सूरत डायमंड एक्सचेंज की पेंटागन से भी बड़ी इमारत में 4,500 से अधिक आपस में संबद्ध कार्यालय हैं। इसमें 175 देशों के 4,200 हीरा व्यापारियों को हर तरह की सुविधा उपलब्ध कराने की क्षमता है। अब पॉलिश किए हीरे खरीदने के लिए दुनियाभर के हीरा व्यापारी सूरत आएंगे
सत्रह अगस्त 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूरत (गुजरात) में विश्व के सबसे बड़े कॉर्पोेरेट कार्यालय संकुल का उद्घाटन किया। आकार मे अमेरिका के रक्षा मंत्रालय पेंटागन के 80 वर्ष के वर्चस्व को पीछे छोड़ यह सूरत डायमंड एक्सचेंज अब विश्व का सबसे बड़ा कार्यालय संकुल है। यहां पर एक साथ 60 हजार से अधिक लोग काम कर सकेंगे। 3,400 करोड़ रुपये की लागत से 35.54 एकड़ भूमि पर निर्मित सूरत डायमंड बोर्स कच्चे और पॉलिश किए गए हीरे के व्यापार का एक वैश्विक केंद्र बनने के लिए तैयार है।
डायमंड बोर्स दुनिया की सबसे बड़ी आपस में जुड़ी इमाारत है। इसमें 4,500 से अधिक आपस में जुडेÞ कार्यालय हैं। इमारत में 175 देशों के 4,200 व्यापारियों को हर सुविधा उपलब्ध कराने की क्षमता है, जो पॉलिश किए हीरे खरीदने के लिए सूरत आएंगे। इस व्यापार सुविधा से लगभग 1.5 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा तथा विश्व के कोने-कोने से हीरा खरीदारों को सूरत में व्यापार करने के लिए एक वैश्विक मंच मिलेगा। इस प्रकार डायमंड एक्सचेंज अंतरराष्ट्रीय हीरे और आभूषण कारोबार के लिए दुनिया का यह सबसे बड़ा और आधुनिक केंद्र होगा।
विश्व में एक अग्रणी महानगर के रूप में पहले से ही ख्याति प्राप्त सूरत के लिए यह एक नई उपलब्धि है। महानगर के विकास मे सरकारों से अधिक यहां के उद्यमियों का विकास के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण प्रमुख रहा है। 50 से अधिक वर्ष तक सूरत के व्यापारी मुंबई जाकर हीरे बेचते रहे थे। व्यापारी परिवार का एक सदस्य एंटवर्प जाकर कच्चे हीरे खरीदता था, दूसरा सूरत में फैक्ट्री में हीरे तराशने का कार्य करता था तथा तीसरा मुंबई मे तराशे हीरे बेचने का कार्य करता था। गुजराती लोग संयुक्त परिवार में रहते थे, परंतु हीरे के व्यवसाय ने उनके परिवार को अलग- अलग रहने को विवश कर दिया था।
हीरे का ‘सफर’
हीरा रूस व अफ्रीका में खदानों से निकाला जाता है। वहां से निकले कच्चे हीरे को सूरत में निखारा जाता है। इसका कारोबार मुख्यत: एंटवर्प, हांगकांग व मुंबई में होता है। आंकड़ों की दृष्टि से विश्व में हीरा उत्पादन में विभिन्न देशों की स्थिति इस प्रकार है-
- रूस 31 प्रतिशत
- बोत्सवाना 20 प्रतिशत
- कांगो 12 प्रतिशत
- कनाडा 10 प्रतिशत
- आस्ट्रेलिया 7 प्रतिशत
- अंगोला 7 प्रतिशत
- दक्षिण अफ्रीका 6 प्रतिशत
लेकिन 2011 में मुंबई आतंकी हमलों में वहां के हीरा व्यापार केंद्र ‘पंचरत्न’ पर हुए बम धमाकों के बाद व गुजरात में राजनीतिक स्थिरता आने से हीरा व्यापारियों ने अपनी सुरक्षा व परिवार को प्राथमिकता देते हुए तय किया कि उन्हें सूरत में ही रहकर व्यापार करना है। प्रतिदिन हीरे लेकर ट्रेन से मुंबई जाना भी एक जोखिम भरा काम है। सोचिए, हजारों करोड़ रुपए का व्यापार करने वाला व्यापारी रोज ट्रेन में सीट के लिए संघर्ष करता है क्योंकि सड़क मार्ग से समय भी अधिक लगता है व सुरक्षा का भी प्रश्न रहता है।
