लोकमान्य तिलक स्मारक मंदिर अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है। इस निमित्त राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि व्यक्ति जिस स्थान पर पहुंचता है, अपने आचरण से पहुंचता है।
सांगली (महाराष्ट्र) स्थित लोकमान्य तिलक स्मारक मंदिर अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है। इस निमित्त अनेक कार्यक्रम हो रहे हैं। पहला कार्यक्रम दिसंबर को आयोजित हुआ। इसे संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि व्यक्ति जिस स्थान पर पहुंचता है, अपने आचरण से पहुंचता है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना करते समय डॉ. हेडगेवार ने तिलक जी के विचारों को ही आदर्श माना था। उनके विचारों का प्रसार होना चाहिए, उनके विचार देश के आखिरी कोने तक जाने चाहिए।
लोकमान्य तिलक ने इसी भावना के साथ हमेशा देशहित में कार्य किया। तिलक जी के विचार राष्ट्र के लिए हमेशा प्रेरणादायी रहे हैं। इसीलिए लोकमान्य तिलक राष्ट्र के अमर आदर्श हैं। उन्होंने कहा कि डॉ. हेडगेवार ने संघ की सरल-सहज कार्यपद्धति निश्चित की है।आज हमें शाखा व प्राथमिक वर्ग के जरिए संघ के बारे में पता चलता है। सबकी चिंता, आत्मीयता व अपनापन— यह सूत्र संघ में काम करता है। यह सूत्र डॉक्टर जी ने तिलक जी से ही लिया था।
उन्होंने कहा कि कोई भी लक्ष्य मन में रखकर कार्य करने से उसकी प्राप्ति होती ही है। तिलक जी का व्यक्तित्व भी ऐसा ही था। इसलिए उनके देशहितैषी विचार तब और अब भी प्रेरणादायी हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना करते समय डॉ. हेडगेवार ने तिलक जी के विचारों को ही आदर्श माना था। उनके विचारों का प्रसार होना चाहिए, उनके विचार देश के आखिरी कोने तक जाने चाहिए।
कार्यक्रम के आरंभ में लोकमान्य तिलक की प्रतिमा को पुष्पमाला अर्पित की गई एवं तिलक स्मारक मंदिर के ‘लोगो’ का विमोचन किया गया। इस अवसर पर अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे।
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