सागर मंथन में एक सत्र ‘सहकार और सरोकार’ पर था। इसका उद्देश्य था लोगों को सहकारिता के क्षेत्र में होने वाले कार्यों से परिचित कराना। इस सत्र को अमूल के प्रबंध निदेशक जयेन मेहता ने संबोधित किया। प्रस्तुत हैं उनके भाषण के संपादित अंश-
वर्ष 1946 में केवल 250 लीटर दूध के साथ अमूल की स्थापना हुई थी। इसके बाद सहकारिता की भावना अन्य जिलों में फैली। 1960 में मेहसाणा जिले में दूध सागर डेयरी की स्थापना हुई। उसी समय से ‘मिल्क फेडरेशन’ के साथ दो नाम जुड़े हैं- एक अमूल और दूसरा सागर। उन्हीं दिनों तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री जी आणंद आए और किसानों के कार्य को नजदीक से देखा। इसके बाद उन्होंने डॉ. कुरियन को प्रेरणा दी कि इस ‘मॉडल’ को देशभर में लेकर जाइए।
दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 1970 में आपरेशन फ्लड शुरू हुआ। 1975 में एक फिल्म बनी ‘मंथन’। इसमें दिखाया गया था कि पूरे देश में किसानों के साथ आपस में मिलकर कैसे काम किया जाता है। आॅपरेशन फ्लड के कारण 1998 में भारत दूध उत्पादन में दुनिया में प्रथम स्थान पर आ गया। आज देश में प्रतिदिन करीब 65 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है। इसके साथ 10 करोड़ परिवार जुड़े हुए हैं। भारत विश्व के 34 प्रतिशत दूध का उत्पादन करता है।
भारत सरकार ने सहकारिता को बढ़ावा देने के लिए दो साल पहले अलग सहकारिता मंत्रालय बनाया। इसका नेतृत्व देश के गृह मंत्री अमित शाह जी कर रहे हैं। पिछले दो साल में सहकारिता मंत्रालय ने जो पहल की है, उससे इस क्षेत्र से जुड़े लोगों को बहुत फायदा होगा। अब तक तीन मल्टीनेशनल को-आपरेटिव का गठन हो चुका है-मल्टी स्टेट को-आपरेटिव एक्सपोर्ट, मल्टी स्टेट को-आपरेटिव आर्गेनिक्स और मल्टी स्टेट को-आपरेटिव सीड्स।
मल्टी स्टेट को-आपरेटिव सहकारिता से जुड़े किसानों के उत्पादों का निर्यात करेगी। अमूल, इफ्को, क्रिप्को जैसी छह-सात सहकारी संस्थाओं को मल्टी स्टेट को-आपरेटिव सोसाइटी के कार्य को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई है। आज इस संस्था को लगभग 15,000 करोड़ रु. के उत्पादों को निर्यात करने का आदेश भी मिल गया है। इन उत्पादों का विश्व के 180 देशों को निर्यात होगा तो किसानों के लिए बाजार की समस्या खत्म हो जाएगी।
1998 में भारत दूध उत्पादन में दुनिया में प्रथम स्थान पर आ गया। आज देश में प्रतिदिन करीब 65 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है। इसके साथ 10 करोड़ परिवार जुड़े हुए हैं। भारत विश्व के 34 प्रतिशत दूध का उत्पादन करता है
हमारे देश की जमीन में कार्बन की मात्रा बहुत कम हो रही है। इसे बढ़ावा देने के लिए मल्टी स्टेट को-आपरेटिव आर्गेनिक्स का गठन हुआ है, जो किसानों के साथ काम करेगी। यह संस्था ग्राहक को यह बताएगी कि जैविक खाद्यान्न खाने से क्या-क्या फायदे हैं। इसके साथ ही यह किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित करेगी। अगर देश में 20 प्रतिशत लोग भी जैविक खाना शुरू कर दें तो कृषि जीडीपी में दोगुनी वृद्धि हो सकती है। इससे हमारे किसानों को लाभ तो मिलेगा ही, इसके साथ ही मिट्टी भी ठीक रहेगी और पर्यावरण की भी रक्षा होगी।
स्टेट को-आपरेटिव सीड्स किसानों को प्रमाणित बीज देगी जिससे अच्छी एवं उन्नत फसल होगी और किसानों की आय बढ़ेगी।
केंद्र सरकार के मार्गदर्शन में ये नई संस्थाएं हर राज्य में काम करेंगी। आज हमारे देश में करीब 2 लाख गांवों में सहकारी दूध मंडलियां हैं। अगले 5 से 10 साल में लगभग 2 लाख गांवों में भी सरकार के मार्गदर्शन में सहकारी दूध मंडलियां बनाई जाएंगी। इससे ज्यादा से ज्यादा महिलाएं सहकारिता से जुड़ेंगी। उनके बैंक खातों में पैसे जाएंगे। इससे देश में दूध का उत्पादन बढ़ेगा और खुशहाली आएगी। छोटे किसानों को आगे लाने के लिए सरकार ने जो काम किया है, उसका परिणाम 5 से 10 साल में देखने को मिलेगा।

आज अमूल का विस्तार गुजरात के 18,600 गांवों तक हो गया है। इसके साथ 36,00,000 किसान परिवार जुड़े हैं। प्रतिदिन लगभग 300 लाख लीटर दूध और साल में 1,000 करोड़ लीटर दूध आता है। 9 अरब डॉलर का वार्षिक कारोबार होता है। इसके बावजूद हम मानते हैं कि आज भी अमूल एक ‘स्टार्टअप’ है। हम इससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़कर रोजगार देने का काम कर रहे हैं।
सन् 2000 में अमूल के 19वें वार्षिक महोत्सव के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी आणंद आए थे। उस समय अटल जी ने जो भी कहा था वही चीज आज देशभर में देखने को मिल रही है। उसी के अनुसार नीतियां बन रही हैं। उन्होंने कहा था कि को-आपरेटिव मॉडल के माध्यम से काम करना चाहिए। अमूल जैसी संस्था को बढ़ावा देना चाहिए।
अमूल अपने साथ जुड़े लोगों के हितों के साथ-साथ अपने उपभोक्ताओं का भी ध्यान रखती है। अक्सर व्यापारी अपने लाभ के लिए काम करते हैं, बाकी की चिंता नहीं करते। पर अमूल का सिद्धांत है उपभोक्ता के साथ-साथ किसान की भी भलाई हो। यही हमारी सफलता का कारण है।
अमूल का जो उत्पाद आप यहां खरीदते हैं, उसे आप 50 अन्य देशों में भी खरीद सकते हैं। अमूल ने गांव के किसानों को जोड़कर देश को आत्मनिर्भर बनाने का काम किया है। इस ‘मॉडल’ को दुनिया के कई देश अपनाने को आतुर हैं। अभी जी-20 में आपने सुना होगा कि जिस समस्या का समाधान कहीं नहीं है, उसका समाधान भारत में है। अमूल वही चीज भारत में करने जा रही है। हम कई देशों के साथ इस ‘मॉडल’ पर काम कर रहे हैं। आगे 5-10 साल में आप देखेंगे कि यही ‘मॉडल’ दुनिया को विकसित करने में अहम भूमिका निभाएगा।
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