चालाक कम्युनिस्ट चीन की ताजा शरारत पकड़ में आई है। और यह जानकारी इतनी पुख्ता है कि संदेह के लिए ज्यादा गुंजाइश नहीं है। पता चला है कि बीजिंग में बैठी विस्तारवादी जिनपिंग सरकार अपनी न्यूक्लियर टेस्ट फेसिलिटी में परमाणु हथियारों को रिएक्टिवेट कर रही है। क्या इसके मायने ये हैं कि शी जिनपिंग किसी युद्ध की आशंका से घिरे हैं और इसलिए परमाणु अस्त्रों को तैयार कर रहे हैं? अन्यथा उपग्रह से मिली इस रिएक्टिवेशन प्रक्रिया की तस्वीरों के क्या मायने हैं? ये ऐसे सवाल हैं जो आज अनेक रक्षा विशेषज्ञों को परेशान किए हुए हैं।
विस्तारवादी चीन की शरारतों को पहचान पाना कभी आसान नहीं रहा है। चीनी सत्ता रहस्यों की इतनी परतें ओढ़े रहती है कि दुनिया जान ही नहीं पाती कि शी की मुस्कराहट के पीछे क्या चल रहा है। इसमें संदह नहीं है कि कम्युनिस्ट देश विश्व शक्ति बनने के सपने पाले है। दुनिया के बाजारों पर अपनी धमक के साथ ही तमाम देशों की सत्ताओं में अपनी दखल देने की उसकी मंशा रही है। उसकी अघोषित इच्छा है कि साल 2030 से एक हजार परमाणु हथियार बना ले।
इन परिस्थितियों के आलोक में वहां से मिलीं ताजा उपग्रह तस्वीरों को देखें तो उसकी मंशा पर संदेह की कम ही गुंजाइश बचती है। इन तस्वीरों में स्पष्ट दिखता है कि चीन के उत्तर-पश्चिम में स्वायत्तशासी झिंग्जियांग इलाके में वह अपने परमाणु हथियारों को परखने के लिए धमाके करने की तैयारी कर रहा है।
चीन किसी मायने में महाशक्ति अमेरिका से पीछे नहीं दिखना चाहता है। चाहे बात परमाणु हथियारों के जखीरे की ही क्यों न हो। कम्युनिस्ट ड्रैगन अपने परमाणु असलहे को लगातार सुधारता और व्यापक करता आ रहा है।
ध्यान रहे, यह वही चीन है जिसने कहा है कि वह उत्तर कोरिया के परमाणु हथियारों की होड़ का समर्थन नहीं करता। तानाशाह किम जिस तरह उत्तर कोरिया में परमाणु मिसाइलों का जखीरा खड़ा करता जा रहा है उसके विरुद्ध चीन के बयान किसी से छुपे नहीं हैं। लेकिन संभवत: वह बात खुद पर लागू करने से वह कतराता है।
चीन से मिलीं इन उपग्रह तस्वीरों के संदर्भ में अमेरिका के सुप्रसिद्ध समाचार पत्र ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने एक बड़ी रिपोर्ट छापी है। उसने चीन की न्यूक्लियर साइट की तस्वीरें छापकर बताया है कि वहां कोई रिएक्टिवेशन हुआ है। ये उपग्रह तस्वीरें चीन के झिंग्जियांग क्षेत्र में स्थित लोप नूर न्यूक्लियर टेस्ट फेसिलिटी की बताई जा रही हैं।
अखबार के अनुसार, चीन अपनी नई नस्ल की बालिस्टिक तथा क्रूज मिसाइलों पर लगाए गए अत्याधुनिक परमाणु हथियारों में सुधार करने की इच्छा पाले है। ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ के आयुध विशेषज्ञ डॉ. रेनी बेबियार्ज ने इस ताजा घटनाक्रम के कुछ तथ्य भी दिए हैं। पेंटागन में काम कर चुके बार्बियार्ज लोप नूर न्यूक्लियर फेसिलिटी के उपग्रह चित्रों का कई साल से अध्ययन करते आ रहे हैं। यही लोप नूर साइट है जहां चीन ने अक्तूबर 1964 में अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था।
‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ की रिपोर्ट कहती है, कि लोप नूर में होने वाली हरकतें दिखाती हैं कि अमेरिका के साथ चीन के संबंध नाजुक दौर से गुजर रहे हैं। आगे बताया गया है कि हालांकि राष्ट्रपति बाइडेन का कहना है कि चीन के साथ चुभने वाले मुद्दों को दूकरने की कोशिश की जा रही है। गत माह उनकी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मुलाकत भी हुई थी।
न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट कहती है कि करीब दस साल पहले चीन के पास लगभग 50 इंटरकॉन्टिनेंटल बालिस्टिक मिसाइलें हुआ करती थीं। लेकिन अब साल 2030 तक एक हजार से ज्यादा बालिस्टिक मिसाइलें बना लेने के एजेंडे पर वह काम कर रहा है। इनमें लगभग 507 परमाणु हथियार छोड़ने के लॉन्चर भी हैं।
अमेरिकी अखबार ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ की इस रिपोर्ट को बीजिंग द्वारा अस्वीकार करना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। बीजिंग का इस पर कहना है कि यह रिपोर्ट चीन को एक परमाणु खतरा बताकर माहौल बिगाड़ रही है, कि यह रिपोर्ट निराधार है।
ऐसी तस्वीरें हाल में नहीं आई हैं। गत कुछ वर्ष से चीन के लोप नूर परमाणु केन्द्र की तस्वीरें यह दिखाती है कि वहां परमाणु हथियारों में सुधार के काम चलते रहे हैं। ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ की यही रिपोर्ट बताती है कि चीन में साल 2017 में पुराने परमाणु केन्द्र को वक्त के साथ उच्च तकनीकी वाला सुरक्षा बाड़ से घिरा परिसर बना दिया गया था।
इन्हीं उपग्रह चित्रों में क्षेत्र में नए हवाईअड्डे का निर्माण, गलियारों का बनना और अन्य नई बनावटें देखी जा सकती हैं। विशेषज्ञ बार्बियार्ज ने इन उपग्रह चित्रों का बारीक अध्ययन करने के बाद बताया है कि ये तस्वीरें ड्रिल पाइप का एक ढेर दिखाती हैं। इतना ही नहीं, गड्ढा खोदने के यंत्र को और गहराई तक ले जाने के लिए चिकने तरल का एक गड्ढा भी दिखाती हैं। ये गड्ढा एक मील की एक तिहाई गहराई तक खोदा जाना था। अमेरिका के नेवाडा परीक्षण केन्द्र का गड्ढा भी इतना ही गहरा है।
इन्हीं उपग्रह तस्वीरों में एक छोटा नगर भी बसा दिखता है। संभवत: यह लोप नूर परमाणु केन्द्र की सपोर्ट फेसिलिटी है। यह माना जा रहा है कि यह परमाणु परीक्षण के लिए शाफ्ट खोदने वालों के प्रशिक्षण का ठिकाना है।
रक्षा विश्लेषण करले वाले मिडिलबरी इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज की रिपोर्ट भी कहती है कि चीन अपनी मिसाइलों की शक्ति का विस्तार कर रहा है। यह चीन के परमाणु हथियारों को लेकर दिखे मत में एक बड़े परिवर्तन को दिखाता है। इससे संकेत मिलता है कि चीन परमाणु युद्ध के संदर्भ में क्या कुछ करने की मंशा पाले है।
न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट कहती है कि करीब दस साल पहले चीन के पास लगभग 50 इंटरकॉन्टिनेंटल बालिस्टिक मिसाइलें हुआ करती थीं। लेकिन अब साल 2030 तक एक हजार से ज्यादा बालिस्टिक मिसाइलें बना लेने के एजेंडे पर वह काम कर रहा है। इनमें लगभग 507 परमाणु हथियार छोड़ने के लॉन्चर भी हैं।
टिप्पणियाँ