गंगा के किनारे से कमला विमला तट की यह यात्रा भले ही धनुष यज्ञ के निमित्त थी किंतु इसका वास्तविक उद्देश्य श्रीराम-सीता का मिलन ही था। सीता स्वयंवर में विजय उपरांत इनका लग्न अगहन शुक्ल पक्ष पंचमी के शुभ मुहूर्त में हुआ था।
मिथिला इन दिनों निहाल है। वजह पहुनवा राघो है। यहां के लिए यह माह वाकई खास है। इसी महीने में यहां राम जानकी विवाह संपन्न हुआ था। श्रीराम अपने गुरु विश्वामित्र संग सिद्धाश्रम से मिथिला आये थे। गंगा के किनारे से कमला विमला तट की यह यात्रा भले ही धनुष यज्ञ के निमित्त थी किंतु इसका वास्तविक उद्देश्य श्रीराम-सीता का मिलन ही था। सीता स्वयंवर में विजय उपरांत इनका लग्न अगहन शुक्ल पक्ष पंचमी के शुभ मुहूर्त में हुआ था। वहीं इस अवसर पर भरत का मांडवी तो लक्ष्मण का उर्मिला और शत्रुघ्न का श्रुतिकीर्ति संग विवाह हुआ था।
राजा दशरथ के चारों पुत्र मिथिला नरेश के जमाई बने थे। इन स्मृतियों में गंगा के किनारों से हिमालय की उपत्यका तक प्रति वर्ष उत्सव मनाया जाता है। इस अवसर पर सम्पूर्ण मिथिला में सीताराम विवाह महोत्सवों की धूम होती है। यहां तक कि मिथिला की सीमाओं के परे अवस्थित प्रभु श्रीराम के चरित्र निर्माण एवं प्राकट्य की भूमि बक्सर में भी इसको जोर-शोर से मनाया जाता है। यहां एक परिक्रमा भी निकलती है। वहीं रामभक्ति धारा के प्रसिद्ध संत मामाजी के आश्रम में इसका दिव्य आयोजन होता है। किंतु नेपाल के जनकपुर की बात ही निराली है। दरअसल यही वह नगर है जहां पर यह विवाह संस्कार संपन्न हुआ था। यहां का मणिमंडप रामायण वर्णित सीता विवाह स्थली है।
इस अवसर पर जनकपुर के हर मंदिर में सीताराम विवाह समारोह का आयोजन होता है। वहीं नगरवासी अपने द्वार पर रंगोली एवं बंदनवार की सजावट करते हैं। जबकि पूरा नगर इन दिनों दीपक के प्रकाश से जगमगा उठता है। हर तरफ लोगों का हुजूम नजर आता है। इस विशाल समूह में हर कोई दर्शनार्थी है। इस अवसर पर यहां पूरी दुनिया से लोग जुटते हैं। चारों तरफ देखने पर विवाह सदृश्य वातावरण ही नजर आता है, मानो किसी स्वजन परिजन की शादी हो। वहीं इस अवसर पर सड़कों से मंदिरों तक मिथिला की स्त्रियों का हुजूम विवाह गीत गाता और नाचता मिलेगा। जबकि दूर दूर से आये साधुओं के जत्थे मंदिर और नदी सरोवर घाटों पर कीर्तन करते नजर आते हैं।
यह सम्पूर्ण आयोजन कमला बचाओ अभियान के तहत होता है। इसके प्रमुख विक्रम यादव के अनुसार, यह प्रकृति एवं संस्कृति के संरक्षण- जागरण का एक पावन अभियान है। इस बैनर तले वे कई कार्यक्रमों का नियमित संचालन करते हैं
गीतों में भक्ति संग हंसी ठिठोली के भी बोल हैं। इस विवाहोत्सव में अनुष्ठान संस्कार के वैदिक मंत्रों संग लोकपरंपरा पर भी जोर होता है। वास्तव में यह वैदिक एवं लौकिक परंपराओं का एक सुंदर समागम है। यहां विवाह एक नहीं अपितु चार दिन का उत्सव है। राजा जनक ने विवाह के छह माह उपरांत ही बेटियों संग बारात की विदाई की थी, ऐसी मान्यता भी है। विवाह से लेकर विदाई तक के दर्जनों विधि विधान हैं।
