जम्मू कश्मीर में अलगाववादियों के खिलाफ केंद्र सरकार ने नकेल कसना शुरू कर दिया है। आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत केंद्रीय गृहमंत्रालय ने जम्मू कश्मीर के अलगाववादी संगठन तहरीक ए हुर्रियत को आतंकी संगठन घोषित कर दिया है। ये वही संगठन है जो कि कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाओं और भारत विरोधी कार्यों में लिप्त रहा है। अब इस पर कार्रवाई की गई है। इस बात की जानकारी खुद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दी है।
तहरीक ए हुर्रियत कश्मीर को भारत से तोड़ने और इस्लामी शासन स्थापित करने की साजिश में शामिल था। हुर्रियत को लेकर जानकारी देते हुए गृहमंत्री अमिशाह ने एक्स पर कहा, “तहरीक-ए-हुर्रियत, जम्मू-कश्मीर (TeH) को यूएपीए के तहत एक ‘गैरकानूनी संगठन’ घोषित किया गया है। यह संगठन जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करने और इस्लामिक शासन स्थापित करने की निषिद्ध गतिविधियों में शामिल है। यह समूह जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा देने के लिए भारत विरोधी प्रचार फैला रहा है और आतंकवादी गतिविधियां जारी रख रहा है। पीएम मोदी की आतंकवाद के खिलाफ जीरो-टॉलरेंस नीति के तहत, भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति या संगठन को तुरंत विफल कर दिया जाएगा।”
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आरोप है कि तहरीक ए हुर्रियत भारत में रहकर पाकिस्तान के लिए काम कर रहा था। वो देश के अंदर अशांति फैलाने की सीमापार की साजिशों में शामिल है। यही कारण है कि केंद्र सरकार ने इस्लामी संगठन पर UAPA एक्ट की धारा 3 (1) के तहत एक्शन लिया है। गृह मंत्रालय द्वारा जारी नोटिफिकेशन में जिक्र किया गया है कि तहरीक ए हुर्रियत जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने का बार-बार विरोध कर रहा था। भारत में आतंकवाद को बढ़ाने के लिए तहरीक ए हुर्रियत ने फंडिग जुटाने का काम भी किया था। उल्लेखनीय है कि तहरीक ए हुर्रियत के खिलाफ एनआईए पहले केस दर्ज कर चुकी है।
एनआईए ने जो चार्जशीट दाखिल की थी, उसमें फारुक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, गिलानी का दामाद और तहरीक ए हुर्रियत का पीआर, हुर्रियत का सचिव और रणनीतिकार अल्ताफ अहमद शाह आदि का नाम शामिल है। गौरतलब है कि हाल ही में दिसंबर में ही हुर्रियत के कट्टरपंथी गिलानी धड़े के अंतरिम मुखिया मसरत आलम गुट मुस्लिम लीग जम्मू-कश्मीर को गैरकानूनी घोषित करते हुए उस पर पांच साल का प्रतिबंध लगाया गया था।
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