पश्चिम के समाज का एक धड़ा अभी भी भारत को लेकर औपनिवेशिक सोच का शिकार है। उसे लगता है कि वह जैसा कहे, भारत की राजनीति एवं यहाँ तक कि भारत की विदेश नीति भी उसी के अनुसार होनी चाहिए। मगर वह यह भूल जाता है कि दुनिया तथ्यों पर चलती है। भारत एक स्वतंत्र देश है, जिसकी अपनी संप्रभु एवं स्वतंत्र विदेश नीति है और जिसका प्रथम उद्देश्य भारत का हित है।
अपनी X प्रोफाइल में राजनीतिक पत्रकार एवं कमेंटेटर, और टॉक टीवी पर अंतर्राष्ट्रीय एडिटर लिखने वाली इजाबेल ओअकेसशॉट भी ऐसी ही एक कथित पत्रकार हैं, जिनके अनुसार भारत की विदेश नीति दरअसल पश्चिम के अनुसार चलने वाली होनी चाहिए। जो मार्ग कथित पश्चिम चुने, वही मार्ग भारत चुने। भारत और रूस की परस्पर मित्रता से चिढ़कर इजाबेल ने x पर पोस्ट लिखा कि
“मैं गंभीरता से यह देखने के लिए बहुत श्वेत/बहुत महिला/बहुत बेवक़ूफ़/बहुत वामपंथी हूँ, जब मैं यह कहती हूँ कि मोदी पश्चिम के कोई दोस्त नहीं हैं और पुतिन के साथ उनकी निकटता बहुत ही खराब और खतरनाक है। मैं इसे कहती रहूँगी, यूक्रेन के बाद मोदी ने अपना पक्ष चुन लिया है और वह हमारा नहीं है!”
Apparently I’m too white/too female/too stupid/too left wing to be taken seriously when I say that Modi is no friend of the west and his ever closer alliance with Putin is a bad and dangerous thing. I’ll keep calling it out. Post Ukraine, Modi has picked a side. It’s not ours.
— Isabel Oakeshott (@IsabelOakeshott) January 1, 2024
हालांकि इजाबेल के इस पोस्ट पर उन्हें लोगों ने आईना दिखाया। यह ऐतिहासिक तथ्य है कि पश्चिम की सत्ता की सोच भारत के प्रति औपनिवेशिक सोच से भरी रही है और यह भी सत्य है कि एक आत्मनिर्भर भारत का विरोध पश्चिम ने हमेशा किया है। जब भारत में पाकिस्तान द्वारा आतंकवादी हमले किए जाते थे तो यही पश्चिम था जो भारत पर इस्लामोफोबिया का आरोप लगाते हुए यह कहता था कि पाकिस्तान तो खुद ही आतंक का शिकार है। भारत के खिलाफ आर्थिक अपराध करने वालों एवं भारत के खिलाफ आतंक फ़ैलाने वाले लोगों को पश्चिम ने नागरिकता प्रदान की है और भारत के प्रति पश्चिमी मीडिया का रवैया किसी से छिपा नहीं है। दरअसल पश्चिम की औपनिवेशिक सोच को वही दबा हुआ और पाकिस्तान की शिकायत करता हुआ भारत पसंद है, जिसमें पश्चिम का वर्चस्व हो।
जब-जब भारत ने अपनी संप्रभुता का प्रदर्शन किया है, तब-तब पश्चिम के वर्चस्ववादी मीडिया को दर्द हुआ है। यह उसकी बर्दाश्त से बाहर है कि भारत अपने हितों के अनुसार कदम उठाए। आत्मनिर्भर एवं स्वावलंबी भारत पश्चिम के एक बहुत बड़े वर्ग की निगाह में चुभता है, जिसके अनुसार उसे वही कदम उठाने चाहिए, जिसमें पश्चिम का हित हो।
रूस-युक्रेन युद्ध में रूस पर पश्चिम देश लगातार रूस का विरोध कर रहे हैं और रूस पर लगातार प्रतिबन्ध लगा रहे हैं। वहीं भारत लगातार पश्चिम के इस दोगले रवैये का विरोध लगातार करता आ रहा है। अभी बहुत दिन नहीं हुए हैं, जब भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूस से तेल के आयात को लेकर अपना रुख स्पष्ट किया था और पश्चिम के दोगले चेहरे को स्पष्ट किया था।
और उन्होंने स्पष्ट किया था कि यूरोप ने फरवरी 2022 से भारत की तुलना में रूस से छ: गुना एनर्जी का आयात किया है। और उन्होंने भारत पर प्रश्न उठाने वालों से ही पूछा था कि यदि यह सिद्धांत की बात है तो यूरोप ने 25 फरवरी से ही मास्को से ऊर्जा का आयात क्यों नहीं रोका?