अयोध्या से एक सांकेतिक राम बारात प्रतिवर्ष जनकपुर पहुंचती है और अगले कई दिनों तक ये विधि विधान परम्पराओं के साथ संपन्न किए जाते हैं। इस लौकिक विधान का पालन आचार्य मोदलता रचित विवाह पदावली के अनुसार किया जाता है। मिथिला के इस प्रथम श्री सीताराम विवाह आचार्य ने इसके लिए करीब चौंसठ विधान बताये हैं। इनसे संबंधित गीत मिथिला भक्त कवियों की रचनाओं से लेकर ग्रामीण महिलाओं के बोल तक चलन में हैं। यहां शादियों में महिलायें अब भी आजु धनवा कुटाऊं श्रीराम जी के और जनकपुर के कोहबर लाल गुलाब तो अयोध्या के कोहबर पान से छबाबल हे गाती हैं।
यहां पूरी दुनिया से लोग जुटते हैं। चारों तरफ देखने पर विवाह सदृश्य वातावरण ही नजर आता है, मानो किसी स्वजन परिजन की शादी हो। वहीं इस अवसर पर सड़कों से मंदिरों तक मिथिला की स्त्रियों का हुजूम विवाह गीत गाता और नाचता मिलेगा। जबकि दूर दूर से आये साधुओं के जत्थे मंदिर और नदी सरोवर घाटों पर कीर्तन करते नजर आते हैं।
विवाह के महत्वपूर्ण विधान मटकोर एवं कोहबर से लेकर मंडप तक में सीताराम का ही नाम है। मटकोर गीत में जनकपुर की पीली मिट्टी और कमला नदी है, जहां सीता सहित चारों बहनों के सात सहेलियों के साथ जाने की चर्चा है। मटकोर मातृका पूजन का लोक स्वरूप है। यहां विवाह पूर्व संध्या में लड़की नदी तट पर पूजन हेतु जाती है। यह ग्राम देव कुल देव, जल और भूमि की पूजा का अवसर है। भगवती सीता इस अवसर पर यहां के कमला तट पर गई थी। इसकी स्मृतियों में एक बड़ा आयोजन इस अवसर पर प्रतिवर्ष होता है। इसकी यात्रा जनकपुर नगर अवस्थित माता सीता के निज निवास सुंदर सदन अग्नि कुंड से प्रारंभ होकर कमला तट सखुआ मडान घाट पर समाप्त होती है।
यह सम्पूर्ण आयोजन कमला बचाओ अभियान के तहत होता है। इसके प्रमुख विक्रम यादव के अनुसार, यह प्रकृति एवं संस्कृति के संरक्षण-जागरण का एक पावन अभियान है। इस बैनर तले यह कई कार्यक्रमों का नियमित संचालन करते हैं। हर सप्ताहांत जागरण एवं सफाई अभियान तो वर्ष में विवाह पंचमी, जानकी नवमी, कार्तिक पूर्णिमा एवं मकर संक्रांति पर विशेष आयोजन करते हैं। कार्तिक पूर्णिमा एवं माघ संक्रांति कमला माता के प्राकट्य से संबंधित तिथियां हैं। वहीं विवाह पंचमी तथा जानकी नवमी सीता माता से संबद्ध महत्वपूर्ण तिथि है।
इस वर्ष के मटकोर उत्सव पर आयोजित भव्य आयोजन की शोभा शंकराचार्य अधोक्षानंद सरस्वती जी से थी। वहीं पूर्व के आयोजनों में भी ऐसे विशिष्ट जनों का आना होता रहा है। यहां विवाह के सर्वाधिक सुंदर उत्सव मणिमंडप, सुंदर सदन एवं जानकी मंदिर के प्रांगण में होते हैं। जबकि विवाहोत्सव के अगले दिन जानकी मंदिर परिसर में आयोजित राम कलेवा उत्सव के साथ ही राम बारात अगले वर्ष आने के वादे के साथ अयोध्या लौट जाती है। इसी के साथ राम सीता के प्रेमसूत्र मे बंधा यह विवाहोत्सव संपन्न होता है।
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