परिवार से लगातार कई दिन दूर रहने और अत्यधिक यात्रा करने जैसी वजहों से शायद सूरत के हीरा व्यापारियों में सूरत डायमंड एक्सचेंज स्थापित करने की सोच उपजी होगी। आज सूरत डायमंड एक्सचेंज की इमारत विश्व के सबसे बड़े हीरा कारोबार हब के रूप में विख्यात हो चुकी है और विश्व भर से लोगों का हीरे खरीदने सूरत आना तय है, इससे नि:संदेह यहां के व्यापारियों का समय बचेगा, जिससे वे व्यापार बढ़ाने व सामाजिक कार्यों में अधिक सक्रिय भागीदारी कर सकेंगे। हीरा व्यापारी सेवन्तीभाई शाह, गोविंद ढोलकिया, सावजी ढोलकिया, मथुर सवानी, वल्लभ सवानी आदि ऐसे नाम हैं जो अपने सामाजिक कार्यों के लिए भी खूब पहचाने जाते हैं। इन्होंने बड़े अस्पताल, विद्यालय बनाए हैं, गांवों में पानी की समस्या के लिए बड़े-बड़े कार्य किए हैं।
डायमंड एक्सचेंज के सूरत में स्थापित होने के अन्य कई पहलू भी हैं। विश्व में भारत के बढ़ते प्रभुत्व को इससे बड़ा लाभ मिलने वाला है। हीरों का व्यापार कई लाख करोड़ रुपए का होता है, जो अभी तक भारत के नियंत्रण में नहीं था। अब हम भारतीय मुद्रा में व्यापार करने का दबाव बना सकते हैं जिससे विदेशी मुद्रा भंडार व डॉलर के एक्सचेंज का कमीशन भी बचेगा। यूरोप में आए दिन युद्ध की स्थिति बनी रहती है, जिससे हीरे का व्यापार सर्वाधिक प्रभावित होता है। ऐसी दिक्कतों से भी अब छुटकारा मिलेगा।
बढ़ेगा रोजगार और अवसर अपार
हीरा व्यापार पर अभी तक अमेरिका व इस्राइल का ही दबदबा रहा है। भारत के बाहर होने से इस पर यहां के व्यापारियों का नियंत्रण नहीं था, अब वे अपने नियमों व शर्तों पर व्यापार कर सकेंगे व धीरे-धीरे इस पूरे कारोबार को नियंत्रित कर हीरों का वास्तविक लाभ पा सकेंगे। हमारी मुद्रा में व्यापार करके डॉलर के वर्चस्व पर लगाम लगा सकेंगे। सूरत में डायमंड एक्सचेंज स्थापित होने से निर्माण क्षेत्र, होटल व्यवसाय और उड्डयन में रोजगार के साथ निवेश भी बढ़ेगा।
वर्षों तक सूरत से मुंबई की कोई सीधी उड़ान न होने के कारण विदेशी व्यापारी यहां आने से कतराते रहे थे इसलिए यहां के व्यापारियों को मुंबई आना-जाना करना पड़ता था। आज भी सूरत से मुंबई की कोई सीधी उड़ान नहीं है, विदेशी व्यापारियों को सूरत आने के लिए दिल्ली होकर आना पड़ेगा। इससे आने-जाने में एक एक दिन अतिरिक्त लगेगा। डायमंड एक्सचेंज की सफलता के लिए सूरत की सीधी उड़ानें होना एक महत्वपूर्ण आयाम है। सूरत की विदेशों व भारत के प्रमुख महानगरों, विशेषकर मुंबई से नियमित उड़ानें होनी आवश्यक हैं।
सूरत के हीरा व्यापारियों ने एक अच्छी पहल की है जिससे मेक इन इंडिया को बल मिलेगा। इसी का सम्मान करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 17 दिसम्बर को ही सूरत से दुबई तक की उड़ान की घोषणा भी की। लेकिन वायु सेवा के क्षेत्र में अभी कई और काम होने जरूरी हैं, जिन पर सरकार का ध्यान है। (लेखक वरिष्ठ स्तंभकार, शोधार्थी व सूरत लिटरेरी फाउंडेशन के संस्थापक हैं)
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