पश्चिम की वर्चस्ववादी सोच की यही समस्या है कि वह चाहती है कि पूरा विश्व उसके हितों के अनुसार कदम उठाए। और जो भी देश अपने हितों के विषय में सोचता है, पश्चिम की विस्तारवादी सोच उसे अस्थिर करने का हर संभव प्रयास करती है। उसके रूप-प्रारूप अलग अलग हो सकते हैं।
इजाबेल की इस पोस्ट का उत्तर देते हुए पैट्रिक ब्रुकमन ने लिखा कि ““हमारा पक्ष” क्या है? टोनी ब्लेयर ने उत्तरी अफ्रीका को एक पार्किंग स्थल में बदल दिया और उसके शरणार्थियों को यूके पर हमला करने दिया? पश्चिम ने एक बार भी भारत के साथ दोस्ती नहीं दिखाई, एक बार भे नहीं! जबकि इसके विपरीत वह भारत के दुश्मनों के साथ खड़ा रहा है!”
सुब्रमणि।कॉम नामक हैंडल ने लिखा कि “हो सकता है कि तुम्हारा जन्म 1971 में नहीं हुआ हो, जब यूके ने युद्ध में पाकिस्तान का समर्थन करने का निर्णय लिया था। आपने भारत से 45 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की loot की है? हम अपनी ओर है! लड़की आपके कर्म आपकी प्रतीक्षा में है और विंस्टन चर्चिल ने भारत के साथ जो किया है, उसका खामियाजा भुगतना ही होगा!”
एक यूजर ने पश्चिम का वह स्याह चेहरा दिखाया, जो वह देखना पसंद नहीं करेगा। वह चेहरा था सोवियत विरोधी सैनिक “ओसामा” का महिमामंडन!
And pls see this, something that the West would be proud of !!! https://t.co/uaccjOh1Hb
— Sharad Singh (@3sharad) January 1, 2024
इजाबेल को भारत और रूस की दोस्ती पर समस्या है और वह कहती है कि भारत का रूस के साथ जाना खतरनाक और बुरा है, मगर अगस्त 2023 की ग्लोबलविटनेस।ओआरजी की एक रिपोर्ट के अनुसार अगस्त तक ही यूके ने रूस से जेट का ईंधन खरीदा था। दरअसल यूरोप ने रूस से ईंधन का आयात प्रतिबंधित है, मगर रूसी कच्चे तेल के प्रयोग से बना हुआ ईंधन वैध है, जब तक उसे कही और रिफाइन किया गया है।
भारत और तुर्की में रिफाइनरी ने रूस से कच्चा तेल लेकर पश्चिमी बाजारों में अपना निर्यात बढ़ाया है।
इजाबेल जैसे लोगों को यह लगता है कि पश्चिम की समस्या को लेकर भारत जैसे देश तो चिंतित हों, मगर जब भारत पर कोई समस्या आए तो उस समय वह उसके दुश्मनों के पक्ष में जाकर खड़ा हो जाए। जैसा पाकिस्तान के साथ युद्धों में और उसके द्वारा प्रायोजित आतंकवादी हमलों के दौरान हुआ। भारत छलनी होता रहा और पश्चिम का विस्तारवादी एवं वर्चस्ववादी मीडिया का एक बड़ा वर्ग भारत को ही दोषी ठहराता रहा।
बांग्लादेश में चल रही हिन्दू विरोधी हिंसा को लेकर वर्ष 1971 में आर्चर ब्लड, जो उस समय ढाका में अमेरिका के कौंसिल जनरल थे, ने अपने ही देश की भूमिका पर प्रश्नचिह्न लगाए हैं। इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा था, मगर बांग्लादेश युद्ध में पश्चिम पूरी ताकत के साथ पाकिस्तान के पक्षमे खड़ा रहा था। पकिस्तान की सेना लगातार बांग्लादेश में बांग्ला भाषियों और विशेषकर हिन्दुओं को मारती रही थी और उस समय रूस ही भारत और ईस्ट पाकिस्तान अर्थात बांग्लादेश की सहायता के लिए आया था।
पश्चिम के इस वर्ग को यह समझना होगा कि पश्चिम की समस्या या कहें यूरोप की समस्या विश्व की समस्या नहीं है। क्या भारत की धरती को लहूलुहान करने वाले पाकिस्तान के साथ उन्होंने कोई संधि तोड़ी या व्यापार बंद किया? नहीं!
यह बात इस वर्ग को समझनी होगी कि यूरोप विश्व का केंद्र नहीं है, यूरोप के वर्चस्ववादी हित भारत के हित नहीं है। भारत के हित अपने हित हैं और भारत अपने हितों के अनुसार ही कदम उठाएगा, जैसा अभी भारत सरकार उठा रही है।
यही इजाबेल जैसे वर्ग की तड़प है और लोग कह भी रहे हैं कि अभी तो आपको और तड़पना है!
टिप्पणियाँ