अमेरिका की रूस—यूक्रेन युद्ध और इस्राएल—हमास युद्ध में सक्रियता देखते हुए यह कहा जा सकता है कि उसके कहे का दोनों मामलों में बड़ा मोल है। इस्राएल के हमास पर हमले को लेकर ईरान शुरू से ही आग उगल रहा है। ईरान के सत्ताधीश हों, गुप्तचर या फौजी, सब इस युद्ध में अमेरिका को जमकर लताड़ रहे हैं।
अब ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स यानी वहां की फौज के सर्वेसर्वा मेजर जनरल ने नाम लेकर अमेरिका को इसका मुख्य कर्ताधर्ता बताया है। उसने कहा है कि अब मुस्लिम देश अमेरिका को वैसा भाव नहीं देने वाले जैसा कभी दिया करते थे। लेकिन अब अमेरिका की हिम्मत नहीं होगी कि उनमें से किसी के सामने सीना तानते खड़ा हो सके। ईरानी फौज के प्रमुख ने यहां तक कहा कि वे दिन लद गए जब अमेरिका की लाल कालीन बिछाकर आवभागत की जाती थी।
यह ईरानी फौजी जनरल होसैन सलामी ने अमेरिका को इस्राएल—हमास युद्ध का मुख्य रणनीतिकार कहा है। यानी इस्राएल—हमास युद्ध का पूरा ठीकरा ईरानी फौजी जनरल ने अमेरिका और राष्ट्रपति जो बाइडेन के सिर फोड़ा है। उसने कहा है कि अमेरिका की मदद के बूते ही तो इस्राएल ने गाजा पर हमला बोलने की जुर्रत की है।
होसैन का यह भी दावा है कि इस्राएल ने गाजा पर जो हमला बोला है उसकी वजह से मध्य पूर्व में अमेरिका अलग—थलग पड़ गया है। मेजर जनरल होसैन का कहना तो यह भी है कि मध्य पूर्व से अब अमेरिकी अपना बोरिया बिस्तर समेटकर वहां से दूर होते जा रहे हैं। ईरानी जनरल ने कहा कि बस हथियार तथा पैसे के बूते पर कोई वहां दबदबा नहीं बना सकता।
होसैन का यह भी दावा है कि इस्राएल ने गाजा पर जो हमला बोला है उसकी वजह से मध्य पूर्व में अमेरिका अलग—थलग पड़ गया है। मेजर जनरल होसैन का कहना तो यह भी है कि मध्य पूर्व से अब अमेरिकी अपना बोरिया बिस्तर समेटकर वहां से दूर होते जा रहे हैं। ईरानी जनरल ने कहा कि बस हथियार तथा पैसे के बूते पर कोई वहां दबदबा नहीं बना सकता।
ईरानी मेजर जनरल का कहना है कि अमेरिका के अधिकारियों में आज कोई ऐसा नहीं है कि जिसमें किसी मुस्लिम देश में बने रहने की हिम्मत हो। इसी रौ में वह बोला कि अब वे दिन लग चुके हैं जब अमेरिकियों के लिए रेड कार्पेट बिछाकर उनका गाजे—बाजे के साथ स्वागत किया जाता था। आज तो जहां भी अमेरिका वाले दिखते हैं वहां ईर्ष्या और असुरक्षा के भाव आते हैं।
ईरान आज अमेरिका को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानता है। दोनों के बीच खटास और तनाव की वजह एक ही है, अमेरिका को यह आरोप कि ईरान परमाणु हथियार बनाने की तैयारी में है। यही वजह है कि अमेरिका ने ईरान पर अनेक कड़े प्रतिबंध थोपे हुए हैं। दोनों देशों के बीच आपस में राजनयिक संबंध भी नहीं हैं। ये अमेरिकी प्रतिबंध ही हैं जिनकी वजह से ईरान तेल के कारोबार में नुकसान झेलता है।
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