अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। 2020 में अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों में हार के बाद उसे जबरन अपने पक्ष में पलटने की साजिश करने के मामले में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें तगड़ा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रंप की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने इस मामले की जल्द सुनवाई करने की मांग की थी।
इसके साथ ही कोर्ट ने ट्रंप के मामले में यह तय करने से इनकार कर दिया कि उन्हें संघीय अभियोजन से छूट मिली है या नहीं। दरअसल, दो दिन पहले ही निचली अदालत ने ट्रंप को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य करार दे दिया था। निचली अदालत के इसी फैसले के खिलाफ वो सुप्रीम कोर्ट गए थे। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट से निराशा हाथ लगने के साथ ही ट्रंप का केस एक बार फिर से कोलंबिया डिस्ट्रिक्ट सर्किट अपील अदालत में आ गया है। उनके मामले में तीन जजों की बेंच सुनवाई करेगी। बता दें कि कोलंबिया की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने ट्रंप के मामले की अगली सुनवाई को अगले साल मार्च के लिए निर्धारित किया है। लेकिन ट्रंप की मंशा है कि जल्द से जल्द मामले का निपटारा हो जाए तो वे राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ सकें।
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मामले में ट्रंप का तर्क है कि कोर्ट को मामले को खारिज कर देना चाहिए और कहना चाहिए कि पूर्व राष्ट्रपतियों को उनके आधिकारिक जिम्मेदारियों से संबंधित मामलों के लिए आपराधिक आरोपों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
क्या है मामला
गौरतलब है कि साल 2020 में हुए अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप को हार का सामना करना पड़ा था। चुनाव नतीजों के बाद ट्रंप के समर्थकों ने यूएस कैपिटल (अमेरिकी संसद) पर हमला कर दिया था। उनके समर्थक अमेरिकी संसद में घुस गए थे। हिंसा और तोड़फोड़ भी की गई। इस दौरान पांच लोगों की मौत भी हुई थी। बाद में ट्रंप पर समर्थकों को संसद की तरफ बढ़ने और हिंसा के लिए उकसाने के आरोप लगे थे। बता दें कि अमेरिकी न्याय प्रणाली के अनुसार राज्यों के स्तर पर सबसे बड़ी अदालत को भी सुप्रीम कोर्ट कहा जाता है। भारतीय संदर्भ में इसे हाईकोर्ट समझा जा सकता है। देश में एक सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रीय स्तर पर भी है।
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