्षेत्र में साझेदारी तथा सहयोग की आवश्यकता की चर्चा की।
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