पाञ्चजन्य के सागर मंथन सुशासन संवाद 2.0 में नागरिक उड्यन केंद्रीय राज्य मंत्री ने जनरल वीके सिंह 2014 में जब बीजेपी की सरकार आई तो मोदी जी ने एक गारंटी दी थी कि अगर कहीं भी फंस गए तो हम आपको निकाल लेंगे। दूसरी चीज ये कि संयुक्त राष्ट्र के अंदर 193 सदस्य देश अमूमन 2014 से पहले जितने भी मंत्रियों के डेलिगेशन जाते थे ज्यादातर यूरोप में थे। 2014 में पीएम मोदी ने एक फैसला लिया था कि सभी देशों के अंदर एक मंत्री के नीचे एक डेलिगेशन भेजेंगे। जिस देश के बारे में सोचा भी नहीं था, वहां भी भारत का डेलिगेशन पहुंचा।
उन्होंने सिलक्यारा टनल रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर बहुत सी अनकही चीजों को उजागर किया है। उन्होंने कहा कि आम तौर पर जब भी कोई सुरंग या टनल बनती है तो उसका मुंह थोड़ा छोटा होता है। सिलक्यारा टनल की लंबाई करीब 4.5 किलोमीटर है, जिसे 22 किमी की दूरी को कम करने के लिए शुरू किया गया था।
इस टनल का जब सर्वे हुआ था तो पता चला था कि भूगर्भीय तौर इसका एक हिस्सा संवेदनशील था। संवेदनशील इलाके को तीन साल के लिए छोड़ा गया था और तीन साल तक जब ये जस का तस बना रहा तो सोचा गया कि अब इसे पक्का कर दिया जाना चाहिए। जैसे ही इस पर काम शुरू हुआ तो मिट्टी गिरने लगी, जिसमें एक गाड़ी और 41 लोग अंदर फंस गए थे। जब भी ऐसा हादसा होता है, तो कोशिश होती है कि मलबे को हटाया जाय और लोगों को बाहर निकाला जाए। लेकिन यहां जैसे ही मिट्टी हटाई जाने लगी तो मिट्टी और अधिक गिरने लगी।
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उत्तराखंड सरकार की मशीनों ने काम करना बंद कर दिया तो 750 हॉर्स पॉवर की ऑगर मशीन को मंगाया गया। इसे वायुसेना के जहाज के जरिए ‘धरासू’ में उतारा गया। खास बात ये है कि वहां एयरफोर्स का विमान नहीं उतारा जा सकता था, लेकिन फिर भी रिस्क लेकर भारतीय वायुसेना ने मशीन को धरासू में उतारा। लेकिन करीब 57 फीट खोदने के बाद बेसाल्ट की चट्टान के कारण ऑगर मशीन भी खराब हो गई। इसके बाद इंदौर से एक और ऑगर मशीन को मंगाया गया। एक कहावत है कि जब आप जमीन पर होंगे तो आप 100 सवालों के जबाव दे सकेंगे। लोगों को बचाने के लिए टनल के ऊपर और साइड से भी खुदाई शुरू की गई। लोगों को बचाने के लिए कई सारे विकल्प लेकर हम लोगों ने काम किया। मोदी जी सरकार में जिस किसी भी चीज की जरूरत पड़ी वो सारी चीजें हमें मिलीं।
इंटरनैशनल टनलिंग ऑर्गनाइजेशन के विशेषज्ञों को भी बुलाया गया। इसमें सेना के इंजीनियर्स भी रहे। इसके साथ ही रैट माइनर्स का सहारा लिया गया। हिन्दी में इन्हें खोदू बोलते हैं। यहीं नहीं हम लोगों ने डीआरडीओ से प्लाज्मा कटर समेत कई अत्याधुनिक मशीनों को भी मंगवाया, गैस कटर का इस्तेमाल किया गया। इसके बाद रैट माइनर्स ने फाइनली लोगों को बाहर निकाल लिया। रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान लोगों उत्साह बनाए रखने के लिए उनकी मांग पर ताश के पत्ते तक उन्हें उपलब्ध कराए गए।
ऑपरेशन राहत पर भी बात
यमन में ऑपरेशन राहत को लेकर पूछे गए सवाल के जबाव में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमारे पास 3000 लोगों के फंसे होने की सूचना थी, वहां पहुंचने पर पता चला कि वहां तो कोई कम्युनिकेशन की सुविधा भी नहीं थी। यमन में 6 गुट थे जो आपस में लड़ रहे थे। हूतियों के दो ग्रुप, अलकायदा के दो ग्रुप, नए प्रेसीडेंट का एक ग्रुप और पुराने राष्ट्रपति का एक गुट था।
जस्टिस भंडारी को आईसीजे में भेजने को लेकर भारत की कोशिशों पर केंद्रीय मंत्री ने बात की। उन्होंने कहा, “जस्टिस भंडारी को आईसीजे में डालने के लिए लॉबिंग की गई, उसके लिए हमने जितना काम किया था, उतना अपने चुनाव के लिए भी प्रचार नहीं किया था। जस्टिस भंडारी का सामना यूके के जज के साथ था, लेकिन बाकी के देशों ने यूके के जज से कहा कि वो जनरल एसेंबली में वोटिंग की मांग करके आपके खिलाफ वोट करेंगे और उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया। जस्टिस भंडारी आईसीजे पहुच गए। ये दुनिया में भारत की बढ़ती ताकत को दिखाता है। पीएम मोदी ने एक पद्धति शुरू की है, जिसके तहत आपको न केवल काम करना है, बल्कि पूरी जिम्मेदारी के साथ काम करना होता है। जब किसी देश के अंदर आत्मविश्वास होता है तो आप उनके साथ जो संबंध बनाते हैं तो उस संबंध की नीव काफी मजबूत होती है।
आजादी के बाद से ही आत्मनिर्भरता पर केवल बात होती थी, लेकिन अब उस पर अमल भी होता है। अब चीजें अच्छी चल रही हैं और उस पर काम हो रहा है। कुछ तकनीकें हमारे पास होती हैं और कुछ तकनीकों को विदेशों से आय़ात करके आयात कर चीजें बनाते हैं।
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