वर्ष था 2015 और केरल की एक पत्रकार, जो मीडिया वन में कार्यरत थीं, उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट किया। उनकी पोस्ट ने तो तहलका ही मचा दिया। उन्हें काफी धमकियां मिलीं। जो फेसबुक पोस्ट उन्होंने लिखी वो उनके ही बचपन की आपबीती थी। बचपन की स्मृतियों से लिखा कि कैसे मदरसों में छोटे लड़कों का यौन शोषण होता है। उन्होंने अपनी 7 साल की उम्र के अनुभव को साझा करते हुए लिखा था, “कक्षा के पहले दिन, लगभग 50 की उम्र के मोटे उस्ताद ने कक्षा चार के बच्चों को बुलाया और उनके पैंट खोले एवं उन्हें अनुभव करने लगा। बच्चों को बुरा लग रहा था और उन्होंने उसका विरोध किया।”
वहां पर लड़कियों के साथ होने वाले यौन शोषण के विषय में भी लिखा था। उन्होंने तो अपनी आपबीती लिखी, लेकिन इस्लामिक कट्टरपंथियों को ये जमी नहीं और वो देखते ही देखते कट्टरपंथियों के निशाने पर आ गयी थीं। उन्हें जान से मारने की भी धमकियां दी गईं। लेकिन, उनका कहना था कि उन्हें अल्लाह पर विश्वास है क्योंकि उन्होंने सच कहा है। उनका फेसबुक अकाउंट भी ब्लॉक करवा दिया गया था। वक्त बीता और एक और व्यक्ति उस पत्रकार के समर्थन में उठ खड़ा हुआ। फिल्म निर्देशक अली अकबर ने लिखा था कि मदरसे में उनका भी शोषण हुआ था। अली अकबर ने उस समय इंडिया टुडे के साथ बात करते हुए कहा था कि मैं सच कहने से क्यों डरूं? यह सच है कि मैं मदरसे में हुई हिंसा का पीड़ित हूँ।
मदरसों में छोटे लड़कों के साथ यौन शोषण के तमाम उदाहरण सामने आते रहते हैं। मगर इन पर मुस्लिम समुदाय में बात नहीं होती है। बल्कि लड़कों के यौन शोषण पर ही खुलकर बात नहीं होती है और इनके शोषण की कहानियां कहीं न कहीं कई कारणों से दब कर रह जाती हैं। यद्यपि पॉक्सो लिंग निरपेक्ष क़ानून है और जैसे ही कहीं से भी बच्चों के यौन शोषण की शिकायत सामने आती है तो आरोपी को हिरासत में ले लिया जाता है। फिर भी मदरसों में बच्चों के यौन शोषण की शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं। वर्ष 2015 में ही मुस्लिम मिरर नामक पोर्टल में एक लेख प्रकाशित हुआ था, जिसमें मुस्लिम समुदाय से यह प्रश्न पूछा गया था कि “मदरसों में बाल यौन शोषण: क्या हमारे बच्चे सुरक्षित हैं?”
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अब एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने संसद में लाए गए नए कानूनों पर बहस के दौरान कहा, “रेप क्या सिर्फ महिलाओं का होता है? क्या मर्दों का रेप नहीं होता है? बिल में इस पर कोई प्रावधान नहीं है। क्या मर्दों का पीछा नहीं किया जाता है? वह जाहिर तौर पर पुरुषों के साथ बलात्कार की बात करते हैं और यौन शोषण को लेकर लिंग निरपेक्ष कानूनों की वकालत कर रहे हैं और यह भी पूरी तरह से स्पष्ट है कि वह पॉक्सो की बात नहीं कर रहे हैं, क्योंकि पॉक्सो में बच्चों का यौन शोषण है। अनजाने में ही सही असदुद्दीन ओवैसी अपने ही समुदाय के तमाम युवकों की उस पीड़ा को बता गए हैं, जिसे हो सकता है कि वह खुद ही मजहबी कारणों से नकारते रहे हैं।”
यौन शोषण पर बात जरूरी
जब भी लोग असदुद्दीन ओवैसी के भाषण को सुनेंगे और फिर जब आंकड़ों की तलाश होगी, तो कई अनुभव सामने आएँगे। हाल ही में केरल, गुजरात समेत कई राज्यों में जो मौलवी पॉक्सो एक्ट में पकड़े गए हैं, उनकी कहानियां भी सामने आएंगी। इस मुद्दे पर बात करना इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि अगर बच्चे शोषण का शिकार होंगे तो बड़े होकर कहीं न कहीं वह भी उसी शोषण को दूसरों पर आरोपित करेंगे। जैसा कि वर्ष 2019 में केरल से एक ऐसा ही हैरान करने वाला मामला सामने आया था, जिसमें छोटे बच्चों का यौन शोषण करने वाले आरोपी मदरसा टीचर ने यह कहा था कि वह खुद इस शोषण का शिकार रह चुका है।
अगर इस मुद्दे पर बात नहीं होती है तो ये यह शोषण की एक श्रृंखला तैयार कर देता है, जिस पर चर्चा होने की आवश्यकता है! जब बच्चों का यौन शोषण होता है तो वह बच्चों के मस्तिष्क पर बहुत बुरा प्रभाव डालता है और फिर हो सकता है कि आगे चलकर वह अपराध की ही राह पर चला जाए। पुरुषों के साथ हो रहे यौन शोषण पर असदुद्दीन ओवैसी का यह बयान बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि हो सकता है कि यह बयान उन तमाम पीड़ितों के लिए नई राह लेकर आए जो अभी किसी न किसी कारण से चुप रहते हैं, जिनमें हो सकता है कि मजहबी कारण भी हों!
मगर जब इसकी तह में और जाते हैं तो बच्चा बाज़ी जैसी बातें भी सामने निकलकर आती हैं। मुगलों द्वारा युवाओं को हिजड़ा बनवाकर हरम का पहरेदार बनाने जैसी एक दूसरे प्रकार के शोषण की कहानियाँ भी सामने आती हैं, जो वर्तमान में इतनी प्रासंगिक नहीं हैं, मगर कहीं न कहीं मानसिकता निर्धारण के लिए यह आवश्यक हो सकती हैं!
वास्तव में यौन शोषण के लिए लिंग निरपेक्ष कानून शायद समय की आवश्यकता है और यह भी आशा व्यक्त की जानी चाहिए कि जब आंकड़ों के साथ बात होगी तो उसे धर्म, मजहब या सम्प्रदाय की दृष्टि से न देखकर मात्र अपराध और न्याय की दृष्टि से देखा जाएगा। जब उन पर कार्यवाही की जाएगी तो फिर भेदभाव या मजहब में हस्तक्षेप का आरोप नहीं लगाया जाएगा, जैसा कि अमूनन लगाया जाने लगता है।
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