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अब पर्यटन में गोवा से आगे काशी

भारत में बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में सबसे अधिक पर्यटक और श्रद्धालु पहुंचने लगे हैं। स्थिति यह है कि देश-विदेश के पर्यटकों को लुभाने में काशी ने गोवा को भी पीछे छोड़ दिया है

by आर.के. सिन्हा
Dec 27, 2023, 05:27 pm IST
in भारत, विश्लेषण, उत्तर प्रदेश, संस्कृति
काशी में गंगा मैया की आरती। प्रतिदिन होने वाली इस आरती को देखने के लिए देशी-विदेशी श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचते हैं

काशी में गंगा मैया की आरती। प्रतिदिन होने वाली इस आरती को देखने के लिए देशी-विदेशी श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचते हैं

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 गंगा सिर्फ एक नदी नहीं, हमारी भारतीय सनातन संस्कृति की वाहक भी है।

एक समय था जब पर्यटन और पर्यटकों की बात होती थी तो गोवा, शिमला, नैनीताल, कश्मीर घाटी जैसे नयनाभिराम स्थानों का ध्यान आता था। अब यह दृश्य बदल चुका है। दुनियाभर के लोग अब बड़ी संख्या में काशी आने लगे हैं। इनमें तीर्थयात्री और पर्यटक, दोनों शामिल हैं। एक सर्वेक्षण के अनुसार 2022 में 7.02 करोड़ पर्यटक वाराणसी पहुंचे, वहीं गोवा में लगभग 85,00,000 पर्यटक आए। एक रपट के अनुसार काशी में पर्यटन संबंधी आय में 20-65 प्रतिशत और रोजगार में 34.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

हालांकि काशी में पहले भी बड़ी संख्या में पर्यटक आते थे, लेकिन 2015 के बाद तो स्थिति इसके पक्ष में पूरी तरह से पलट गई। 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे (अब स्मृति शेष) ने काशी के दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती में भाग लिया था। इस कार्यक्रम से पूरी दुनिया में यह संदेश गया कि गंगा सिर्फ एक नदी नहीं, हमारी भारतीय सनातन संस्कृति की वाहक भी है।

इस दृष्टि से जापान के प्रधानमंत्री के स्वागत में काशी में गंगा आरती का आयोजन प्रधानमंत्री मोदी की मौलिक और व्यापक सोच का परिचायक था। गंगा आरती महज एक पूजाविधि नहीं है। मोदी-आबे ने गंगा आरती में भाग लेकर दुनिया में भारत के खोए हुए या यूं कहें कि भुला दिए गए सांस्कृतिक राष्ट्रवाद ने अपनी जगह बनाई थी। बीते छह दशक की राजनीतिक सत्ता ने इस छवि को नजरअंदाज कर एक उपभोगी देश के रूप में भारत को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया था।

पर्यटन के नाम पर ताज नामक मकबरे को ही भुनाने की कोशिश की गई, लेकिन गंगा आरती तो सही मायने में भारत के लिए आत्मगौरव का क्षण था। पर्यटन क्षेत्र के जानकार कहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी और जापान के प्रधानमंत्री आबे के गंगा आरती में भाग लेने के बाद दुनिया में वाराणसी को लेकर एक नई तरह की सकारात्मक सोच विकसित हुई। इसके बाद वहां बाबा विश्वनाथ गलियारे का निर्माण हुआ। उसके भव्य उद्घाटन समारोह को देखकर कौन सनातनी हर्षित नहीं हुआ होगा? इन्हीं सबका सुपरिणाम है कि वाराणसी में देश-दुनिया के पर्यटक पहले से कहीं अधिक संख्या में पहुंचने लगे हैं। वाराणसी के चहुंमुंखी विकास ने भी पर्यटकों को भरपूर आकर्षित किया है।

अर्थव्यवस्था में वृद्धि

केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय भारत में 60 प्रतिशत पर्यटन को धार्मिक और आध्यात्मिक श्रेणी में रखता है। 2022 में पूजास्थलों के आसपास की अर्थव्यवस्था में तीव्र वृद्धि देखी गई। इसमें लगभग 1.3 लाख करोड़ रु. की बढ़ोतरी हुई, जबकि 2021 में यह 65,070 करोड़ रु. थी।

पर्यटन में काशी का गोवा को पीछे छोड़ना सामान्य बात नहीं है। आमतौर पर तो यही माना जाता था कि गोवा से ज्यादा पर्यटक कहीं जा ही नहीं सकते। काशी विश्वनाथ गलियारे के उद्घाटन पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि यह गलियारा सिर्फ एक भव्य निर्माण नहीं है, बल्कि यह हमारी आध्यात्मिक परंपरा और गतिशीलता का प्रतीक है। यही नहीं, यह काशी की आर्थिक समृद्धि में नया अध्याय जोड़ने का काम करेगा। उनकी बात बिल्कुल सही साबित हो रही है।

