लाल सागर में हूती विद्रोहियों के उपद्रव पिछले कुछ समय से बढ़ते गए हैं। वहां से गुजरने वाले मालवाहक जहाजों पर हमले बोलना, सागर के रास्ते दुनिया के करीब 40 प्रतिशत से अधिक कारोबारी सामान के परिवहन में खलल डालना और सुएज कैनाल जैसे महत्वपूर्ण मार्ग में अवरोध डालने की कोशिश करना आदि अब हद से ज्यादा होता जा रहा है। ऐसे में कल इस्राएल के दौरे पर गए अमेरिकी रक्षा मंत्री ने हूती विद्रोहियों को कड़ा संदेश दिया है। इस्लामी हूतियों से बाज आने नहीं तो सैन्य कार्रवाई का सामना करने को कहा गया है।
वैश्विक व्यापार की दृष्टि से लाल सागर का मार्ग बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। हमास पर लगातार हमलावर इस्राएल को दुश्मन मानते हुए इस्लामी हूती विद्रोहियों ने इस्राएल के जहाजों को तो निशाना बनाया और अगुवा किया ही है, बल्कि इस हरकत में दूसरे देशों के जहाजों पर भी हमले किए गए हैं। इन परिस्थितियों में अमेरिका तथा इस्राएल के माथे पर बल पड़ना स्वाभाविक ही है। इस दिक्कत को दूर करने के लिए ही अमेरिका और अन्य कुछ देशों ने एक साझा सैन्य अभियान शुरू करने का इरादा कर लिया है।
इस सैन्य मिशन में अमेरिका ने अपनी अगुआई में दस देशों की एक साझी टुकड़ी बनाने की घोषणा भी कर दी है। कल अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन इस्राएल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से मिलने के लिए तेल अवीव में थे। वहीं ऑस्टिन ने उक्त घोषणा करते हुए हूती विद्रोहियों को संभल जाने की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि लाल सागर में सभी देशों के जहाज बेखटके आ-जा सकें, इसके लिए सुरक्षा का पूरा दायित्व इस बहुराष्ट्रीय सैन्य बल पर होगा।
अमेरिकी अगुआई में हूती विद्रोहियों के जहाजों पर हमलों का जवाब देने और उन्हें काबू करने के लिए जो साझा बल बनाया गया है उसमें अमेरिका के अलावा कनाडा, इटली, बहरीन, फ्रांस, नॉर्वे, नीदरलैंड, स्पेन, यूके और सेशेल्स के सैनिक शामिल हैं। इस सैन्य अभियान को नाम दिया गया है—’ऑपरेशन प्रॉस्पेरिटी गार्जियन’। लाल सागर की सुरक्षा के लिए इसे एक नई पहल बताते हुए ऑस्टिन ने कहा कि इस सागर से गुजरते मार्ग को संकटों से दूर रखना अंतरराष्ट्रीय कारोबार के लिए यह आवश्यक है।
ये हूती विद्रोही ईरान समर्थित माने जाते हैं और इस्राएल के हमास पर हमलों के विरुद्ध भड़काने वाले बयान दे चुके हैं। लाल सागर को उन्होंने निशाने पर लिया हुआ है। अमेरिकी रक्षा मंत्री ने कहा है कि यमन की ओर से हूती जहाजों पर हमले बोलकर कारोबार की निर्बाध गति और मासूम नाविकों के लिए खतरे पैदा कर रहे हैं। यह नि:संदेह अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन ही है इसलिए यह समस्या किसी एक देश की नहीं है, यह एक अंतरराष्ट्रीय संकट है।
यहां ध्यान दें कि अमेरिकी अगुआई में हूती विद्रोहियों के जहाजों पर हमलों का जवाब देने और उन्हें काबू करने के लिए जो साझा बल बनाया गया है उसमें अमेरिका के अलावा कनाडा, इटली, बहरीन, फ्रांस, नॉर्वे, नीदरलैंड, स्पेन, यूके और सेशेल्स के सैनिक शामिल हैं। इस सैन्य अभियान को नाम दिया गया है—’ऑपरेशन प्रॉस्पेरिटी गार्जियन’। लाल सागर की सुरक्षा के लिए इसे एक नई पहल बताते हुए ऑस्टिन ने कहा कि इस सागर से गुजरते मार्ग को संकटों से दूर रखना दुनिया के दृष्टिकोण से आवश्यक है। अंतरराष्ट्रीय कारोबार के लिए यह आवश्यक है।
इस सैन्य बल का गठन करने वाले अमेरिका ने कहा है कि यह साझा बल दक्षिणी लाल सागर तथा अदन की खाड़ी में पेश किए जा रहे खतरों को दूर करेगा। यह बल सभी देशों के जहाजों लिए आजादी से सागर से गुजरना पक्का करने के साथ ही इलाके की सुरक्षा तथा खुशहाली को भी मजबूत करेगा।
ताजा स्थिति यह है कि इस्लामी हूती विद्रोहियों के आतंक की वजह से कई बड़े मालवाहक, तेल वाहक और महत्वपूर्ण सामान को ले जाने वाले कई देशों के जहाजों ने अपने मार्ग में बदलाव किया है या फिलहाल सेवाएं ही बंद कर दी हैं।
इस्राएल की हमास पर जबरदस्त सैन्य कार्रवाई से चिढ़कर इस्लामी आतंकी गुट ने खुली धमकी दी हुई है कि अब अमेरिका तथा इस्राएल को निशाना बनाया जाएगा। इस बीच इन इस्लामी विद्रोहियों ने लाग सागर से गुजरते इस्राएल के कई व्यापारिक जहाजों को निशाना बनाया है। इतना ही नहीं, एक जहाज का तो अपहरण भी किया है। उनकी इस हरकत का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल भी हुआ है। इसमें वे एक हेलीकाप्टर से जहाज के डेक पर उतरकर पूरे जहाज को हथियारों के बल पर कब्जे में लेते देखे जा सकते हैं।
इनके हमलों से बचने के लिए जो जहाज लंबा चक्कर काटकर उस रास्ते से बच रहे हैं उनका न सिर्फ तिगुना खर्चा हो रहा है बल्कि काफी वक्त भी बर्बाद हो रहा है। हालांकि लाल सागर में अमेरिकी नौसेना की एक टुकड़ी पहले से मौजूद है, लेकिन अब खबर आई है कि अमेरिका ने दो विमानवाहक पोत भी सागर में उतारे हैं।
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