चित्रकूट धाम। प्रभु श्रीराम ने वनवास काल के दौरान देवी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ चित्रकूट में करीब 12 साल समय बिताया था। चित्रकूट में ऐसे कई स्थान हैं, जिनका उल्लेख रामायण से लेकर श्री रामचरितमानस में भी मिलता है। उन्हीं में से एक स्थान है भरत मिलाप। यह वही स्थान है जहां भगवान राम के अनुज भरत उन्हें मनाने चित्रकूट आए थे, लेकिन पिता की आज्ञा का पालन करने की बात कहते हुए भगवान राम ने वनवास काल का समय पूरा किए बिना अयोध्या वापस लौटने से मना कर दिया था।
राम-भरत मिलाप स्थल
चित्रकूट में भरत मिलाप, भगवान कामतानाथ परिक्रमा मार्ग पर स्थित है। इस स्थान को लेकर मान्यता है कि श्रीराम व भरत जी का यहीं पर मिलन हुआ था। यहां के पत्थर भी पिघले हुए से लगते हैं जैसा कि श्री रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास ने उल्लेख किया है कि” द्रवहिं बचन सुनि कुलिस पषाना। पुरजन पेमु न जाइ बखाना॥ बीच बास करि जमुनहिं आए। निरखि नीरु लोचन जल छाए॥ अर्थात जब भरत श्रीराम को मनाने चित्रकूट जा रहे थे तो मार्ग के पत्थर भी पिघल गए। बिल्कुल वैसे ही इस स्थान पर पत्थर के पिछला स्वरूप सा नजर आता है और उसमें पैरों के निशान भी हैं। भरत मिलाप में तीन मंदिर बने हैं, जिसमें राम-भरत मिलन, माता कौशल्या-सीता मिलन और लक्ष्मण-शत्रुघन मिलन दिखाया गया है। तीनों मंदिरों में आज भी पत्थर की शिला पर चरण चिन्ह देखे जा सकते हैं।
भरत मिलाप स्थल के पुजारी पंडित शिवबरन ने पाञ्चजन्य को बताया कि यहां पर प्रभु राम और भरत जी का मिलन हुआ था। उस भावपूर्ण दृश्य को देखकर तीनों लोक द्रवित हो उठा था। जो जड़ था वह चेतन हो गया था और जो चेतन था वह जड़ हो गया था। पत्थर भी मोम की तरह पिघल गए थे। आज भी पत्थर पर प्रभु राम और भरत जी के चरण चिन्ह मौजूद हैं। यहां दोनों भाइयों के मिलने के बाद सभा लगी, लेकिन भगवान राम ने बिना वनवास काल का समय पूरा किए अयोध्या लौटने से साफ मना कर दिया था। उसके बाद भरत जी ने प्रभु राम से चरण पादुका मांगी और उसे अपने साथ ले गए। उसी चरण पादुका को सिंघासन पर रखकर प्रभु राम के वापस आने तक अयोध्या का राज चलाया था।
कैसे पहुंचें चित्रकूट
चित्रकूट पहुंचने के लिए सतना सबसे निकटतम शहर है। वहां से टैक्सी से भी पहुंचा जा सकता है। अगर ट्रेन से जाना है तो चित्रकूटधाम कर्वी रेलवे स्टेशन सबसे पास है, वहां से राम घाट करीब 10 किलोमीटर है।
अगर आपको यह स्टोरी पसंद आई हो तो शेयर जरूर करें और इसी तरह की अन्य स्टोरीज पढ़ने के लिए जुड़े रहें आपकी अपनी वेबसाइट पाञ्चजन्य के साथ।
टिप्पणियाँ