छत्तीसगढ़ में कन्वर्जन एक बड़ी समस्या है। कांग्रेस शासनकाल के दौरान प्रदेश में ईसाई मिशनरियों ने बड़े पैमाने पर क्रिश्चियन कन्वर्जन की घटनाएं बढ़ा था। लेकिन, अब लोग तेजी से अपनी जड़ों की ओर लौट रहे हैं। इसी क्रम में एक बार फिर से छत्तीसगढ़ में लोगों ने वापस सनातन धर्म में घर वापसी किया है। ताजा मामला सरगुजा संभाग के अंबिकापुर जिले में 28 परिवारों के 40 लोगों ने एक साथ घर वापसी की है।
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इस बात की जानकारी देते हुए प्रदेश भाजपा के महामंत्री प्रबल प्रताप जूदेव ने सनातन धर्म में वापस घऱ वापसी करने वालों के पैर पखारकर उनका हिन्दू धर्म में स्वागत किया। उन्होंने कहा कि वो लोग लगातार दूसरे पंथों में शामिल कराए गए लोगों की घर वापसी के लिए कोशिशें कर रहे हैं। भारत शुरू से ही एक हिन्दू राष्ट्र रहा है और हम इसको मजबूत करने के लिए कोशिशें करते रहेंगे।
उल्लेखनीय है कि लोगों की ये घर वापसी महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती के मौके पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान की गई। उल्लेखनीय है कि इन लोगों को ईसाई मिशनरियों ने अच्छे स्वास्थ्य, अच्छा पैसा और कैरियर की लालच देकर ईसाई बना दिया था। ये लोग ईसाई तो बन गए थे, लेकिन ये अपनी सनातन जड़ों को नहीं छोड़ पाए और मौका मिलते ही घर वापसी कर ली।
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गौरतलब है कि हाल ही में छत्तीसगढ़ के कोरबा में 101 लोगों ने एक साथ सनातन धर्म में घर वापसी की थी। इसके अगले ही दिन प्रदेश के ही जशपुर में भी 8 परिवारों के 12 लोगों ने भी सनातन धर्म में घर वापसी की थी। इन सभी लोगों को भी ईसाई बना दिया गया था। उल्लेखनीय है कि हाल ही में राज्य में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भी भाजपा ने ईसाई मिशनरियों द्वारा हिन्दुओं को जबरन ईसाई बनाए जाने के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था।
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