काशी विश्वनाथ गलियारे के निर्माण के दौरान पुनर्वास का मुद्दा भी उठा था। विपक्ष लगातार इस बात को उठा रहा था कि आम लोगों को उजाड़ा जा रहा है। लेकिन जिन 300 संपत्तियों का अधिग्रहण किया गया उससे जुड़े लोगों का पुनर्वास हो चुका है। उन्हें भरपूर मुआवजा मिला सो अलग। काशी में श्रद्धालुओं को आकर्षित करने के अलावा पर्यटकों की सुविधा का भी खास ख्याल रखा जाता है। काशी विश्वनाथधाम के लोकार्पण के बाद श्रद्धालुओं की संख्या में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा –

घरेलू पर्यटकों की पसंद के मामले में इस समय उत्तर प्रदेश देश में पहले स्थान पर है। इस राज्य में धार्मिक, आध्यात्मिक, ईको टूरिज्म के सभी बड़े केंद्र मौजूद हैं। अयोध्या में 22 जनवरी को श्रीराम मंदिर के पट खुलने के बाद तो वहां 10 से 50 गुना पर्यटन बढ़ने का अनुमान है। अयोध्या हर सनातनी की आस्था का केंद्र है जहां भव्य मंदिर का कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है। इसके अलावा राज्य में रामायण, कृष्ण और बौद्ध सर्किट को व्यावहारिक धरातल पर उतारने का प्रयास युद्धस्तर पर चल रहा है।

इसके साथ ही काशी की यात्रा पर आने वाले लोगों में से अधिकांश लोग बौद्ध पर्यटक केंद्र सारनाथ भी जाते हैं। भगवान बुद्ध ने बोधगया में आत्मज्ञान प्राप्त करने के पश्चात् अपना पहला प्रवचन यहीं दिया था। उन्होंने जहां प्रवचन दिया था, वहां पर धामेक स्तूप है। इस स्तूप का निर्माण सम्राट अशोक ने 500 ईस्वीं में करवाया था। श्रावण के महीने में तो काशी में लाखों भक्त आते हैं। आंकड़ों के अनुसार गत श्रावण महीने में प्रतिदिन औसतन 3,00,000 श्रद्धालु काशी आए। श्रद्धालुओं के बड़ी संख्या में आने से काशी की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है। स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध हुए हैं। वाराणसी में समय-समय पर अनेक प्रकार के महोत्सव, सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हो रहे हैं। इस कारण लोगों का आना-जाना लगा ही रहता है।

अन्य स्थानों और राज्यों में भी भारत के सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक पर्यटन को बढ़ावा देना लाभदायक होगा। बेशक, अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद उत्तर प्रदेश का पर्यटन क्षेत्र 10 गुना तक बढ़ सकता है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अयोध्या में 30,000 करोड़ रुपए से आधारभूत सुविधाओं के विकास की परियोजनाओं पर कार्य कर रही है। कुछ समय पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि घरेलू पर्यटकों की पसंद के मामले में इस समय उत्तर प्रदेश देश में पहले स्थान पर है।

इस राज्य में धार्मिक, आध्यात्मिक, ईको टूरिज्म के सभी बड़े केंद्र मौजूद हैं। अयोध्या में 22 जनवरी को श्रीराम मंदिर के पट खुलने के बाद तो वहां 10 से 50 गुना पर्यटन बढ़ने का अनुमान है। अयोध्या हर सनातनी की आस्था का केंद्र है जहां भव्य मंदिर का कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है। इसके अलावा राज्य में रामायण, कृष्ण और बौद्ध सर्किट को व्यावहारिक धरातल पर उतारने का प्रयास युद्धस्तर पर चल रहा है।

हालांकि, यह ठीक है कि काशी ने गोवा को दूसरे स्थान पर धकेल दिया है, पर गोवा अपने में लाजवाब है। यहां के समुद्री तटों पर आमोद-प्रमोद के लिए तो सारे संसार से पर्यटक आते हैं। गोवा हवाईअड्डे से बाहर निकलते ही गोवा वासियों के सुसंस्कृत व्यवहार से लेकर सड़कों पर व्यवस्थित यातायात तक को देखकर समझ आने लगता है कि यह वाकई अलग मिजाज का राज्य है।
(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं)

Topics: ऐतिहासिक पर्यटन सांस्कृतिकPrime Minister Narendra Modiआध्यात्मिक और ऐतिहासिक पर्यटनसांस्कृतिकGanga MaiyaIndiaकाशी विश्वनाथHistorical Tourism CulturalculturalSpiritual and Historical TourismKashi Vishwanathसनातन संस्कृतिspiritualआध्यात्मिकSanatan Sanskritiप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीगंगा मैयाभारत
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