आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आज हर घर में घर कर चुका है। इसने जहां रोजमर्रा के कामों को आसान किया है तो दूसरी ओर इसके दुष्प्रभावों पर भी दुनिया में बहस छिड़ गई है। इसी क्रम में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को लेकर सतर्क रहने की चेतावनी है। रॉबर्ट ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस कनूनी फील्ड के लिए ‘मिश्रित आशीर्वाद’ की तरह है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसने जजों के काम करने के तरीके को बदल दिया है।
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उन्होंने अपनी 13 पन्नों की रिपोर्ट में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को लेकर कहा कि ये तकनीक गरीबों को जल्दी न्याय दिलाने में मदद करेगी, लीगल रिसर्च में क्रांति लाएगी, मामलों को तेजी से सुलझाने में मदद मिलेगी। लेकिन इसके साथ ही गोपनीयता एक बड़ी चुनौती बनकर उभरेगी। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल मानव विवेक से करना होगा।
अपनी रिपोर्ट में रॉबर्ट लिखते हैं, “मैं भविष्यवाणी करता हूं कि मानव न्यायाधीश कुछ समय के लिए आसपास रहेंगे। लेकिन, मैं उतने ही विश्वास के साथ भविष्यवाणी करता हूं कि लीगल कामकाज खासतौर पर टेस्टिंग लेबल आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से काफी प्रभावित होने वाला है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि एआई के किसी भी उपयोग के लिए सावधानी और विनम्रता की आवश्यकता होती है। उन्होंने एक उदाहरण दिया जहां कोर्ट मे एआई के चलते वकीलों ने अदालत में गैर मौजूद दस्तावेजों का भी हवाला दे दिया औऱ ये बहुत ही बुरी इंटेलीजेंस थी।
पिछले सप्ताह ही अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पूर्व वकील ने अदालत में स्वीकार किया था कि उसने गलती से एआई जेनरेटेड फर्जी मामलों का हवाला दे दिया था और वो आधिकारिक अदालत में दाखिल हो गए। अमेरिका के न्यू ऑर्लियन्स स्थित एक संघीय अदालत ने पिछले महीने 13 अमेरिकी अपील अदालतों में से किसी एक द्वारा प्रस्तावित पहले नियम का जिक्र करके सुर्खियों में थी, जिसमें ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के टूल्स को विनियमित करने की बात कही गई थी।
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